कृषि मंत्री शरद पवार ने सहकारी बैंकों का मुद्दा वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के समक्ष उठाने का फैसला किया है। करीब 70 जिला सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द होने का अंदेशा है।
कृषि मंत्री ने सोमवार को कहा कि वह इस मामले को वित्त मंत्री के समक्ष उठाएंगे, क्योंकि सहकारी बैंकों के बंद होने से खेतीबाड़ी के लिए ऋण सुलभ कराने के काम पर बुरा असर पड़ेगा।
संकटग्रस्त सहकारी बैंक ऋणों की वसूली नहीं कर पा रहे हैं और उनके समक्ष वित्तीय संकट बना हुआ है। पवार ने यहां खरीफ सम्मेलन के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने 70 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को नोटिस भेजकर कहा है कि यदि वे 30 मार्च तक रिकवरी पूरी करने और अपनी वित्तीय सेहत को सुधारने में असफल रहेंगे, तो उनके लाइसेंस वापस ले लिए जाएंगे।
कृषि मंत्री ने कहा कि यह समयसीमा नजदीक आ रही है, इसलिए वह वित्त मंत्री के साथ इसका कुछ हल निकालने का प्रयास करेंगे। पवार ने कहा कि यदि 70 सहकारी बैंकों और चार राज्य सहकारी बैंकों के लाइसेंस रद्द किए जाते हैं, तो इसका खेती के लिए रिण के वितरण पर ‘बुरा असर’ पड़ेगा।
ये बैंक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, बिहार और कुछ अन्य राज्यों में स्थित हैं। पवार ने कहा कि वाणिज्यिक बैंक ऋण उपलब्ध करा सकते हैं, पर इससे ज्यादा मदद नहीं मिलने वाली, क्योंकि जिला सहकारी बैंकों की पहुंच ग्रामीण स्तर तक होती है।
सरकार ने 2011-12 के वित्त वर्ष में 4,75,000 करोड़ रुपए के कृषि ऋण के वितरण का लक्ष्य रखा है। (Web Dunia)
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