नई दिल्ली : कपास के निर्यात पर पाबंदी के मामले में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप की मांग करते हुए कृषि मंत्री शरद पवार ने मंगलवार को कहा कि वाणिज्य मंत्रालय के इस निर्णय को लेकर उनसे कोई परामर्श नहीं किया गया था।
पवार ने यहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की एक बैठक के दौरान पवार ने संवाददाताओं से कहा, मुझे इस मुद्दे पर अंधेरे में रखा गया। डीजीएफटी द्वारा सोमवार को अधिसूचना जारी होने के बाद ही मुझे इसके बारे में पता चला। उन्होंने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कपास निर्यात पर प्रतिबंध हटाने की मांग की है।
पवार ने कहा कि इस प्रकार के निर्णय से लाखों किसान प्रभावित होते हैं। ऐसे में इस तरह का फैसला या तो मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति या फिर कीमत पर मंत्रिमंडल समिति के बीच विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए था जैसा कि गेहूं तथा चीनी के मामले में किया जाता है।
फैसले को नुकसानदायक करार देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा मध्य प्रदेश के कपास उत्पादक परेशानी में है क्योंकि व्यापारियों ने निर्णय के बाद उनसे कपास खरीदना बंद कर दिया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने अधिसूचना में कहा, अगले आदेश तक कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाता है। इस कदम का उद्देश्य घरेलू आपूर्ति को बढ़ाना है।
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