नई दिल्ली September 04, 2008
खुले बाजार में गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने की खातिर केंद्र सरकार ने तय किया है कि वह राज्य सरकारों को 10 लाख टन गेहूं की बिक्री करेगी।
विभिन्न मंत्रालयों के सचिवों की अध्यक्षता में गठित एक समिति ने बुधवार को इस संबंध में निर्णय लिया। सूत्र के मुताबिक, राज्यों की जनसंख्या के आधार पर तय किया जाएगा कि किसी राज्य को कितना गेहूं दिया जाए। जबकि केंद्र राज्य सरकारों को किस भाव पर गेहूं उपलब्ध कराए, यह तय करने की जिम्मेदारी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को सौंपी गई है। इस बात की पूरी उम्मीद है कि एफसीआई द्वारा तय किया जाने वाला भाव 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य सहित लुधियाना स्थित गेहूं के मुख्य गोदाम से विभिन्न राजधानियों तक के माल भाड़े के योग से अधिक ही रहेगा।अनुमान है कि इस योजना के तहत दिल्ली में 1,027 रुपये, मुंबई में 1,126 रुपये, कोलकाता में 1,126 रुपये और चेन्नई में 1,164 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं बेचा जाएगा। वैसे गेहूं का ये भाव सब्सिडी के चलते होगा। एफसीआई में बगैर सब्सिडी के एक क्विंटल गेहूं का भाव इस समय 1,500 रुपये के आसपास पर चल रहा है। केंद्र से गेहूं मिलने के बाद राज्य सरकार विभिन्न एजेंसियों के जरिए उसे खुदरा उपभोक्ताओं तक पहुंचाती है। विश्लेषकों के अनुसार, आगामी त्योहारी मौसम में गेहूं की कीमतों में कमी करने के मद्देनजर सरकार ने ये कदम उठाए हैं। उल्लेखनीय है कि थोक मूल्य सूचकांक में गेहूं का योगदान 1.38 फीसदी का होता है। हालांकि पिछले कुछ हफ्तों से यह 12 फीसदी के ऊपर चला गया है। दिल्ली के थोक बाजार में फिलहाल गेहूं का थोक भाव 1,100 से 1,200 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा है। जबकि दक्षिण भारत में गेहूं थोक में 1,500 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास मिल रहा है।वैसे अभी-अभी बीते रबी सीजन में 2.25 करोड़ टन गेहूं की रेकॉर्ड खरीदारी हुई है जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। 1 अगस्त तक देश के केंद्रीय पूल में 2.438 करोड़ टन गेहूं जमा था। विशेषज्ञों ने आशंका जतायी थी कि गेहूं की रेकॉर्ड खरीद होने के बाद हो सकता है खुले बाजार में गेहूं की कमी हो जाए लिहाजा कीमतों में कमी के लिए सरकार को खुले बाजार में गेहूं उतारना चाहिए। (BS Hindi)
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