नई दिल्ली। उत्पादक इलाकों में बारिश नहीं होने से मूंगफली का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। ऐसे में देश में होने वाली मूंगफली के उत्पादन में करीब दो से ढाई लाख टन गिरावट आने की आशंका जताइ्र्र जा रही है।गौरतलब है कि कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के उत्पादक इलाकों में बारिश में कमी आई है। इन इलाकों में डिटपुट बारिश होने से मूंगफली का उत्पादन प्रभावित हो सकता है। बाजोरिया फैट्स एंड प्रोटीन्स के निदेशक संदीप बाजोरिया ने बताया कि कमजोर मानसून की वजह से मूंगफली के उत्पादन में करीब दो से ढाई लाख टन की गिरावट आ सकती है। पिछले साल के दौरान देश में खरीफ सीजन के दौरान करीब 52 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था। जबकि इस साल खराब मौसम की वजह से उत्पादन का स्तर करीब 50 लाख टन से भी कम रह सकता है। चालू साल के दौरान विभिन्न इलाकों में मूंगफली के रकबे में भी कमी आई है। पिछले साल आंध्रप्रदेश में करीब 14.46 लाख हैक्टेयर मे मूंगफली की बुवाई हुई थी। जबकि इस साल यहां मूंगफली का रकबा 13.94 लाख हैक्टेयर है। वहीं कर्नाटक में इस साल 5.99 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हुईहै। जबकि पिछले साल यहीां मूंगफली का रकबा 7.13 लाख हैक्टेयर था। हालांकि इस साल गुजरात में मूंगफली का रकबा बढ़ रहा है। अब तक यहां करीब 17.90 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हो चुकी है। जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान करीब 16.67 लाख हैक्टेयर में मूंगफली की बुवाई हुई थी। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष गोविंद भाई पटेल के मुताबिक राज्य के उत्पादक इलाकों में बेहतर बारिश होने की वजह से रकबा बढ़ा है। जिसका असर उत्पादन पर भी पड़ने की संभावना जताई जा रही थी। इसी वजह से कम रकबा के बावजूद पिछले साल के बराबर मूंगफली का उत्पादन होने का संभावना था। लेकिन देसर उत्पादक राज्यों में मानसून कमजोर पड़ने की वजह से उत्पादन में कमी की आशंका जताई जा रही है। हालांकि गुजरात में मूंगफली की बेहतर पैदावार के लिए सितंबर महीने के दौरान क म से कम दो अच्छी बारिश की जरुरत पड़ेगी। पिछले साल सितंबर महीने के दौरान यहां बारिश नहीं पाने की वजह से उत्पादन में मामूली गिरावट देखने को मिली थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2007-08 के दौरान रबी सीजन में करीब 18.8 लाख टन और खरीफ सीजन में करीब 74.8 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ है। इस साल 29 अगस्त तक करीब 172.94 लाख हैक्टेयर में तिलहनों की बुवाई हो चुकी है। जबकि पिछले साल इस अवधि के दौरान तिलहनों का रकबा 170.10 लाख हैक्टेयर था। ऐसे में माना यह जा रहा है कि यदि सितंबर महीने के दौरान मौसम साथ देता है तो आगामी सीजन के दौरान तिलहनों का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो सकता है। हांलाकि इस साल तिलहनों में महज सोयाबीन का रकबा बढ़ा और दूसर तिलहनों का घटा है। सोयाबीन के रकबे में करीब आठ लाख हैक्टेयर की बढ़त देखी जा रही है। इस साल करीब 95.19 लाख हैक्टेयर में सोयाबीन की बुवाई हुई है। जबकि पिछले साल सोयाबीन क रकबा करीब 87.2 लाख हैक्टेयर था। अरंडी के रकबे में भी मामूली बढ़त देखी जा रही है। पिछले साल के करीब 6.70 लाख हैक्टेयर के बजाय इस साल करीब 6.77 लाख हैक्टेयर में अरंडी की बुवाई हुई है। (Business Bhaksar)
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