अगले छह महीनों में वैश्विक व घरेलू स्तर पर अल्यूमीनियम की मांग में बढ़ोतरी की संभावना है जिसे देखते हुए लंबी अवधि के लिए निवेशक अल्यूमीनियम में निवेश कर मुनाफा कमा सकते हैं। हालांकि घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में काफी समय से बेस मेटल्स में गिरावट दर्ज की जा रही है जो आगे भी जारी रहने की संभावना है।
चीन में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के आंकड़ों में गिरावट के साथ यूरो जोन के खराब आर्थिक आंकड़ों व मध्य-पूर्व में राजनीतिक अस्थिरता से शॉर्ट टर्म में अल्यूमीनियम की कीमतों में गिरावट रह सकती है। लेकिन लंबी अवधि के लिए इसमें निवेश करना फायदेमंद होगा।
कीमतों में गिरावट का रुख
घरेलू एक्सचेंज एमसीएक्स पर मार्च के शुरू से अब तक अल्यूमीनियम के हाजिर भावों में करीब 3 रुपये प्रति किलो की गिरावट दर्ज की गई है। एक मार्च को एमसीएक्स पर अल्यूमीनियम का बंद भाव 112.50 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया था जो शुक्रवार को शाम पांच बजे तक 110 रुपये प्रति किलो के स्तर पर रहा। एमसीएक्स शुक्रवार को इसके मार्च वायदा अनुबंध का भाव 110.20 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया। वहीं जून के वायदा अनुबंधों का भाव उच्चतम स्तर पर 115 रुपये प्रति किलो दर्ज किया गया।
विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक स्तर पर फिलहाल निर्माण क्षेत्र के आंकड़े बेहतर नहीं होने के कारण सभी बेस मेटल्स की कीमतों में गिरावट का रुख है। इसका असर अल्यूमीनियम की कीमतों पर भी है। घरेलू वायदा कारोबार में इस समय अल्यूमीनियम का भाव 110-111 रुपये प्रति किलो के इर्द-गिर्द चल रहा है।
शेअरखान कमोडिटी के विश्लेषक प्रवीण सिंह का कहना है कि निवेशक 107 रुपये प्रति किलो के भाव पर अल्यूमीनियम के लंबी अवधि वाले सौदों में खरीद कर सकते हैं। क्योंकि भविष्य में इसकी मजबूत मांग को देखते हुए इसके दाम 115 रुपये प्रति किलो के स्तर को छूने की संभावना है। यह निवेशकों के लिए फायदेमंद होगा।
एलएमई पर हाजिर मांग में वृद्धि
मांग व आपूर्ति के आधार पर देखा जाए तो फिलहाल वैश्विक स्तर पर चीन में इन्वेंट्री अधिक होने के कारण अल्यूमीनियम की आपूर्ति बहुत ज्यादा हो रही है। विश्लेषकों का कहना है कि इसकी घरेलू व वैश्विक मांग भी हेल्दी कही जा सकती है लेकिन आपूर्ति अधिक होने की वजह से कीमतों में मंदी का रुख है। लंदन मेटल एक्सचेंज (एलएमई) पर अल्यूमीनियम का कैंसल्ड वारंट बढ़ रहा है यानि इसकी हाजिर मांग तेजी से बढ़ रही है।
बढ़ेगी अल्यूमीनियम की मांग
घरेलू बाजार में पैकेजिंग, एयरक्राफ्ट मैन्यूफैक्चरिंग के अलावा मशीनरी के क्षेत्र में अल्यूमीनियम की मांग लगातार बढ़ रही है। चालू वर्ष में कार बनाने वाली कई कंपनियों ने भी उत्पादन बढऩे का अनुमान लगाया है। हवाई जहाज के निर्माण में भी बहुत ज्यादा ग्रोथ की संभावना देखी जा रही है। ऐसे में घरेलू बाजार में अल्यूमीनियम की मांग इस साल के अंत तक बहुत ज्यादा बढऩे की उम्मीद लगाई जा रही है।
विश्लेषकों के मुताबिक वैश्विक स्तर पर ऊर्जा क्षेत्र में दरें बढऩे के कारण सबसे बड़े उपभोक्ता चीन में अल्यूमीनियम की स्मेल्टिंग क्षमता 21 फीसदी तक कम हो गई है। इसके अलावा अमेरिका व यूरोप में होने वाली अल्यूमीनियम की स्मेल्टिंग भी बंद हो गई है। विश्व की कई प्रमुख कंपनियों ने भी अपनी उत्पादन क्षमता में कटौती की है।
पर्यावरणीय कारणों से भी वैश्विक स्तर पर अल्यूमीनियम का उत्पादन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में भविष्य में अल्यूमीनियम की मांग में बढ़ोतरी होने से इसकी कीमतों में तेजी आने की पूरी संभावना है।
घरेलू स्तर पर देखें तो अन्य बेस मेटल्स की तरह अल्यूमीनियम में निवेश को लेकर अन्य कारोबारियों की खास भागीदारी नहीं है। घरेलू बाजार में केवल अल्यूमीनियम में कारोबार करने वाले कारोबारी ही इसमें निवेश कर रहे हैं। कर्वी कॉमट्रेड के मेटल विश्लेषक सुमित मुखर्जी ने बताया कि घरेलू बाजार में अल्यूमीनियम के दाम ओलिगोपोली पर भी निर्भर रहते हैं।
यानि कुछ प्रमुख विक्रेताओं की ओर से दाम तय कर लिए जाते हैं। उन्होंने बताया कि घरेलू स्तर पर नाल्को, बाल्को व वेदांता कंपनियों की ओर से अल्यूमीनियम के भाव ओलिगोपोली के आधार पर तय किए जाते हैं। ये कंपनियां एमसीएक्स के भाव पर अल्यूमीनियम की बिक्री बाजार में नहीं करती हैं। (Business Bhaskar)
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