आर एस राणा
नई
दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी के दाम कम होने के कारण हमारे यहां से
निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं जबकि घरेलू बाजार में चीनी का बंपर उत्पादन
होने से आगे मुश्किल और बढ़ने वाली है। अत: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए
उद्योग के साथ ही सरकारी स्तर पर भी माथापच्ची शुरू हो गई है।
पड़ोसी
देशों को चीनी का निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने भी प्रयास तेज कर
दिए हैं। वाणिज्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के साथ ही खाद्य मंत्रालय के
सचिव वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और बंगलादेश का
दौरा करेंगे।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि
चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय के सचिवों की अध्यक्षता
में तीन टीमें गठित की गई हैं, जोकि वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पड़ोसी देशों
का दौरा करेंगे। उन्होंने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव
दक्षिण कोरिया के साथ ही चीन का दौरा करेंगे। वही कृषि सचिव संजय अग्रवाल
वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मलेशिया और खाद्य सचिव रविकांत बंगलादेश का दौरा
करेंगे।
बंगलादेश में खपत के मुकाबले उत्पादन काफी कम
उन्होनें
बताया कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुल 24 से 25 लाख टन चीनी की खपत होती
है, जबकि उसका उत्पादन केवल 75 हजार टन का ही होता है। अत: बाकी चीनी का
आयात किया जाता है। इसी तरह से अन्य देश भी बड़ी मात्रा में आयात करते हैं।
चालू पेराई सीजन में रिकार्ड 350 लाख टन उत्पादन का अनुमान
उद्योग
के अनुमार पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू सीजन में चीनी का रिकार्ड
उत्पादन 350 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में भी 325
लाख टन का बंपर उत्पादन हुआ था। बंपर उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में चीनी
का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 245
से 250 लाख टन की होती है।
बीते पेराई सीजन में केवल 6 लाख टन का हुआ था निर्यात
चीनी
कीमतों में सुधार लाने के लिए बीते पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने मिलों
को 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार
में कीमतें कम होने की वजह से मात्र 6 लाख टन चीनी का ही निर्यात किया जा
सका। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 50 लाख टन चीनी के
निर्यात का लक्ष्य है, जिसे पूरा करने की तैयारियों के लिए मिलों के साथ ही
केंद्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं।
रॉ-शुगर निर्यात पर जोर देगा उद्योग
उद्योग
के अनुसार चीनी उत्पादन में अग्रणी देश ब्राजील और थाईलैंड से भारत की
कड़ी प्रतिस्पर्धा है, लेकिन भारतीय चीनी उद्योग ने अपनी निर्यात नीति में
संशोधन करते हुए रॉ-शुगर के निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया है। व्हाईट चीनी
के बजाए विश्व के कई देशों में रॉ-शुगर की आयात मांग ज्यादा है। पड़ोसी
देश इंडोनेशिया, चीन, इरान और सूडान जैसे देशों में रॉ-शुगर को रिफाइन करने
के लिए रिफाइनरी लगा दी गई है।........ आर एस राणा
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