इस साल देश में दूध उत्पादन में 7 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी की उम्मीद है, लिहाजा दूध व डेयरी उत्पादों की उपलब्धता में इजाफा हुआ है। ज्यादा उत्पादन के चलते आपूर्ति में सुधार से देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) और बटर ऑयल (घी) जैसे डेयरी उत्पादों की कीमतें गिर गई हैं। पिछले एक साल में कीमतों में कई बार बढ़ोतरी का सामना करने वाले दूध की कीमतें हालांकि अभी कम नहीं हुई हैं। पर उपभोक्ता इस साल दूध की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद कर सकते हैं और सरकार भी राहत की सांस ले सकती है क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई में दूध का भारांक 4.37 फीसदी है।
देसी बाजार में अमूल ब्रांड के नाम से दूध बेचने वाले गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा, 'पिछले 2-3 सालों से किसानों को अच्छी कीमतें मिली हैं। पिछले साल 1230 लाख टन दूध उत्पादन के मुकाबले इस साल हम 1300-1320 लाख टन उत्पादन की
उम्मीद कर रहे हैं। इस साल दूध की कीमतें पिछले साल की तरह बार-बार नहीं बढ़ेगी।'
देर तक जाड़े का मौसम रहने से आपूर्ति बढ़ी है और इससे एसएमपी व बटर ऑयल की कीमतों पर दबाव पड़ा है। एसएमसी फूड्स के निदेशक संदीप अग्रवाल ने कहा, एसएमपी और बटर ऑयल की कीमतें दीवाली से अब तक 20-25 फीसदी टूट चुकी हैं। दुग्ध उत्पादों के निर्यात पर पाबंदी है और देश में इनकी आपूर्ति में सुधार हुआ है। ऐसे में ज्यादा उत्पादन के चलते उत्पाद की कीमतों और दूध की खरीद कीमतों पर दबाव पड़ा है। एसएमसी फूड्स एसएमपी और मधुसूदन ब्रांड के नाम से उत्पाद बेचती है। अभी एसएमपी की कीमतें करीब 160 रुपये प्रति किलोग्राम हैं जबकि बटर ऑयल की कीमतें 220 रुपये प्रति किलोग्राम। उद्योग ने किसानों से खरीदे जाने वाले दूध की कीमतें 29 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 24 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं।
चेन्नई की कंपनी हटसन एग्रो के सीएमडी आर जी चंद्रमोगन ने कहा कि निर्यात पर पाबंदी से उद्योग के पास करीब 1 लाख टन दूध का भंडार जमा हो गया है और डेयरी कोऑपरेटिव ने करीब 50,000 टन एसएमपी का आयात किया है। ऐसे में देश में उपलब्धता बढ़ी है।
वैश्विक कीमतों में भी गिरावट
अग्रवाल ने कहा कि दुग्ध उत्पाद की कीमतें वैश्विक स्तर पर भी नीचे आ रही हैं क्योंकि न्यूजीलैंड व अमेरिका जैसे देशों में उत्पादन बढ़ा है। अगर हम एसएमपी की मौजूदी कीमतों की तुलना पिछले साल की न्यूजीलैंड (डेयरी उत्पादों के निर्यात में अग्रणी) की कीमतों से करें तो इनमें 20 फीसदी की गिरावट आई है। अमेरिका में ज्यादा उत्पादन के चलते भी वैश्विक कीमतों पर दबाव पड़ा है, जहां इसकी कीमतें न्यूजीलैंड से भी कम हैं। (BS Hindi)
29 मार्च 2012
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