05 सितंबर 2013
एनएसईएल मामले में जांच की दिशा भटकी!
एनएसईएल मामले में देश की तकरीबन सभी बड़ी वित्तीय जांच एंजेसियां जुटी हैं लेकिन अब तक कोई नतीजा सामने नहीं आया है और न ही जांच की दिशा साफ दिख रही है। एफएमसी केवल सुपरवाइजर की भूमिका में है। वित्त मंत्रालय की 2 कमेटियां अपनी जांच रिपोर्ट 12 सितंबर को पेश करेंगी, उसके बाद शायद कोई हल नजर आए। लेकिन इस संकट में फंसे ब्रोकर और इन्वेस्टर भी धरना-प्रदर्शन से आगे नहीं जा रहे हैं।
एन्फोर्समेंट डायरेक्टोरेट, इनकम टैक्स विभाग, मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा और एसएफआईओ जैसी एजेंसिया एनएसईएल मामले की जांच करीब 1 महीने से कर रही हैं लेकिन नतीजा अब तक कुछ नहीं है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले से इत्तेफाक रखने वाला एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट ये पता लगा रहा है कि जिग्नेश शाह की बनाए इस कमोडिटी एक्सचेंज के पैसे आखिर गए कहां, क्या हवाला के जरिए पैसे बाहर भेजे गए।
वहीं ईओडब्ल्यू एनएसईएल के पूर्व एमडी अंजनी सिन्हा सहित देनदारों की जांच कर रहा है। आयकर विभाग भी पीछे नहीं है। वो एनएसईएल के ब्रोकरों और उनके अकाउंट की जांच कर रही है। इस बीच गोदामों में माल नहीं होने के पक्के सबूत मिल चुके हैं। सरकार भी लगातार भरोसा दिला रही है कि वो इस मामले पर कड़ी नजर बनाए हुए है।
सवाल ये उठता है कि जांच में मिल रहे सबूतों के आधार पर अब तक कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है। कमोडिटी एक्सचेंज की सुपरवाइजरी करने वाला एफएमसी ये कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि अब मामला उसके हाथ में नहीं है। दिलचस्प है कि इसी एफएमसी ने 2 साल पहले से गड़बड़ के संकेत मिनिस्ट्री को दे दिए थे। फिर भी कार्रवाई में इतनी देर हुई। तो क्या इस मामले को जानबूझ कर दबाया जा रहा है।
करोड़ों रुपये गंवा चुके निवेशक भी एफआईआर दर्ज कराने से बच रहे हैं, उन्हें डर है कि अगर ये मामला कोर्ट में गया तो पैसे वसूलने में सालों लग जाएंगे। साथ ही उनके पैसों की भी जांच होगी। इसीलिए वो सरकार की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं। (Moneycantorl.com)
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