नई आवक के बावजूद सरसों की कीमतों में लगातार तेजी देखी जा रही है। पिछले तीन दिनों में ही सरसों के दाम 150 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा बढ़ चुके हैं। बीते साल के मुकाबले सरसों 50 फीसदी से ज्यादा महंगी है। कारोबारियों का कहना है कि उत्पादन में कमी के चलते कीमतों में तेजी का रुख बना हुआ है। हालांकि कुछ कारोबारी तेजी के पीछे सटोरियों का हाथ मान रहे हैं। सेंट्रल ऑर्गेनाइजेशन फॉर ऑयल इंडस्ट्री ऐंड ट्रेड के मुताबिक 2011-12 में 58.8 लाख टन सरसों उत्पादन का अनुमान है जबकि पिछले वर्ष 70 लाख टन उत्पादन हुआ था।
मुख्य उत्पादक राज्य राजस्थान की जयपुर मंडी में सरसों का भाव 3850 रुपये जबकि दिल्ली में 3900 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा है। इस सप्ताह सरसों की कीमतों में 150 रुपये प्रति क्विंटल से ज्यादा तेजी आई है। एनसीडीएक्स में अप्रैल अनुबंध 3972 रुपये प्रति क्विंटल के उच्च स्तर पहुंच गया था। लेकिन बाद यह गिरकर 3930 रुपये (खबर लिखे जाने तक) पर गया। बुधवार को अप्रैल अनुबंध में करीब 60 रुपये का उछाल आया है। सोमवार को यह 3806 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ था। राजस्थान के सरसों कारोबारी निरंजन लाल ने कहा कि इस बार सरसों की पैदावार कम है वहीं स्टॉकिस्ट भारी खरीद कर रहे हैं, जिससे कीमतों में तेजी का रुख है। कमोडिटीइनसाइटडॉटकॉम के जिंस विश्लेषक प्रशांत कपूर कहते हैं कि नई आवक के बीच दाम बढऩे से लगता है कि बाजार में सटोरिये अपना खेल दिखा रहे हैं। (BS HIndi)
22 मार्च 2012
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें