बारहवीं योजना के अंत (2012-2017) तक भारत में दूध की मांग करीब 15.5 करोड़ टन होने की संभावना है.
अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए देश को प्रतिवर्ष दूध उत्पादन 60 लाख बढ़ाना होगा.
राष्ट्रीय डेयरी योजना (एनडीपी) के अनुसार, पिछले दस साल से देश में दूध का उत्पादन सालाना 35 लाख टन की दर से बढ़ रहा है. इसे अगले 12 साल में औतसन 60 लाख टन सालाना बढ़ाने की जरूरत है.
कृषि मंत्री शरद पवार ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में बताया कि एनडीपी ने 2011-12 से 2016-17 की अवधि के लिए डेयरी विकास की रूपरेखा तैयार की है.
इसमें कहा गया है कि उभरते रुख संकेत देते हैं कि वर्ष 2020-21 तक देश में दूध की आवश्यकता 20 से 21 करोड़ टन की होगी.
इसमें कहा गया कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के बढ़ने और देश की बढ़ती आय के कारण दूध की मांग बढ़ी है.
देश में दूध का उत्पादन वर्ष 2011-12 के दौरान करीब 12 करोड़ 72.9 लाख टन का हुआ था.
एनडीपी चरण-एक को 2,242 करोड़ रुपये के कुल निवेश से लागू किया जायेगा. इस योजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के द्वारा अमल में लाया जाना है.
इस योजना का उद्देश्य दुधारू मवेशियों की उत्पादकता बढ़ाने में मदद करना और दूध की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए दूध उत्पादन को बढ़ाना है.
इसका उद्देश्य ग्रामीण दूध उत्पादकों को संगठित दूध प्रसंस्करण क्षेत्र तक व्यापक पहुंच मुहैया कराने में मदद करना भी है. (Samay Live)
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