गुडी पड़वा जैसे शुभ मौके पर आभूषणों की भारी भरकम बिक्री से भारतीय ज्वैलर महरूम रहे। इसके चलते शुक्रवार को करीब 2000 करोड़ रुपये के कारोबार का नुकसान हुआ।
पश्चिम भारत के राज्यों खास तौर से महाराष्ट्र में गुडी पड़वा को सोने की खरीदारी के लिहाज से शुभ माना जाता है। यह रबी की कटाई सीजन की समाप्ति का समय होता है। इस साल के बजट में प्रस्तावित सीमा शुल्क व उत्पाद शुल्क में बढ़ोतरी के विरोध में पिछले शनिवार से ज्वैलर हड़ताल पर हैं। इसके चलते एक हफ्ते में कुल 10,000 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। हड़ताल की अगुआई करने वाले ऑल इंडिया जेम्स ऐंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन बछराज बामलवा ने कहा - मौके तो आते जाते रहते हैं। लेकिन हम वैसे कारीगरों व श्रमिकों की बेहतरी के लिए बड़े मुद्दों का समर्थन कर रहे हैं, जो इस उद्योग में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। वित्त मंत्री के प्रस्ताव के खिलाफ पिछले शनिवार को देश भर के आभूषण दुकानदारों ने तीन दिन की हड़ताल का ऐलान किया था। एक ओर जहां सीमा शुल्क दो फीसदी से चार फीसदी कर दिया गया था, वहीं सोने के आभूषणों पर उत्पाद शुल्क 5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर दिया गया था।
उद्योग पर चोट पहुंचाने वाला सबसे बड़ा फैसला निर्यातोन्मुख इकाइयों से घरेलू टैरिफ एरिया में आभूषणों की बिक्री को उत्पाद शुल्क के दायरे में लाया जाना था और 2 लाख रुपये के आभूषणों की नकद बिक्री पर 1 फीसदी टीडीएस काटने का था। बामलवा ने कहा - हमें उम्मीद है कि सरकार हमारे हक में फैसला लेगी और प्रस्तावित शुल्क में थोड़ी कटौती करेगी।
इस बीच, जीजेएफ के पूर्व चेयरमैन अशोक मियांवाला की अगुआई में जेम्स ऐंड ज्वैलरी उद्योग के प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को उत्पाद शुल्क आयुक्त से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने बजट में उत्पाद शुल्क में की गई हालिया बढ़ोतरी पर अपनी चिंता जाहिर कर दी। बैठक के दौरान प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया गया कि उत्पाद शुल्क के परिणाम के तौर पर इंस्पेक्टर राज की वापसी की उनकी आशंका निर्मूल साबित होगी। मियांवाला ने कहा - हम आभूषण उद्योग को आश्वस्त करते हैं कि उत्पाद विभाग के अधिकारी आभूषण दुकान का दौरा नहीं करेंगे। (BS Hindi)
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