उत्तराखंड की राज्यपाल मार्गरेट अल्वा ने मंगलवार को कहा कि उत्पादक संसाधनों तक पहुंच के जरिये महिलाएं अपनी कृषि भूमि की उपज 20 से 30 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। इससे वे खाद्य सुरक्षा के साथ आर्थिक वृद्धि में भी योगदान दे सकती हैं।
संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एवं कृषि संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अल्वा ने कहा कि यदि महिलाओं को पुरुषों की तरह की उत्पादक संसाधन मिलें, तो वे अपनी कृषि भूमि की उत्पादकता 20 से 30 फीसदी तक बढ़ा सकती हैं। इससे वे खाद्य सुरक्षा और आर्थिक वृद्धि दोनों में योगदान कर सकती हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन के ताजा अनुमान के अनुसार, कृषि क्षेत्र को दी जाने वाली सिर्फ पांच फीसदी सहायता का आधार ही लिंग समानता होती है। अल्वा ने कहा कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। यहां कृषि क्षेत्र में महिलाएं विषय पर पहले वैश्विक सम्मेलन में अल्वा ने कहा कि खेतों में काम करने वाली महिलाओं की जिंदगी से नीरसता और बोझ को दूर करने की जरूरत है। इसी तरह के विचार रखते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि देश में आर्थिक रूप से सक्रिय कुल महिलाओं में से 80 फीसदी कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं। दीक्षित ने कहा कि समाज में महिलाओं की स्थिति और महत्व को लगातार पहचान मिल रही है। हालांकि उन्हें पूरी पहचान दिए जाने की जरूरत है, जिसकी वे हकदार हैं। प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन ने कहा कि महिलाओं के लिए काम के घंटे घटाने और उनकी प्रति घंटा आमदनी बढ़ाने की जरूरत है। इस वैश्विक सम्मेलन का आयोजन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और कृषि अनुसंधान संस्थानों के एशिया प्रशांत संघ (एपीएएआरआई) ने किया था। इसमें 50 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। (Hindustan)
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