कोयंबटूर। अगस्त महीने के दूसर पखवड़े के दौरान कॉटन की कीमतों में कमोबेश नरमी देखी गई है। दक्षिण भारतीय दक्षिण भारतीय कॉटन संघ (एसआईसीए) के मुताबिक चालू सीजन की समाप्ति नजदीक आने की वजह से कीमतें ठहर सी गई हैं। एसआईसीए द्वारा जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक हालांकि पिछले साल इस अवधि के दौरान रुई की कीमतें तुलनात्मक रुप से तेज थीं। लेकिन चालू साल में अगस्त के दूसर पखवाड़े के दौरान पिछले महीनों की तुलना में भाव गिर हैं। आंकड़ों के मुताबिक इस दौरान पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में कपास के भाव कमोबेश पड़ रहे। इन मंडियों में देशी वेरायटी रुई की कीमत 2620-2700 रुपये प्रति मन (एक मन में 40 किलो) रहे। जबकि जे34 के भाव में मामूली बढ़त होने से यह 2750-2810 रुपये मन के भाव कारोबार किया। जे34 के नई फसल का भाव 2550-2650 रुपये मन रहा। उधर गुजरात में रुई के भाव में मामूली गिरावट आई है। राज्य के उत्पादक इलाकों में बारिश होने और फसल की स्थिति में सुधार होने की वजह से शंकर 6 कपास 27200-28000 रुपये कैंडी (356.6 किलो) रहा। वहीं वी797 का भाव 20,500-21000 रुपये कैंडी बोला गया। इस दौरान शंकर 6 की नई फसल का दाम गिरकर 24,000 रुपये कैंडी बोला गया। मध्यप्रदेश में मैक1/एच4 कपास का दाम 26,300-27,000 रुपये प्रति कैंडी रहा। यहां पर भी कपास की विभिन्न किस्मों के भाव में कोइ्र खास उतार-चढ़ाव नहीं हो सका है। वहीं महाराष्ट्र की मंडियोंमें कपास की कीमतें 27,500-28,200 रुपये कैंडी के स्तर पर देखी र्गइ। कर्नाटक में डीसीएच32 वेरायटी 32,500-33,000 रुपये प्रति कैंडी के भाव बिका। जबकि तमिलनाडु में कपास की कीमतों में तेजी की रुझान देखने को मिली है। घरलू बाजार में कीमतें बढ़ने की वजह से पिछले महीने केंद्र सरकार ने इसके आयात को शुल्क मुक्त कर दिया था। (Business Bhaksar)
01 सितंबर 2008
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