नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत से बासमती का रिकार्ड उत्पादन होने की संभावना है। जुलाई में 165148 टन बासमती चावल निर्यात के लिए सर्टिफिकेट व्यापारियों को जारी किए जा चुके हैं। बासमती चावल निर्यात के लिए सर्टिफिकेट जारी करने वाले एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा) ने पिछले साल जुलाई में 84926 टन बासमती चावल निर्यात के लिए सर्टिफिकेट व्यापारियों को जारी किए थे।एपीडा के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक असित त्रिपाठी ने कहा कि इस साल 252 मिलियन डालर (1008 करोड़ रुपये) के मूल्य के बासमती चावल निर्यात के लिए 658 सर्टिफिकेट जारी किए गए हैं। पिछले साल 412 सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। बासमती चावल निर्यात के लिए सर्टिफिकेट एक तरह के अनिवार्य निर्यात मंजूरी है। त्रिपाठी ने कहा कि भारत के इस सुगंधित चावल की विश्व बाजार में अभूतपूर्व मांग निकल रही है।त्रिपाठी के अनुसार क्वालिटी के लिहाज से भारतीय बासमती बेजोड़ है। भारत के प्रमुख आयातकों में सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका, यमन, कनाडा, ईरान, जर्मनी, ओमान, दक्षिण अफ्रीका, फ्रांस, सीरिया, बेल्जियम और आस्ट्रेलिया शामिल हैं। उन्होंने बताया कि दुनिया के बासमती मार्केट में भारत की हिस्सेदारी 53 प्रतिशत है। उपभोक्ता आधार बढ़ाने के लिए क्रेता-विक्रेता कार्यक्रम और व्यापारिक शिष्टमंडल विदेश भेजे जा रहे हैं।त्रिपाठी ने कहा कि बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी से लगता है कि न्यूनतम निर्यात मूल्य बढ़ाकर 1200 डालर प्रति टन तय करने का सरकार का फैसला सही था। निर्यातकों ने आशंका जाहिर की थी कि सरकार के इस फैसले से निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। अप्रैल से जुलाई तक 3242 सर्टिफिकेट जारी करके 9 लाख बासमती निर्यात को मंजूरी दी गई। जबकि पिछले साल 4.12 लाख टन बासमती निर्यात के लिए 1666 सर्टिफिकेट जारी किए गए थे। त्रिपाठी के अनुसार 90 फीसदी सर्टिफिकेटों पर निर्यात किया गया है। (Business Bhaksar)
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