कपास निर्यात पर भारत सरकार की अस्पष्ट नीति के चलते देश के विभिन्न इलाकों के किसान आगामी सीजन में कपास की बुआई से हाथ खींच सकते हैं। निर्यात नीति में बार-बार बदलाव होने और बाजार में इसकी कीमतों पर पड़ रहे असर से किसानों व जिनर्स के बीच घबराहट है।
कपास उत्पादन में बड़ी हिस्सेदारी वाले राज्य महाराष्ट्र और गुजरात में उत्पादन पर सबसे ज्यादा असर पड़ सकता है। पिछले कुछ दिनों से इन दोनों राज्यों में कारोबार में सुस्ती है क्योंकि गुजरात की जिनिंग मिलें 25-30 फीसदी क्षमता पर संचालित हो रही हैं और खास तौर से महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में यह करीब-करीब बंद है। ऐसे में किसान आगामी खरीफ सीजन में अपने इलाके के मौसम आदि को ध्यान में रखकर कपास के बजाय दूसरी फसल अपनाने पर विचार कर रहे हैं। कुल मिलाकर कई केंद्रों पर कच्चे कपास का कारोबार 3350 रुपये प्रति क्विंटल पर हो रहा है।
महाराष्ट्र के यवतमाल इलाके के जिनर्स ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया - कपास के बीजों की बढ़ती कीमतें (1200 रुपये प्रति 450 ग्राम) और कपास की कीमतों में हो रहे उतारचढ़ाव से किसान गन्ना, ज्वार, मूंग और सोयाबीन जैसी फसलों का रुख कर सकते हैं।
महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में कपास प्रमुख फसल है। किसानों के मुताबिक, सोयाबीन और ज्वार उनके लिए वैकल्पिक फसल हो सकती है। इस इलाके में कपास का रकबा 30 फीसदी तक घट सकता है। मराठवाड़ा इलाके में कपास के अलावा गन्ना, सोयाबीन और मूंग की फसल उगाई जा सकती है। किसानों को लगता है कि कपास के रकबे में बड़ी गिरावट आ सकती है क्योंकि दूसरी फसलों के लिए भी जमीन उपयुक्त है। इसके अलावा बीज की कीमत और मजदूरी की दरों में इजाफा हो रहा है। बठिंडा के किसान जगतार सिंह मेहमा ने कहा - पंजाब और हरियाणा के किसान इस सीजन में ज्यादा फसल क्षेत्र में धान की बुआई कर सकते हैं।
हरियाणा व पंजाब में किसानों के बीच ग्वार लोकप्रिय हो रहा है। पिछले एक साल में ग्वार से मिलने वाला प्रतिफल पांच गुना हो गया है। पिछले साल के मुकाबले इसकी कीमतें 23,000 रुपये पर पहुंच गई है। हरियाणा कॉटन जिनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील मित्तल ने कहा - राजस्थान में कपास का 70 फीसदी रकबा ग्वार की भेंट चढ़ सकता है जबकि हरियाणा में करीब 30 फीसदी। उन्होंने कहा कि ग्वार के बीज सस्ते हैं।
इस बीच, एजेंसी की खबरों के मुताबिक, वित्त मंत्रालय ने सीमा शुल्क अधिकारियों से कपास निर्यात पर वाणिज्य मंत्रालय की शर्तों की सख्ती से निगरानी करने को कहा है। (BS Hindi)
14 मार्च 2012
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