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19 अक्तूबर 2018

मात्रात्मक प्रतिबंध के बावजूद हो रहा है दलहन आयात, अगस्त तक 8.12 लाख टन आयातित दालें आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दालों का आयात रोकने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही मात्रात्मक प्रतिबंध तो लगा रखा है लेकिन इस सब के बावजूद भी दालों का आयात निरंतर जारी है। अप्रैल से अगस्त के दौरान 8.12 लाख टन दालें भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी हैं।
अप्रैल से अगस्त के दौरान 8.12 लाख टन का हुआ आयात
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान दालों का आयात 71 फीसदी घटकर 8.12 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका आयात 28.2 लाख टन का हुआ था।
चन्नेई बंदरगाह पर हो रहा है आयात
दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने भले ही अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन आयातक पहले के आयात सौदे और 100 फीसदी एडवांस पैमेंट के आधार पर आयात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चन्नेई बंदरगाह पर लगातार आयातित उड़द पहुंच रही है।
केंद्र सरकार को लिखा है पत्र
दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहां कि हमने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर आयात हो रही दालों की जानकारी मांगी है। म्यांमार और अफ्रीका से रहा है दालों का आयात बराबर हो रहा है जबकि केंद्र सरकार द्वारा तय की गई मात्रा पहले ही पूरी हो चुकी है।
तय मात्रा का पहले ही हो चुका है आयात
केंद्र सरकार ने अरहर, मूंग और उड़द के आयात की जहां 5 लाख टन की मात्रा तय कर रखी है वहीं चना और मसूर के आयात पर आयात शुल्क में क्रमश: 50 फीसदी और 30 फीसदी तय रखा है। इसके अलावा मटर के आयात की मात्रा भी एक लाख टन 31 दिसंबर 2018 तक तय कर रखी है।
वित्त वर्ष 2016-17 में हुआ था रिकार्ड आयात
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान दालों का कुल आयात 56.07 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 66.09 लाख टन का आया हुआ था। इस दौरान कुल दलहन आयात में मटर की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी थी। 
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में देश में दलहन की रिकार्ड पैदावार 252.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 231.3 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। पैदावार ज्यादा होने के कारण ही घरेलू बाजार में दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई हैं।.............  आर एस राणा

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