चीनी उत्पादक कंपनियों को जल्द ही उठान नहीं होने वाली लेवी कोटे की चीनी बेचने की आजादी मिल सकती है, जिसे मिलों को फिलहाल दो साल तक कैरी फॉरवर्ड करना पड़ता है। पटना उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक, इसके अलावा अगर सरकार इस साल 12 अप्रैल तक लेवी चीनी का कोटा उठाने में नाकाम रहती है तो अनबिके 21 लाख टन चीनी की बिक्री खुले बाजार में करने की अनुमति उन्हें मिल सकती है। उच्च न्यायालय ने लेवी चीनी के कैरी फॉरवर्ड के मौजूदा चलन को अनुचित, मनमाना और अनावश्यक बताया है।
व्यावहारिक तौर पर इस अवधि में 21 लाख टन चीनी का उठान सरकार के लिए असंभव होगा। लेवी चीनी और खुले बाजार की कीमतों में 11 रुपये प्रति किलोग्राम का अंतर है, लिहाजा कंपनियां करीब 2300 करोड़ रुपये कमा सकती है। इसमें हालांकि अवरोध उत्पन्न हो सकता है, अगर सरकार इस फैसले को चुनौती देने का फैसला करती है।
विष्णु शुगर मिल्स की तरफ से दायर याचिका पर पटना उच्च न्यायालय के हालिया फैसले में केंद्र सरकार को लेवी चीनी के कैरीओवर कोटे (21 लाख टन) को 12 जनवरी (फैसले की तारीख) से तीन महीने के अंदर समाप्त करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा है - सरकार मासिक कैरीओवर कोटे को तीन महीने के अंदर समाप्त करे और इसके आगे इसे जारी नहीं रखा जाएगा। मिलों को उत्पादन का 10 फीसदी लेवी चीनी के तौर पर हर साल सरकार को देना होता है और इसकी कीमतें खुले बाजार के मुकाबले काफी कम होती है। इस चीनी की बिक्री जन वितरण प्रणाली के अंतर्गत होती है। हालांकि पिछले कुछ सालों के आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि सरकार लेवी कोटे के आधे हिस्से का उठान करने में नाकाम रही है। अभी मिलें अनबिके लेवी कोटे को अगले दो साल तक कैरी फॉरवर्ड करती हैं। इस चीनी की बिक्री की अनुमति मिलों को आवंटन के तीन माह के बाद मिलती है। (BS HIndi)
12 मार्च 2012
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