आर एस राणा
नई
दिल्ली। केंद्र सरकार ने भले ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
(पीएमएफबीवाई) को किसान हितैषी बनाने के लिए दर्जनभर बदलाव कर दिए हो लेकिन
पंजाब की खेती के लिए यह योजना अभी भी उपयुक्त नहीं है।
राज्य
के कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने आउटलुक को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा
चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमारे यहा की खेती के अनुकूल नहीं
है, इसलिए हमने इसे राज्य में लागू नहीं किया है। उन्होंने बताया कि पंजाब
में खेती का 100 फीसदी क्षेत्रफल सिंचित है, तथा जिस तरह के नुकसान की
भरपाई इस योजना में की जाती है, उसका असर पंजाब की खती पर न के बराबर होता,
इसलिए यह राज्यों के किसानों की हितैषी नहीं है।
उन्होंने बताया
कि हम राज्य स्तर पर एक योजना लाने की तैयारी कर रहे हैं, इसके लिए राज्य
के कृषि आयुक्त बलविंदर सिंह सिद्धू की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया
हुआ है, जो इस योजना पर काम रही है।
राज्य की प्रमुख फसलों में
गेहूं और धान है, इसके अलावा राज्य के किसान गन्ना, कपास और आलू के साथ ही
अन्य सब्जियों की खेती भी करते हैं। सूत्रों के अनुसार पंजाब में करीब
42.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। राज्य के कुल सिंचित क्षेत्र
में से 60 प्रतिशत की सिंचाई निजी और सरकारी टयूबवैलों से और 40 प्रतिशत
क्षेत्र की सिंचाई नहरों से होती है।
केंद्र सरकार के अनुसार
पीएमएफबीवाई योजना को 27 राज्यों ने अपने यहां लागू किया हुआ है। ऋणी
किसानों के अलावा केंद्र सरकार गैर-ऋणी किसानों की फसलों के बीमा के लिए भी
अनेक कदम उठा रही है।
केंद्र सरकार ने पीएमएफबीवाई को किसान
हितेषी बनाने के लिए फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े नई टेक्नोलॉजी से लेने के
साथ ही प्राकृतिक आपादओं से हुए नुकसान का आकलन ब्लॉक या फिर तहसील के बजाए
गांव या फिर पंचायत के आधार पर करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा नई
योजना में ओलावृष्ठि, जलभराव, भूस्खलन से होने वाले नुकसान की भरपाई भी की
जायेगी।
नये नियमों के तहत बीमा दावों का भुगतान अगर समय पर नहीं
हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित
अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा
कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से
राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के
अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें
12 फीसदी ब्याज देंगी।...... आर एस राणा
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