बजट में कई तरह के कर लगाए जाने के बाद सोने की मांग हाजिर और वायदा बाजार में करीब-करीब थम गई है। तीन दिनों के बंद के बाद जब हाजिर बाजार खुले तो कारोबार की मात्रा करीब-करीब शून्य रही। इसी तरह वायदा बाजार में भी बजट के बाद कारोबार की मात्रा काफी कम हो गई है।
सोने का ज्यादातर कारोबार एमसीएक्स पर होता है, जहां बजट पेश किए जाने के दिन 18,573 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था, लेकिन आगे यह घटकर आधा रह गया। शनिवार को यह और कम हो गया। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि ऊंचे शुल्क के चलते हाजिर बाजार का वातावरण खराब हुआ है और पिछले पांच दिन से देश में सोने में किसी तरह की गतिविधियां नहीं देखने को मिली है। प्रोपले ज्वेल्स के निदेशक राजीव प्रोपले ने कहा - कारोबारी फिलहाल इससे दूर हट रहे हैं और यह वायदा बाजार में भी कारोबार की मात्रा पर प्रतिबिंबित हो रहा है।
आयात शुल्क से ज्यादा उन्हें आभूषण पर उत्पाद शुल्क और टीडीएस के प्रावधान खल रहे हैं और इससे कारोबार प्रभावित हुआ है। ज्यादातर उपभोक्ता और यहां तक कि कारोबारी व विनिर्माता भी नकदी पर सोने की खरीद कर रहे हैं। बजट में 1 फीसदी टीडीएस का प्रावधान किया गया है, लिहाजा कारोबार करीब-करीब थम गया है।
राजीव प्रोपले ने कहा कि देश भर के अग्रणी ज्वैलरों की सहमति से दिल्ली के ज्वैलर्स एसोसिएशन ने उत्पाद शुल्क का विरोध करने के लिए अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का फैसला किया है। जेम्स ऐंड ज्वैलरी फेडरेशन ने भी कर के विरोध में देश भर में कैंडल मार्च निकालना शुरू किया है।
जेम्स ऐंड ज्वैलरी फेडरेशन के चेयरमैन विनोद हायग्रीव ने कहा - सच्चाई यह है कि ज्वैलर उत्पाद शुल्क नहीं देना चाहते। फेडरेशन ने वित्त मंत्री व उनके सचिव से मुलाकात की थी और समस्याओं के बारे में बताया था। मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल से कहा कि वे वित्त सचिव के सामने अपनी समस्याएं रखें।
इस बीच, समस्याओं के समाधान की खातिर वित्त मंत्रालय ने स्पष्टीकरण जारी किया है। बयान में कहा गया है कि आभूषण बनाने वाले छोटे विनिर्माता अगर इसकी बिक्री अपने बीच करते हैं तो छूट का आंशिक लाभ उन्हें तभी मिलेगा जब उनकासालाना कारोबार 4 करोड़ रुपये से ज्यादा का न हो। पूरी छूट के लिए उनका सालाना कारोबार 1.5 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं होना चाहिए।
गौरतलब है कि जनवरी में सरकार ने सोने पर सीमा शुल्क 1 फीसदी से बढ़ाकर 2 फीसदी कर दिया था और अब मार्च में इसे बढ़ाकर 4 फीसदी कर दिया गया। इसके अलावा गैर ब्रांडेड गहनों पर उत्पाद शुल्क लगा दिया गया है। जिससे गहनों की कीमत 4 से 6 फीसदी बढ़ जाएंगी। (BS Hindi)
22 मार्च 2012
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