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07 अक्टूबर 2018

गांव के आधार पर होगा फसल नुकसान का आंकलन, बीमा योजना में हुए अहम बदलाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को किसान हितैषी बनाने के लिए दर्जनभर बदलाव किए हैं। नये बदलाव में किसानों को बीमा के जल्द से जल्द भुगतान पर जोर दिया गया है, अगर बीमा दावों का समय पर भुगतान नहीं हुआ फिर फिर बीमा कंपनियों के साथ-साथ राज्यों पर भी कार्रवाई होगी। पहली अक्टूबर 2018 से नए नियम लागू हो गए हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार भूटानी ने बताया कि पीएमएफबीवाई में किसानों के हितों के लिए कई अहम बदलाव किए गए हैं। इनमें फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े नई टेक्नोलॉजी से लिए जायेंगे साथ ही ब्लॉक या फिर तहसील के बजाए नुकसान का आकलन गांव या फिर पंचायत के आधार पर करने के अलावा नई योजना में ओलावृष्ठि, जलभराव, भूस्खलन जैसी आपदाओं में खेतवार फसल के नुकसान का आकलन होगा। इसके अलावसा नई योजना में फसल कटाई के बाद 14 दिन के अंदर खेत में पड़े रहने पर चक्रवात एव बेमौसम बारिश हुई क्षति का भी खेतवार आंकलन होगा, इसमें ओलावृष्टि को भी जोड़ दिया गया है।
देरी होने पर कंपनियों के साथ राज्य भी होंगे जिम्मेदार
उन्होंने बताया कि नये नियम के तहत बीमा दावों का भुगतान अगर समय पर नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी।
गैर कर्जदार किसानों तक पहुंच बढ़ायेंगे
आशीष कुमार भूटानी ने बताया कि पीएमएफबीवाई को और विस्तार देने के लिए गैर कर्जदार किसानों का बीमा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में जागरुकता अभियान भी चलाए जाएंगे। बीमा कपंनियों को गैर कर्जदार किसानों को पिछले सीजन की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा नामांकित करने का लक्ष्य दिया गया है।
बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में
अब बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में होंगी। इसके अलावा जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल नुकसान होने की स्थिति में भी बीमा कवर देने को इस योजना में जोड़ा गया है। इसे प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा।
पीएमएफबीवाई एक उपज आधारित कार्यक्रम है। इसमें किसानों से खरीफ फसलों के लिए दो प्रतिशत, सभी रबी फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत, वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत शुल्क लिया जाता है।.........    आर एस राणा

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