नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने को आर्थिक समीक्षा में दो बड़े क्षेत्रों कृषि और सेवा क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर दिया गया है। बंपर पैदावार के बावजूद जहां 2010-11 में कृषि क्षेत्र की रफ्तार सुस्त बनी रही, वहीं सेवा क्षेत्र के विकास के लिए समीक्षा में चुनौतियां गिनाई गई हैं।
आर्थिक समीक्षा 2011-12 में अगली पंचवर्षीय योजना में कृषि क्षेत्र में चार प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल करने के लिए व्यापक व समन्वित प्रयास की जरूरत पर बल दिया गया है। समीक्षा में सुझाव दिया गया है कि लक्षित वृद्धि दर हासिल करने के लिए भूखडों के मिलान, खाद्य भडारण का प्रभावी प्रबंधन और आपूर्ति श्रृंखला सुधारने की जरूरत है। समीक्षा के मुताबिक, ग्रामीण ढाचे व सिंचाई सुविधाओं के निर्माण व अनुसंधान व विकास में निवेश को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
चालू पंचवर्षीय योजना के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर 3.28 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वैसे, लक्ष्य चार प्रतिशत का था। चार प्रतिशत की वृद्धि दर को हकीकत में तब्दील करने के लिए इस क्षेत्र में चुनौतियों से निपटने पर ध्यान देने होंगे जिसके लिए पर्याप्त प्रयास करने की आवश्यकता है।
समीक्षा में सेवा क्षेत्र के विस्तार के लिए दो चुनौतियां गिनाई गई हैं। पहली चुनौती सेवा क्षेत्र के दायरे का विस्तार करने को लेकर है। अभी तक सॉफ्टवेयर और दूरसंचार क्षेत्र का ही दोहन किया गया है। जबकि अभी भंडारगृह जैसे क्षेत्र अनछुए हैं। दूसरी चुनौती कारोबार और वित्तीय सेवाओं जैसी कुछ अनुकूल सेवाओं को अधिक स्थाई बनाने की है। इसके अलावा मल्टी ब्राड खुदरा कारोबार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को मेट्रो शहरों से चरणबद्ध तरीके से अनुमति देने के साथ परंपरागत किराना दुकानों का आधुनिक बनाने में मदद की सिफारिश की गई है।
समीक्षा के मुताबिक मल्टी ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआइ को मंजूरी देना सेवा क्षेत्र के लिए मुख्य मुद्दा है। इस पहल से खाद्य मुद्रास्फीति, किसानों को मिलने वाली कम कीमत और कृषि उत्पाद के भडारण से जुड़े निवेश में कमी से जुड़ी समस्याओं से निपटने में मदद मिलेगी।
पिछले साल नवंबर में मंत्रिमंडल ने मल्टी ब्राड खुदरा कारोबार में 51 प्रतिशत एफडीआई और एकल ब्राड में शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी थी। बाद में सरकार के घटक दलों समेत अन्य पक्षों के भारी विरोध के बाद मल्टी ब्रांड खुदरा में 51 प्रतिशत एफडीआई पर अमल स्थगित कर दिया। (Jagran Hindi)
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