चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दस महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान देश में 24 लाख टन दालों का आयात हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 22.5 लाख टन का आयात हुआ था।
चालू सीजन में दलहन की पैदावार में 5.5 फीसदी की कमी आने की संभावना है। देश में दलहन की संभावित कमी को भांपते हुए केंद्र सरकार दलहन निर्यात पर जारी प्रतिबंध की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाने जा रही है। दलहन निर्यात पर रोक की अवधि 31 मार्च 2012 को समाप्त हो रही है। सरकार निर्यात पर प्रतिबंध को 31 मार्च 2013 तक जारी रख सकती है। दलहन के निर्यात पर सातवें साल भी प्रतिबंध रहेगा। सरकार ने 2006 में दलहन के निर्यात पर रोक लगाई थी। हालांकि इस दौरान काबुली चने का निर्यात जारी रहेगा।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कृषि मंत्रालय के दूसरे आरंभिक अनुमान के अनुसार वर्ष 2011-12 में दालों की पैदावार में 9.6 लाख टन की कमी आकर कुल उत्पादन 172.8 लाख टन रहने का अनुमान है। वर्ष 2010-11 में 182.4 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था।
उत्पादन के मुकाबले दालों की घरेलू खपत बढ़कर करीब 200 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में घरेलू बाजार में दालों की कीमतों में तेजी रोकने के लिए निर्यात पर रोक की अवधि को एक साल के लिए बढ़ाने की सिफारिश की गई है। सरकार ने 28 जून 2006 को दालों के निर्यात पर रोक लगाई थी।
भारत दलहन उत्पादन और खपत में विश्व में पहले स्थान पर होने के बावजूद मांग के मुकाबले उत्पादन कम होने के कारण हर साल म्यांमार, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका से अरहर, उड़द, चना, मसूर और मटर का आयात करता है। चालू वित्त वर्ष 2011-12 के पहले दस महीनों (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान देश में 24 लाख टन दालों का आयात हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 22.5 लाख टन का आयात हुआ था। उन्होंने बताया कि पिछले साल कुल आयात 26.9 लाख टन का हुआ था लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसमें बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
खुदरा बाजार में चने दाल का भाव 48 से 50 रुपये, अरहर दाल 65 से 70 रुपये, उड़द दाल 62 से 68 रुपये, मूंग दाल 70 से 75 रुपये और मसूर दाल का भाव 50 से 55 रुपये प्रति किलो है। मांग बढऩे से अप्रैल-मई में घरेलू बाजार में दालों की मौजूदा कीमतों में तेजी आने की संभावना है। (Business Bhaskar.....R S Rana)
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