सरकार ने कहा है कि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को मौजूदा वर्ष के अंत तक लागू करने की योजना बना रही है। इस समय सरकार के पास रिकॉर्ड मात्रा में खाद्यान्न स्टॉक में रखा है। देश की 63.5 फीसदी आबादी को भोजन पाने का अधिकार देने वाले इस विधेयक पर इस समय संसदीय स्थाई समिति विचार कर रही है।
खाद्य मंत्री के.वी. थॉमस ने यहां एक कार्यक्रम के बाद संवाददाताओं को बताया कि हम इस साल दिसंबर तक खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि मंत्रालय के खाद्यान्न उत्पादन संबंधी अनुमान के आधार पर देश में पर्याप्त खाद्यान्न मौजूद है और वर्ष 2014 तक प्रस्तावित खाद्य सुरक्षा विधेयक के लिए आवश्यक खाद्यान्न सुलभ होने में कोई दिक्कत नहीं आएगी। इस आवश्यकता को पूरा करने के बाद भी देश खाद्यान्न का निर्यात करने की स्थिति में होगा।
थॉमस ने कहा कि उनका मंत्रालय गरीबों के संबंध में नए आंकड़ों पर गौर कर रही है। सस्ते अनाज के लाभार्थियों की संख्या तय करने में इन आंकड़ों को आधार बनाया जाएगा। प्रस्तावित विधेयक को लागू करने पर करीब 630 लाख टन खाद्यान्न की जरूरत होगी। यह आंकड़ा मौजूदा सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के तहत वितरित होने वाले अनाज से करीब 80 लाख टन ज्यादा है।
उन्होंने बताया कि खाद्य मंत्रालय ने विधेयक को लागू करने के लिए नियम बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह विधेयक अगले सत्र में पारित होकर कानून बन सकता है। योजना को सुचारु तरीके से लागू करने के लिए मंत्रालय ने पीडीएस के आधुनिकीकरण और भंडारण सुविधाएं बढ़ाने के लिए उपाय किए हैं।
इस समय सरकारी गोदामों में क्षमता से ज्यादा अनाज रखा है। मौजूदा फसल वर्ष (जुलाई-जून) 2011-12 के दौरान देश में 25.04 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन होने के आसार हैं। इसमें 10.27 करोड़ टन चावल और 8.83 करोड़ टन गेहूं शामिल है। एक मार्च को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों में 545.2 लाख टन खाद्यान्न रखा था। यह स्टॉक बफर स्टॉक मानकों से 18 फीसदी ज्यादा है।
खाद्य सुरक्षा विधेयक से सब्सिडी खर्च बढऩे के सवाल पर थॉमस ने बताया कि नए गरीबी आंकड़ों के आधार पर खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू होने पर कुल करीब 1.12 लाख करोड़ रुपये सब्सिडी बोझ होने का अनुमान है। सरकार करीब 3000-4000 करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करने की स्थिति में है। चालू वित्त वर्ष में खाद्य सब्सिडी 88,000 करोड़ रुपये रहने की संभावना है। (Business Bhaskar)
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