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28 अक्टूबर 2018

शुरूआती चरण में रबी फसलों की बुवाई पिछड़ी, तिलहनों की बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में फसलों की बुवाई शुरूआती चरण में पिछे चल रही है, हालांकि नवंबर में इनकी बुवाई में तेजी आने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय के अनुसार देशभर में अभी तक 30.23 लाख हैक्टेयर में ही रबी फसलों की बुवाई हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 46.47 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी।
चना समेत अन्य दलहन की बुवाई पिछे
मंत्रालय के अनुसार रबी में दालों की बुवाई अभी तक केवल 7.30 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 24.17 लाख हैक्टेयर में दलहन की बुवाई हो चुकी थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई 5.50 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले रबी सीजन की समान अवधि में इसकी बुवाई 17.67 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। अन्य दालों में मसूर की बुवाई 38 हजार हैक्टेयर में और मटर की 24 हजार हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई क्रमश: 3.14 और 2.27 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
सरसों की बुवाई में बढ़ोतरी
रबी तिलहनी फसलों की बुवाई में जरुर बढ़ोतरी हुई है, इनकी बुवाई चालू रबी में बढ़कर 14.61 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक इनकी बुवाई केवल 8.60 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई बढ़कर 13.40 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.06 लाख हैक्टेयर में ही सरसों की बुवाई हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में अभी तक 65 हजार हैक्टेयर में ही हुई है।
मोटे अनाजों की बुवाई भी पिछे
मोटे अनाजों की बुवाई भी चालू रबी सीजन में अभी तक केवल 5 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 9.47 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई 3.98 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक इसकी बुवाई 8.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी थी।
गेहूं की बुवाई आगे, धान की पीछे
रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई 18 हजार हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि पिछले साल की समान अवधि के 2 हजार हैक्टेयर से ज्यादा है। धान की रोपाई चालू रबी में घटकर 3.13 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.22 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।......  आर एस राणा

खेती की लागत में कमी के साथ किसानों की आय बढ़ाने पर जोर-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। खेती से प्राप्त आय किसानों की आजीविका का मुख्य साधन है, इसलिए केंद्र सरकार खेती की लागत में कमी लाने के साथ ही किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दे रही है।
केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने शुक्रवार को लखनऊ में आयोजित कृषि कुम्भ के उद्घाटन समारोह में कहा कि किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कृषि बजट में 74.5 फीसदी की बढ़ोतरी की गई। वर्ष 2009-2014 के लिए कृषि बजट 1,21,082 करोड़ रुपये जारी किया गया था जिसे वर्ष 2014-19 के दौरान बढ़ाकर 2,11,696 करोड़ रुपये किया गया। 
स्वाइल हेल्थ कार्ड से मिल रहा है फायदा
उन्होंने कहा कि स्वाइल हेल्थ कार्ड से किसानों को यह तय करने में आसानी होती है कि उनकी जमीन कौन सी फसल के लिए उपयुक्त रहेगी व कौन सा उर्वरक कितनी मात्रा में खेत में डालना जरूरी है, इससे धन की तो बचत होती ही है साथ ही फसल की उत्पादकता भी बढ़ती है। 
जैविक खेती को बढ़ावा
उन्होंने कहा कि देश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) को लागू किया गया है। जैविक खेती से किसानों की आय में बढ़ोतरी हुई है, तथा देश के पूर्वोत्तर राज्यों में जैविक खेती की संभावना को देखते हुए मिशन जैविक खेती आरंभ की गई है।
फसलों के एमएसपी में भारी बढ़ोतरी
कृषि मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) से मंडियों को जोड़ा गया है। ई-नाम पोर्टल द्वारा इलैक्ट्रोनिक रुप से मंड़ियों में कामकाज शुरू होने से किसानों को फसलें बेचने के लिए उचित मूल्य मिलने में आसानी होती है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार ने खरीफ और रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए फसलों के एमएसपी में भारी बढ़ोतरी की है।
पीएमएफबीवाई से किसानों को फायदा
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) से किसानों को जोखिम से बचने में मदद मिल रही है, तथा न्यूनतम प्रीमियम पर फसलों का बीमा किया जा रहा है। पीएमएफबीवाई में ऋणी किसान के अलावा गैर-ऋणी किसानों को भी शामिल किया जा रहा है।....... आर एस राणा

अगले चार वर्ष में 28 लाख किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाने की योजना-प्रधानमंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि किसान अब अन्नदाता के साथ ही ऊर्जादाता भी बन रहा है। किसान को ऊर्जादाता बनाने के तहत आने वाले चार वर्षों में देश भर में करीब 28 लाख किसानों के खेतों में सोलर पंप लगाने का अभियान चलाया जायेगा।
 प्रधानमंत्री ने लखनऊ में आयोजित तीन दिवसीय कृषि कुंभ के वीडियो क्रॉन्फ्रेंसिंग से उदघाटन के मौके पर कहा कि किसानों को अनुसंधान केंद्रों से जोड़ने का काम किया जा रहा है ताकि जो भी खोज हो, उसकी जानकारी कम से कम समय में किसानों तक पहुंच सके। इसके लिए देश के 700 कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) को बड़ी भूमिका दी गई है।
इजराइल और जापान की तकनीक से मिलेगा फायदा
उन्होंने कहा कि इजराइल को सिंचाई के नए तरीकों में महारत हासिल है, साथ ही जापान भी कृषि से जुड़ी तकनीक के मामले में व्यापक कार्य कर रहा है। कृषि कुंभ का पार्टनर होने के कारण किसानों को इन दोनों देशों से लाभ मिलने वाला है। सिंचाई की व्यवस्था को भी काफी मजबूत किया जा रहा है। सिंचाई की नई तकनीकी को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ड्राप-मोर क्रॉप के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
किसान देश को आगे ले जा रहा है
पीएम मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 में जब देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होंगे, देश के किसान की आय दोगुनी हो, इसके लिए सरकार संकल्पबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारा स्पष्ट मत है कि किसान को कोई आगे नहीं लाता। बल्कि हमारा किसान है जो देश को आगे ले जाता है। यूपी में हो रहे प्रयास केंद्र सरकार की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है जिसमें गांव व किसान हमारे आर्थिक चिंतन का प्रखर हिस्सा बने।
बीज से लेकर बाजार तक मजबूत व्यवस्था पर जोर
उन्होंने कहा कि देश भर में 16 करोड़ से अधिक स्वाइल हेल्थ कार्ड जारी किए गए हैं और इनमें से करीब तीन करोड़ स्वाइल हेल्थ कार्ड अकेले उत्तर प्रदेश में बांटे गए हैं। इससे किसानों को यह तय करने में आसानी होती है कि उनकी जमीन कौन सी फसल के लिए उपयुक्त रहेगी व कौन सा फर्टिलाइजर कितनी मात्रा में डालना जरूरी है। खेती में वैज्ञानिक तरीकों का अभूतपूर्व समावेश किया जा रहा है। बीज से लेकर बाजार तक की एक मजबूत व्यवस्था देश में तैयार की जा रही है। मिट्टी की सेहत से लेकर मंडियों में सुधार को लेकर अनेक कदम उठाए जा रहे हैं।
मछली उत्पादन से जुड़े किसानों के लिए नए फंड को दी मंजूरी
पीएम मोदी ने कहा कि दो दिन पूर्व ही मछली उत्पादन से जुड़े किसानों के लिए सरकार ने बहुत बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने 7500 करोड़ रुपये के एक नए फंड को मंजूरी दे दी है। टमाटर, आलू व प्याज की पैदावर के वैल्यू एडिशन के लिए योजना का ऐलान किया गया है। इससे यूपी के आलू किसानों को काफी लाभ मिलेगा। इससे कृषि क्षेत्र में निवेश के रास्ते भी खुलेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार आलू की खरीद करेगी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मुझे यह जानकर भी खुशी हुई कि उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार आलू खरीदने का भी फैसला किया है। इससे निश्चित तौर पर उन किसानों को लाभ मिलने वाला है जिनको आलू का उचित दाम नहीं मिलता था। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में गन्ने की खरीद प्रक्रिया को लेकर भी परिवर्तन स्पष्ट दिख रहा है। इस सीजन का करीब 27 हजार करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किसानों को किया जा चुका है। इतना ही नहीं, पिछले बकाए में भी 11 हजार करोड़ रुपये किसानों को दिए जा चुके हैं।
यूपी के किसान उत्पादन का बना रहे हैं नया रिकार्ड
प्रधानमंत्री ने कहा कि यूपी के किसान उत्पादन का नया रिकार्ड बना रहे हैं। इनके साथ ही प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार खरीद का भी रिकार्ड तोड़ती जा रही है। उन्होंने कहा कि इस बार उत्तर प्रदेश में लगभग 50 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है, जबकि पहले की सरकारों में मात्र सात या आठ लाख मीट्रिक टन की ही खरीद होती थी।.............  आर एस राणा

सरकार बना रही योजना, जगह-जगह बनेंगे विशेष कृषि निर्यात जोन

आर एस राणा
नई दिल्ली। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य हासिल करने के लिए देशभर में विशेष कृषि निर्यात जोन बनाए जाएंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारत की स्थिति को मजबूत बनाने के लिए सरकार जल्द ही राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति की घोषणा करेगी, जिसका मसौदा लगभग तैयार हो चुका है।
कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर 50 हजार करोड़ का लक्ष्य
केंद्रीय वाणिज्य मंत्री सुरेश प्रभु ने इस सेक्टर से जुड़े एक समारोह में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में जैविक उत्पादों की सर्वाधिक मांग है। भारत में सालाना 60 करोड़ टन कृषि और बागवानी उत्पादों की पैदावार होती है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति में किसानों की आमदनी को दोगुना करने के उपायों को शामिल किया जाएगा। कृषि उत्पादों का मौजूदा निर्यात 22 हजार करो़ड़ रुपये है, जिसे बढ़ाकर 50 हजार करोड़ रुपये पर पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
जैविक कृषि उत्पादों की पैदावार में बढ़ोतरी पर जोर
वैश्विक बाजार में भारत की कृषि निर्यात हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए जैविक कृषि उत्पादों की पैदावार में बढ़ोतरी पर जोर होगा। प्रस्तावित विशेष कृषि निर्यात जोन को देश के विभिन्न बंदरगाहों और हवाई अड्डों से जोड़ा जाएगा। राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति के मसौदे में इसे शामिल करते हुए कृषि में जैविक उत्पादों को विशेष प्रोत्साहन किया जाएगा। भारत को जैविक कृषि उत्पादों का केंद्र बनाने की योजना है, जिसके तहत विभिन्न क्षेत्रों में परंपरागत खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
कृषि उत्पादों की क्षति को रोकना मकसद
राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति का मसौदा कृषि, खाद्य प्रसंस्करण और वाणिज्य मंत्रालय संयुक्त रुप से तैयार कर रहे हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के सहयोग से कृषि उत्पादों की क्षति को रोका जा सकता है। एक आंकड़े के मुताबिक कृषि उपज का 30 फीसद हिस्सा प्रसंस्करण के अभाव में सड़ अथवा नष्ट हो जाता है। आने वाली नई निर्यात नीति से उसका संरक्षण किया जा सकता है।
संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे खाड़ी देशों के संपर्क में
भारत संयुक्त अरब अमीरात और ओमान जैसे खाड़ी देशों से संपर्क में है, जहां कृषि उत्पादों की बहुत मांग है। चावल निर्यात के लिए चीन से बातचीत जारी है। भारत लंबे समय बाद सरसों की खेप चीन को भेज रहा है। वर्ष 2017-18 में देश में 17 लाख टन जैविक कृषि उत्पादों की उपज हुई थी, जिसमें तिलहन, गन्ना, मोटे अनाज, कपास, दालें, जड़ी-बूटी, चाय, फल और मसाले प्रमुख थे। इस समय देश में जैविक खेती करने वाले राज्यों में मध्य प्रदेश पहले स्थान पर है, जिसके बाद महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और राजस्थान का नाम है। .....  आर एस राणा

विश्व बाजार में चीनी के दाम कम, निर्यात को लेकर माथापच्ची शुरू

आर एस राणा
नई दिल्ली। विश्व बाजार में चीनी के दाम कम होने के कारण हमारे यहां से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं जबकि घरेलू बाजार में चीनी का बंपर उत्पादन होने से आगे मुश्किल और बढ़ने वाली है। अत: निर्यात को बढ़ावा देने के लिए उद्योग के साथ ही सरकारी स्तर पर भी माथापच्ची शुरू हो गई है। 
पड़ोसी देशों को चीनी का निर्यात बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने भी प्रयास तेज कर दिए हैं। वाणिज्य मंत्रालय और कृषि मंत्रालय के साथ ही खाद्य मंत्रालय के सचिव वरिष्ठ अधिकारियों के साथ चीन, दक्षिण कोरिया, मलेशिया और बंगलादेश का दौरा करेंगे।
खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीनी के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए मंत्रालय के सचिवों की अध्यक्षता में तीन टीमें गठित की गई हैं, जोकि वरिष्ठ अधिकारियों के साथ पड़ोसी देशों का दौरा करेंगे। उन्होंने बताया कि वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के सचिव दक्षिण कोरिया के साथ ही चीन का दौरा करेंगे। वही कृषि सचिव संजय अग्रवाल वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मलेशिया और खाद्य सचिव रविकांत बंगलादेश का दौरा करेंगे।
बंगलादेश में खपत के मुकाबले उत्पादन काफी कम
उन्होनें बताया कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में कुल 24 से 25 लाख टन चीनी की खपत होती है, जबकि उसका उत्पादन केवल 75 हजार टन का ही होता है। अत: बाकी चीनी का आयात किया जाता है। इसी तरह से अन्य देश भी बड़ी मात्रा में आयात करते हैं।
चालू पेराई सीजन में रिकार्ड 350 लाख टन उत्पादन का अनुमान
उद्योग के अनुमार पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 350 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले पेराई सीजन में भी 325 लाख टन का बंपर उत्पादन हुआ था। बंपर उत्पादन के कारण घरेलू बाजार में चीनी का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ है। देश में चीनी की सालाना खपत करीब 245 से 250 लाख टन की होती है।
बीते पेराई सीजन में केवल 6 लाख टन का हुआ था निर्यात
चीनी कीमतों में सुधार लाने के लिए बीते पेराई सीजन में केंद्र सरकार ने मिलों को 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति दी थी, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने की वजह से मात्र 6 लाख टन चीनी का ही निर्यात किया जा सका। पहली अक्टूबर से शुरू हुए चालू पेराई सीजन में 50 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य है, जिसे पूरा करने की तैयारियों के लिए मिलों के साथ ही केंद्र सरकार ने प्रयास तेज कर दिए हैं।
रॉ-शुगर निर्यात पर जोर देगा उद्योग
उद्योग के अनुसार चीनी उत्पादन में अग्रणी देश ब्राजील और थाईलैंड से भारत की कड़ी प्रतिस्पर्धा है, लेकिन भारतीय चीनी उद्योग ने अपनी निर्यात नीति में संशोधन करते हुए रॉ-शुगर के निर्यात को बढ़ाने पर जोर दिया है। व्हाईट चीनी के बजाए विश्व के कई देशों में रॉ-शुगर की आयात मांग ज्यादा है। पड़ोसी देश इंडोनेशिया, चीन, इरान और सूडान जैसे देशों में रॉ-शुगर को रिफाइन करने के लिए रिफाइनरी लगा दी गई है।........  आर एस राणा

चीन ने चावल आयात हेतु पांच मिलों को और दी मंजूरी, कुल 24 मिलें कर सकेंगी निर्यात

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन ने भारत से गैर-बासमती चावल के आयात के लिए पांच और चावल मिलों को मंजूरी दे दी है जिससे अब 24 चावल मिलें चीन को निर्यात कर सकेंगी। चीन को 100 टन गैर-बासमती चावल की पहले खेप सितंबर में महाराष्ट्र के नागपुर से भेजी जा चुकी है।
19 चावल मिलों को पहले ही मिल चुकी थी मंजूरी
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार गैर-बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए चालू वर्ष के मई में भारत से एक प्रतिनिधिमंडल चीन गया था, उस समय चीन ने 19 चावल मिलों को गैर—बासमती चावल के आयात को मंजूरी दी थी।
पहले केवल बासमती चावल का करता था आयात
इससे पहले चीन ने भारत से केवल बासमती चावल की खरीद को ही मंजूरी दी हुई थी लेकिन दोनों देशों ने जून में फाइटो-सैनिटरी से संबंधित प्रोटोकॉल पर करार किया था। यह प्रोटोकॉल भारत से चीन को गैर बासमती चावल का निर्यात करने के लिए आवश्यक है।
चीन के कानूनों एवं प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य
प्रोटोकॉल के तहत भारत से जाने वाली खेप को चीन के कानूनों एवं प्रावधानों का पालन करना होगा। भारत को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि चीन को चावल निर्यात करने वाली प्रसंस्करण एवं भंडारण इकाइयां ट्रोगोडर्मा ग्रैनेरियम और प्रोस्टेफानुस ट्रंकेटस जैसी कीटनाशक दवाओं तथा जीवित कीटों से मुक्त हों।
मात्रा के हिसाब से गैर-बासमती चावल के निर्यात में आई कमी
एपीडा के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान भारत से गैर-बासमती चावल का 31.74 लाख टन का निर्यात हुआ है जोकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 के 34.08 लाख टन से कम है।
मूल्य के हिसाब से निर्यात बढ़ा
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 8,906 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में 8,894 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।......  आर एस राणा

सूखे की मार मूंगफली की फसल पर, उत्पादन 15.40 लाख टन कम होने का अनुमान : उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख मूंगफली उत्पादक राज्य गुजरात के कई जिलों में सूखे जैसे हालात बनने से चालू खरीफ में इसकी पैदावार में भारी कमी का अनुमान है। उद्योग द्वारा जारी पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार मूंगफली का उत्पादन घटकर 37.35 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में 52.75 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
गुजरात में उत्पादन आधा होने का अनुमान
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि चालू खरीफ में मानसूनी बारिश गुजरात के कई जिलों में सामान्य से कम होने के कारण मूंगफली की प्रति हैक्टेयर पैदावार में कमी आने की आशंका है। गुजरात में पिछले साल मूंगफली का उत्पादन 31.45 लाख टन का हुआ था, जबकि चालू खरीफ में इसका उत्पादन घटकर 15.95 लाख टन ही होने का अनुमान है।
राजस्थान में उत्पादन बढ़ने की उम्मीद
एसईए के अनुसार अन्य राज्यों तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में चालू खरीफ में मूंगफली का उत्पादन 3.40 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में 3.60 लाख टन मूंगफली का उत्पादन हुआ था। हालांकि राजस्थान में चालू खरीफ में मूंगफली का उत्पादन पिछले साल के 8 लाख टन से बढ़कर 8.20 लाख टन होने का अनुमान है। चालू फसल सीजन 2018-19 में महाराष्ट्र में 1.40 लाख टन, मध्य प्रदेश में 1.90 लाख टन, कर्नाटक में 2.65 लाख टन और तमिलनाडु में 1.40 लाख टन का उत्पादन होने का अनुमान है।
बुवाई में आई कमी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू खरीफ में मूंगफली की बुवाई घटकर 40.14 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी, जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 41.49 लाख हैक्टेयर में हुई थी।............ आर एस राणा

चीन ने हटाई रोक, पर अभी सरसों डीओसी के निर्यात सौदे होने की उम्मीद कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीन ने भारत से सरसों डीओसी के आयात पर लगी रोक को तो हटा लिया है, लेकिन निर्यात सौदे शुरू होने में अभी करीब 3 से 4 महीने का समय लग सकता है। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर 6,01,105 टन का हो चुका है।
सॉलवेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशनआॅफ इंडिया (एसईए) के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि चीन ने सरसों डीओसी के आयात पर लगी रोक को तो हटा लिया है लेकिन भारत से नए निर्यात सौदे में होने में अभी 3 से 4 महीने का समय लग सकता है। उन्होंने बताया कि नए निर्यात संबंधी नियमों की जानकारी के लिए हमने वाणिज्य मंत्रालय को पत्र लिखा है।
उन्होंने बताया कि साल 2011 तक भारत से चीन को सालाना करीब 3 से 4 लाख टन सरसों डीओसी का निर्यात हो रहा था, लेकिन वर्ष 2012 में चीन ने भारत से आयात पर रोक लगा दी थी। चीन इस समय कनाडा से सरसों डीओसी का आयात कर रहा है, जबकि कनाडा के मुकाबले भारत से सरसों डीओसी का आयात चीन को सस्ता पड़ेगा। पड़ौसी देश होने के कारण भारत से परिवहन लागत कम आयेगी।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में चीन ने भारत की पांच तेल मिलों को सरसों डीओसी के लिए हरी झंडी दे दी थी, लेकिन उन मिलों को भी निर्यात सौदों के लिए आगे की कार्यवाही के लिए 2 से 3 महीने का समय लगने की उम्मीद है।
एसईए के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान सरसों डीओसी का निर्यात बढ़कर 6,01,105 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 3,00,627 टन का ही हुआ था।
सरसों डीओसी के भाव भारतीय बंदरगाह पर सितंबर में औसतन 225 डॉलर प्रति टन रहे जबकि अगस्त में इसके भाव 215 डॉलर प्रति टन थे। राजस्थान में सरसों डीओसी के भाव बुधवार को 20,000 रुपये प्रति टन एक्स फैक्ट्री रहे।..............  आर एस राणा

महीनेभर की देरी से, पीएम आशा के तहत पांच राज्यों में दलहन की खरीद को मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने खरीफ फसलों की आवक शुरू होने के महीनाभर बाद पांच राज्यों से प्रधानमंत्री आशा खरीद योजना के तहत दलहन की खरीद को मंजूरी दे दी है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई), नेफेड के साथ राज्य सरकारों की खरीद एजेंसियों के सहयोग से आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान से दालों की खरीद करेगी।
कुल उत्पादन के 25 फीसदी की होगी खरीद
एफसीआई के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार इन राज्यों से दालों की खरीद मूल्‍य समर्थन योजना (पीएसएस) के माध्यम से की जायेगी, तथा कुल उत्पादन की केवल 25 फीसदी दालों की खरीद की जायेगी, अगर 25 फीसदी से ज्यादा खरीद करनी है, तो उसकी भरपाई राज्य सरकार को करनी होगी। उन्होंने बताया कि एक किसान से एक दिन में केवल 50 बोरी (एक बोरी-50 किलो) दलहन की खरीद ही की जायेगी।
किसानों के आधार कार्ड आदि की जांच का जिम्मा राज्यों का
किसानों से दालों की खरीद के लिए आधार कार्ड, बैंक खाता और जमीन के कागजात आदि की जांच का जिम्मा राज्य सरकारों की एजेंसियों का है। उन्होंने बताया कि कृषि मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी पीएम आशा योजना के तहत दालों खरीद की जायेगी।
उत्पादक मंडियों में भाव समर्थन मूल्य से नीचे
खरीफ फसलों की आवक अक्टूबर के आरंभ में मंडियों में शुरू हो जाती है, तथा सरकारी खरीद के अभाव में किसानों को दलहनी फसलें मूंग और उड़द उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से 1,500 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक नीचे भाव पर बेचने पर मजबूर होना पड़ रहा है। केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए मूंग का एमएसपी 6,975 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में मूंग 5,000 से 5,500 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। इसी तरह से उड़द का एमएसपी 5,600 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि उत्पादक मंडियों में उड़द 4,000 से 4,400 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में दिसंबर में बनेगी।
उत्पादन में कमी की आशंका
चालू खरीफ सीजन 2018-19 दालों की पैदावार घटकर 92.2 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इनका उत्पादन 93.4 लाख टन का हुआ था।...... आर एस राणा

समर्थन मूल्य पर 55.48 लाख टन चावल की हो चुकी है खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 55.48 लाख टन चावल की सरकारी खरीद हो चुकी है जिसमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी हरियाणा की 28.55 लाख टन है।
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार पंजाब से चालू खरीफ सीजन में 22 अक्टूबर तक 26.18 लाख टन चावल की खरीद हुई है, इसके अलावा अन्य राज्यों में तेलंगाना से 0.31 लाख टन, तमिलनाडु से 0.32 लाख टन और उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से क्रमश: 0.01 और 0.03 लाख टन की खरीद की है।
खरीद का लक्ष्य पिछले साल से कम
केंद्र सरकार ने चालू खरीफ विपणन सीजन में समर्थन मूल्य पर 370 लाख टन चावल की सरकारी खरीद का लक्ष्य तय किया है जबकि पिछले खरीफ सीजन में एमएसपी पर 381.84 लाख टन धान की खरीद की थी।
एमएसपी में की बढ़ोतरी
केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए धान के एमएसपी में 180 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी कर कॉमन धान का एमएसपी 1,750 रुपये और ग्रेड-ए धान का एमएसपी 1,770 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। .......  आर एस राणा

22 अक्टूबर 2018

नए प्याज की दैनिक आवक बढ़ने लगी, घटेंगी कीमतें

आर एस राणा
नई दिल्ली। राजस्थान की अलवर लाईन से नए प्याज की आवक बढ़ने से शनिवार को दिल्ली की आजादपुर थोक मंडी में इसके भाव में 2 रुपये की गिरावट आकर भाव 12 से 21 रुपये प्रति किलो रह गए। मध्य प्रदेश के साथ ही नवंबर में गुजरात से नए प्याज की आवक बढ़ेगी, इसलिए मौजूदा कीमतों में और गिरावट आने की संभावना है।
पोटैटो एंड अनियन मर्चेंट एसोसिएशन (पोमा) के प्रेसिडेंट राजेंद्र शर्मा ने बताया कि नवरात्रों के समय प्याज की खपत कम हो जाती है, इसलिए व्यापार कम होने से दैनिक आवक भी कम हो जाती है। अत: जैसे ही नवरात्र समाप्त हुए प्याज की मांग बढ़ने से भाव में तेजी आई थी, लेकिन राजस्थान और कर्नाटक में नए प्याज की आवक शुरू हो गई है, तथा आगे मध्य प्रदेश और गुजरात की नई फसल की आवक बनेगी। इसलिए प्याज की कीमतों में सप्ताहभर की अस्थाई तेजी है। आगे दैनिक आवक बढ़ने पर प्याज की मौजूदा कीमतों में और गिरावट आने का अनुमान है।
प्याज की कारोबारी फर्म गुजरात आॅनियन कंपनी के प्रबंधक सुरेंद्र साहनी ने बताया कि शनिवार को आजादपुर मंडी में 70 गाड़ी प्याज की आवक हुई जबकि कल 110 गाड़िया कल की बगैर बिकी हुई खड़ी है इसमें करीब 30 गाड़ी नए प्याज की है। शनिवार को मंडी में प्याज के भाव 12 से 21 रुपये प्रति किलो रहे तथ सोमवार से दैनिक आवक और बढ़ने की संभावना है इसलिए आगे प्याज की कीमतों में मंदा ही आने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि आज महाराष्ट्र की प्याज की मंडियां बंद है, सोमवार को मंडी खुलने के बाद इसके भाव में और गिरावट आयेगी। महाराष्ट्र की लासलगांव मंडी में 19 अक्टूबर को प्याज का भाव 1,420 से 1,645 रुपये प्रति क्विंटल रहा। 
राष्ट्रीय वागवानी अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (एनएचआरडीएफ) के अनुसार वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 11 महीनों अप्रैल से फरवरी के दौरान 21,35,421 टन प्याज का निर्यात हुआ जबकि पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में कुल निर्यात 34,92,718 टन का हुआ था।...........  आर एस राणा

केस्टर तेल के निर्यात में आई कमी, गुजरात में पैदावार कम होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान केस्टर तेल के निर्यात में 33,697 टन की कमी आई है। गुजरात राज्य सरकार के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में केस्टर सीड की पैदावार 3.11 लाख टन कम होने का अनुमान है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान केस्टर तेल का निर्यात घटकर 2,39,682 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 2,73,379 टन का हुआ था। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान केस्टर तेल का कुल निर्यात 6,39,390 टन का हुआ था।
उत्पादन में कमी की आशंका
राज्य के कृषि निदेशालय के अनुसार चालू खरीफ में केस्टर सीड का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 3.11 लाख टन कम होकर 11.73 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 14.84 लाख टन का उत्पादन हुआ था।
गुजरात में मानसूनी बारिश कम
ओसवाल एग्री इम्पैक्स के मैनेजिंग डायरेक्टर कुशल राज पारिख ने बताया कि उत्पादक मंडियों में केस्टर सीड के भाव 5,000 से 5,025 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं जबकि केस्टर तेल के भाव 1,040 रुपये प्रति 10 किलो है। उन्होंने बताया कि चालू सीजन में केस्टर सीड के उत्पादक क्षेत्रों में बारिश काफी कम हुई है जिस कारण उत्पादन में कमी आने की आने की आशंका है। केस्टर तेल के निर्यात सौदे 1,400 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहे हैं। जानकारों के अनुसार केस्टर सीड का उत्पादन राज्य सरकार के अनुमान से भी कम होने का अनुमान है इसलिए आगे केस्टर सीड की कीमतों में 2,000 से 2,500 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी बनने की संभावना है। .....  आर एस राणा

19 अक्टूबर 2018

महाराष्ट्र : कपास और गन्ने का उत्पादन बढ़ने का अनुमान, दालों के साथ मोटे अनाजों का कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू खरीफ सीजन 2018-19 में महाराष्ट्र में जहां कपास और गन्ने का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है, वहीं दालों के साथ ही मोटे अनाजों की पैदावार में कमी आने का अनुमान है। राज्य के कृषि निदेशालय द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में कपास की पैदावार बढ़कर 78.31 लाख गांठ होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 65.51 लाख गांठ कपास की पैदावार हुई थी।
गन्ने की पैदावार ज्यादा, सोयाबीन की कम
गन्ने का उत्पादन चालू सीजन में राज्य में बढ़कर 927.29 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में केवल 831.34 लाख टन गन्ने की पैदावार ही हुई थी। कृषि निदेशालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार तिलहनों की प्रमुख फसल सोयाबीन की पैदावार चालू खरीफ में घटकर 38.88 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 43.88 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था। मूुंगफली की चालू खरीफ में पिछले साल के 2.57 लाख टन से घटकर 2.24 लाख टन ही होने का अनुमान है।
दलहन की पैदावार में कमी की आशंका
दालों का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर राज्य में 13.77 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 14.68 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। खरीफ दलहन की प्रमुख फसल अरहर का उत्पादन घटकर राज्य में 10.56 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 10.73 लाख टन अरहर का उत्पादन हुआ था। मूंग का उत्पादन भी पिछले साल के 1.64 लाख से घटकर 1.44 लाख टन और उड़द का उत्पादन पिछले साल के 1.77 लाख टन से घटकर 1.40 लाख टन ही होने का अनुमान है।
मक्का और बाजरा का उत्पादन कम, चावल का ज्यादा
मोटे अनाजों की प्रमुख फसल मक्का का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर 19.81 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 29.63 लाख टन मक्का की पैदावार हुई थी। चावल का उत्पादन जरुर पिछले साल के 26.56 लाख टन से बढ़कर 31.29 लाख टन होने का अनुमान है। बाजरा का उत्पादन चालू खरीफ में घटकर राज्य में केवल 3.93 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 6.14 लाख टन का उत्पादन हुआ था। ज्वार का उत्पादन भी पिछले साल के 4.16 लाख टन से घटकर 3.66 लाख टन ही होने का अनुमान है।...... आर एस राणा

केंद्र ने तेलंगाना और कर्नाटक से उड़द और सोयाबीन की एमएसपी पर खरीद को दी मंजूरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने तेलंगाना और कर्नाटक से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर उड़द के साथ ही सोयाबीन की खरीद को मंजूरी दे दी है। उधर हरियाणा से एमएसपी पर 1,775 टन मूंग की खरीद को मंजूरी दी है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कर्नाटक से प्राइस स्पोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत 81,800 टन सोयाबीन की खरीद की जायेगी, इसके लिए मंत्रालय ने 278.04 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। सोयाबीन की खरीद नेफेड राज्य सरकार की खरीद एजेंसियों के सहयोग से करेगी। समर्थन मूल्य पर सोयाबीन की खरीद अगले 90 दिन तक की जायेगी।
उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में कर्नाटक से पीएसएस के तहत 9,075 टन उड़द की खरीद की जायेगी, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 50.82 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। उधर तेलंगाना से भी चालू खरीफ में केंद्र सरकार ने 5,950 टन उड़द की खरीद पीएसएस के तहत करने के लिए 33.32 करोड़ रुपये का मंजूरी दी है। इन राज्यों से उड़द की समर्थन मूल्य पर खरीद नेफेड राज्य सरकार की खरीद एजेंसियों के साथ मिलकर अगले तीन महीने तक करेंगी।
हरियाणा से चालू खरीफ में केंद्र सरकार ने पीएसएस के तहत 1,775 टन मूंग की खरीद के लिए 12.38 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। राज्य से मूंग की खरीद आदेश जारी करने की तिथि से 60 दिन तक की जायेगी। ......... आर एस राणा

मात्रात्मक प्रतिबंध के बावजूद हो रहा है दलहन आयात, अगस्त तक 8.12 लाख टन आयातित दालें आई

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दालों का आयात रोकने के लिए आयात शुल्क में बढ़ोतरी के साथ ही मात्रात्मक प्रतिबंध तो लगा रखा है लेकिन इस सब के बावजूद भी दालों का आयात निरंतर जारी है। अप्रैल से अगस्त के दौरान 8.12 लाख टन दालें भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुकी हैं।
अप्रैल से अगस्त के दौरान 8.12 लाख टन का हुआ आयात
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान दालों का आयात 71 फीसदी घटकर 8.12 लाख टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इनका आयात 28.2 लाख टन का हुआ था।
चन्नेई बंदरगाह पर हो रहा है आयात
दलहन कारोबारी राधाकिशन गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार ने भले ही अरहर, उड़द और मूंग के आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध लगा रखा है, लेकिन आयातक पहले के आयात सौदे और 100 फीसदी एडवांस पैमेंट के आधार पर आयात कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि चन्नेई बंदरगाह पर लगातार आयातित उड़द पहुंच रही है।
केंद्र सरकार को लिखा है पत्र
दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने कहां कि हमने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय को पत्र लिखकर आयात हो रही दालों की जानकारी मांगी है। म्यांमार और अफ्रीका से रहा है दालों का आयात बराबर हो रहा है जबकि केंद्र सरकार द्वारा तय की गई मात्रा पहले ही पूरी हो चुकी है।
तय मात्रा का पहले ही हो चुका है आयात
केंद्र सरकार ने अरहर, मूंग और उड़द के आयात की जहां 5 लाख टन की मात्रा तय कर रखी है वहीं चना और मसूर के आयात पर आयात शुल्क में क्रमश: 50 फीसदी और 30 फीसदी तय रखा है। इसके अलावा मटर के आयात की मात्रा भी एक लाख टन 31 दिसंबर 2018 तक तय कर रखी है।
वित्त वर्ष 2016-17 में हुआ था रिकार्ड आयात
वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान दालों का कुल आयात 56.07 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 66.09 लाख टन का आया हुआ था। इस दौरान कुल दलहन आयात में मटर की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी थी। 
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में देश में दलहन की रिकार्ड पैदावार 252.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 231.3 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। पैदावार ज्यादा होने के कारण ही घरेलू बाजार में दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई हैं।.............  आर एस राणा

यूपी में नई खांडसारी नीति को मंजूरी, मिल से आठ किलोमीटर दूर लग सकेंगे खांडसारी उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए चालू गन्ना पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान राज्य सरकार ने लघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए नई खांडसारी नीति को मंजूरी दे दी। नई नीति के लागू होने से चीनी मिल गेट से आठ किलोमीटर की दूरी पर खांडसारी उद्योग स्थापित हो सकेगा।
खांडसारी यूनिट 15 किलोमीटर के बजाए 8 किलोमीटर की दूरी पर
राज्य सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह और गन्ना विकास एवं चीनी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सुरेश राणा ने कैबिनेट की बैठक के बाद पत्रकारों को बताया कि खांडसारी विरोधी नीति के चलते यह उद्योग चौपट हो गया था लेकिन, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसानों के हित में बड़ा कदम उठाया है। आठ किलोमीटर की परिधि से दूरी पर खांडसारी इकाई को नया लाइसेंस मिल सकेगा जबकि पहले चीनी मिल से 15 किलोमीटर से बाहर उद्योग लगाने पर लाइसेंस जारी होते थे।
खांडसारी उद्योग के लिए आॅनलाइन लाइसेंस
उन्होंने बताया कि खांडसारी उद्योग के लिए अब ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा। तीन कार्यदिवस में परीक्षण करके लाइसेंस दिया जाएगा। खांडसारी इकाई को वैक्यूम के अन्तर्गत सिरप ब्रिक्स को अधिकतम 65 डिग्री तक वाष्पीकरण करने की अनुमति होगी। यह अनुमति प्रार्थना पत्र देने पर तीन कार्यदिवस में उप चीनी आयुक्त द्वारा दी जाएगी। अगर तीन कार्यदिवस में उप चीनी आयुक्त ने अनुमोदन नहीं किया तो यह प्रमुख सचिव के पास चला जाएगा। अगर उनके यहां से भी अनुमोदन में देरी हुई तो इसे स्वीकृत मान लिया जाएगा।
40 यूनिटों को जारी किए जा चुके हैं लाइसेंस
राणा ने बताया कि अभी तक 40 लाइसेंस जारी कर दिए गए हैं और 40 खांडसारी उद्योग चार चीनी मिलों के बराबर गन्ना पेराई करेंगे। इससे किसानों को लाभ मिलेगा। सिद्धार्थनाथ सिंह ने कहा कि वर्ष 1995-96 में उत्तर प्रदेश में खांडसारी उद्योग की कुल 1,082 इकाइयां थीं जोकि वर्ष 2017-18 में घटकर 165 रह गई। उन्होंने बताया कि देश के कुल चीनी उत्पादन का 38 फीसदी अकेले उत्तर प्रदेश में होता है।
गोरखपुर की किसान सहकारी चीनी मिल में लगेगा एथेनॉल प्लांट
मुख्यमंत्री के गृह जिले गोरखपुर की दि किसान सहकारी चीनी मिल धुरियापार की जमीन पर बायोमास आधारित सेकेंड जेनरेशन एथनॉल प्लांट की स्थापना होगी। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्लांट की स्थापना के लिए सरकार ने मिल की 50 एकड़ जमीन को इंडियन ऑयल कारपोरेशन को 30 वर्ष की लीज पर देने का फैसला किया है।............  आर एस राणा

सरकार वर्ष 2030 तक जीरो हंगर हासिल करने के प्रयासों पर कर रही है काम-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार वर्ष 2030 तक जीरो हंगर का लक्ष्य हासिल करने के लिए चरणबद्ध तरीके से काम कर रही है। केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने आज यहां विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर आयोजित दो दिवसीय कृषि स्टार्ट अप एंव उद्यमिता कॉन्क्लेव के उद्घाटन समारोह में यह बात कही। 
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है तथा देश में कृषि उत्पादन को बढ़ाने व खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित तकनीकों और हमारे किसानों का बहुत बड़ा योगदान है। इस वर्ष 2017-18 में चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार खाद्यान्न उत्पादन 28.48 करोड़ टन होने का अनुमान है जो कि वर्ष 2013-14 के 26.50 करोड टन के मुकाबले में लगभग 20 करोड़ टन ज्यादा है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2013-14 में बागवानी फसलों का उत्पादन 27.73 करोड़ टन था जोकि वर्ष 2017-18 के चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर 30.7 करोड़ टन हो गया। जोकि वर्ष 2013-14 के मुकाबले लगभग 30 करोड़ टन ज्यादा है। बागवानी फसलों के उत्पादन के मामले में आज भारत विश्व में प्रथम स्थान पर है।
उन्होंने बताया कि इसी तरह से वर्ष 2015-16 में दलहनी फसलों का उत्पादन 162.5 लाख टन था जोकि वर्ष 2017-18 के चौथे अग्रिम आकलन के अनुसार बढ़कर 252.3 लाख टन होने का अनुमान है।
उन्होंने बताया कि कृषि उत्पादन को बढ़ाने में उन्नत किस्मों, तकनीकों और बीजों का बड़ा महत्वपूर्ण योगदान होता है। वर्ष 2010-2014 की अवधि में जहां 448 किस्में खेती के लिए जारी की गईं थीं, वहीं वर्ष 2014-2018 की चार साल की अवधि में 795 उन्नित किस्मोंं को जारी किया गया, जो कि लगभग दोगुनी है। उन्होंने कहा कि कुपोषण का निवारण करने के लिए पिछले साढ़े चार सालों में आईसीएआर ने पहली बार फसलों की ऐसी 20 किस्मों का विकास किया, जिनमें पोषक तत्वों की मात्रा सामान्य से काफी अधिक है।
इस अवसर पर दो दिनों तक चलने वाले एग्री स्टार्टअप एण्ड एन्टरप्रिन्योरशिप कॉन्क्लेव में उपस्थित कृषि उद्यमियों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि एग्री स्टार्टअप के लिए देश में माहौल बनाने के लिए सरकार ने स्टार्टअप एवं स्टैंडअप कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसमें नए युवकों को उद्यम स्थापित करने के लिए उचित सहायता एवं माहौल प्रदान करने का प्रयास किया गया। इसी परिप्रेक्ष्य में स्किल इंडिया योजना भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर शुरू की, जिसमें सभी क्षेत्रों में कौशल विकास कार्यक्रम की देशव्यापी रूप में शुरुआत की गई।
विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस विचार मंथन से कृषि और किसानों की बेहतरी पर अलग अलग सत्रों में चर्चा परिचर्चा का आयोजन हो रहा है। कार्यक्रम नें युवा किसान, कृषि वैज्ञानिक, सफल किसानों सहित कृषि छात्र भी हिस्सा ले रहे हैं।...........   आर एस राणा

सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात 2 फीसदी घटा, घरेलू तिलहनों की आवक बढ़ी

आर एस राणा
नई दिल्ली। रुपये के मुकबाले डॉलर की कीमतों में आई तेजी के साथ ही घरेलू मंडियों में खरीफ तिलहनों की आवक बढ़ने से सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 2 फीसदी की गिरावट आकर कुल आयात 14,91,174 टन का ही हुआ है। चालू तेल वर्ष (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 11 महीनों नवंबर से सितंबर के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में 3.5 फीसदी की गिरावट आई है।
साल्वेंट एक्सट्रेक्टर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (एसईए) के अनुसार रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा बना हुआ है, जबकि अगस्त में इनके आयात में बढ़ोतरी हुई थी। घरेलू मंडियों में खरीफ तिलहनों सोयाबीन और मूंगफली की दैनिक आवक बढ़ रही है इसीलिए सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों के आयात में कमी दर्ज की गई।
सितंबर में खाद्य तेलों का आयात कम, अखाद्य तेलों का ज्यादा
एसईए के अनुसार सितंबर में खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात घटकर 14,91,174 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल सितंबर में इनका आयात 15,19,277 टन का हुआ था। सितंबर में खाद्य तेलों के आयात में तो कमी आई है, लेकिन अखाद्य तेलों का आयात इस दौरान बढ़ा है।
नवंबर से अक्टूबर के दौरान आयात घटा
चालू तेल वर्ष (नवंबर-17 से अक्टूबर-18) के पहले 11 महीनों नवंबर से सितंबर के दौरान खाद्य एवं अखाद्य तेलों का आयात घटकर 137,69,847 टन का ही हुआ है जबकि पिछले तेल वर्ष की समान अवधि में इनका आयात 142,72,845 टन का हुआ था।
आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे
रुपये के मुकाबले डॉलर महंगा होने के बावजूद भी विश्व बाजार में खाद्य तेलों की उपलब्धता ज्यादा होने से कीमतों में आई गिरावट के कारण घरेलू बाजार में भी आयातित खाद्य तेलों के भाव घटे हैं। सितंबर में आरबीडी पॉमोलीन का भाव भारतीय बंदरगाह पर घटकर 575 डॉलर प्रति टन रह गया, जबकि पिछले साल सितंबर में इसका औसत भाव 729 डॉलर प्रति टन था। इसी तरह से क्रुड पॉम तेल का भाव पिछले साल सितंबर के 730 डॉलर की तुलना में घटकर 551 डॉलर प्रति टन ही रह गए। सोयाबीन क्रुड तेल के औसत भाव सितंबर में घटकर 689 डॉलर प्रति टन रह गए जबकि पिछले साल सितंबर में इसके भाव 836 डॉलर प्रति टन थे।.............. आर एस राणा

प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी 75 फीसदी-कृषि मंत्री

आर एस राणा
नई दिल्ली। देशभर में प्रमुख फसलों के उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी 75 फीसदी है इसलिए किसान परिवार की आय को वर्ष-2022 तक दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में महिला किसानों की भूमिका को विशेष महत्व दिया जा रहा है।
महिला किसान दिवस के मौके पर नई दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संकल्पबद्ध है तथा वह इस दिशा में तेजी से काम कर रही है।
महिला किसान दिवस समारोह में देश के 26 राज्यों से लगभग 400 महिला किसानों ने भाग लिया। इस समारोह में विभिन्न राज्यों द्वारा चयनित 40 उत्कृष्ट महिला किसानों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रुपाला भी मौजूद रहे।
कृृषि मंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में महिलाएं बेहतर कार्य कर रही हैं, उन्होंने कहा कि विभिन्न कार्यक्रमों और विकास से जुड़ी गतिविधियों के लिए बजट में महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत से अधिक धनराशि का आवंटन किया गया है। भारत सहित अधिकतर विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था में ग्रामीण महिलाओं की सबसे अधिक योगदान है।
राधा मोहन सिंह ने बताया कि आर्थिक रूप से सक्रिय 80 प्रतिशत महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं, इनमें से 33 प्रतिशत मजदूर के रूप में और 48 प्रतिशत स्व नियोजित किसान के रूप काम कर रही हैं। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 18 प्रतिशत खेतिहर परिवारों का नेतृत्व महिलाएं ही कर रही हैं।
जानकारों का मानना है कि कृषि कार्यों में महिलाओं की बढ़ती संख्या से उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है, भूख और कुपोषण को भी रोका जा सकता है। इसके अलावा ग्रामीण अजीविका में सुधार होगा, इसका फायदा पुरुष और महिलाओं, दोनों को होगा। संयुक्त राष्ट्र के भोजन और कृषि संगठन के सर्वे में महिलाएं कृषि मामले में पुरुषों से हर क्षेत्र में आगे हैं, बस अधिकारों और सुविधाओं को छोड़कर।................ आर एस राणा

मानसूनी वापसी मेें हुई देरी से रबी फसलों की बुवाई में होगा फायदा-कृषि आयुक्त

आर एस राणा
नई दिल्ली। दक्षिण पश्चिम मॉनसून की देरी से हुई विदाई रबी फसलों गेहूं, सरसों, जौ और अन्य फसलों की बुवाई के लिए फायदेमंद है। कृषि आयुक्त एस के मल्होत्रा के अनुसार राजस्थान में सरसों की बुवाई शुरू हो चुकी है तथा अन्य फसलों की बुवाई भी अब चालू हो जायेगी।
उन्होंने बताया कि खरीफ सीजन में मानसून की विदाई में करीब महीनाभर की देरी हुई है, जिस कारण खेतों में नमी की पर्याप्त मात्रा है। यही कारण है कि उत्पादक राज्यों में सरसों की बुवाई शुरू हो गई है। रबी सीजन में गेहूं, जौ, सरसों, चना के साथ ही मसूर और मटर की बुवाई होती है।
उन्होंने बताया कि चालू रबी में सरसों की बुवाई में बढ़ोतरी होने का अनुमान है, पिछले साल सरसों की बुवाई में करीब 4 लाख हैक्टेयर की कमी आई थी। हालांकि चालू रबी में मौसम बुवाई के अनुकूल है इसलिए बुवाई में बढ़ोतरी होगी।
उन्होंने बताया कि गेहूं की बुवाई के लिए किसान खेत तैयार कर रहे हैं तथा गेहूं की बुवाई ज्यादातर सिंचित क्षेत्रों में होती है। उन्होंने बताया कि चालू रबी में गेहूं के उत्पादन का अनुमान 10 करोड़ टन का तय किया गया है जबकि पिछले साल गेहूं का उत्पादन 9.97 करोड़ टन का हुआ था। ..........  आर एस राणा

पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण को बढ़ाकर 20 फीसदी कर सकती है सरकार, कच्चे तेल पर निर्भरता कम करना

आर एस राणा
नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बढ़ोरती को देखते हुए केंद्र सरकार कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने पर विचार कर रही है। इसके लिए पेट्रोल में एथेनॉल मिश्रण की सीमा को 10 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने की घोषणा किए जाने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के उपाय तलाशने के लिए आज प्रधानमंत्री ने बैठक बुलाई है। इस बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, प्रेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान के साथ ही तेल और गैस सेक्टर की दिग्गज कंपिनयों के प्रमुख भाग ले रहे हैं।
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार चीनी मिलों को रियायती दरों पर अतिरिक्त ऋण देने की घोषणा कर सकती है, साथ ही राज्य सरकारों को एथेनॉल पर आयात-निर्यात शुल्क हटाने के भी निर्देश जारी कर सकती है।
सोमवार को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 82.72 रुपये प्रति लीटर पर स्थिर बनी रही, लेकिन डीजल की कीमत में 8 पैसे की बढ़ोतरी होकर यह 75.46 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया।
केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग को जून में 8,500 करोड़ रुपये का पैकेज देने की घोषणा की थी, इसमें 4,440 करोड़ रुपये चीनी मिलों को सस्ते कर्ज के रूप में एथेनॉल क्षमता के विकास के लिए दिए गए थे।
सितंबर में आर्थिक मामलों की मंत्रीमंडलीय समिति (सीसीईए) ने एथेनॉल की कीमतों में भी बढ़ोतरी की थी। इसके तहत सीधे गन्ने के रस से बनने वाले एथेनॉल का भाव 47.13 रुपये से बढ़ाकर 52.43 रुपये प्रति लीटर कर दिया था, हालांकि शीरे से उत्पादित सी-ग्रेड के ऐथनॉल का मूल्य 43.70 रुपये से घटाकर 43.46 रुपये प्रति लीटर कर दिया था।............  आर एस राणा

14 अक्टूबर 2018

मटर आयात की एक लाख टन की मात्रा तय, आयात हो चुका है 2.38 लाख टन का

आर एस राणा
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में दलहन की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार ने मटर के आयात की एक लाख टन की मात्रा कर रखी है, लेकिन चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान ही 2.37 लाख टन मटर का आयात हो चुका है।
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले तीन महीनों अप्रैल से जून के दौरान दालों का कुल आयात 3.57 लाख टन का हुआ है जिसमें 2.37 लाख टन मटर है। केंद्र सरकार ने 25 अप्रैल को मटर के आयात की एक लाख टन की मात्रा तय की थी, तथा 25 अप्रैल से पहले ही एक लाख टन मटर का आयात हो भी चुका था।
अब 31 दिसंबर तक लगी है आयात पर मात्रात्मक प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने पहले 25 अप्रैल को तीन महीने यानि 30 जून तक एक लाख आयात की सीमा तय की थी, उसके बाद अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 सितंबर और फिर 31 दिसंबर 2018 तक कर दिया है।
100 फीसदी भुगतान वालों को दी थी छूट
उन्होंने बताया कि मटर के उन आयातकों को केंद्र सरकार ने आयात करने की छूट दी थी, जोकि 100 फीसदी भुगतान कर चुके थे, इसीलिए आयात 30 जून तक 2.38 लाख टन का हुआ है। वित्त वर्ष 2017-18 के दौरान दालों का कुल आयात 56.07 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में रिकार्ड 66.09 लाख टन का आया हुआ था। इस दौरान कुल दलहन आयात में मटर की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी थी। वित्त वर्ष 2017-18 में 28.77 लाख टन और वित्त वर्ष 2016-17 में 31.72 लाख टन मटर का आयात हुआ था।
रिकार्ड उत्पादन का अनुमान
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2017-18 में देश में दलहन की रिकार्ड पैदावार 252.3 लाख टन होने का अनुमान है जबकि इसके पिछले साल 231.3 लाख टन दालों का उत्पादन हुआ था। पैदावार ज्यादा होने के कारण ही घरेलू बाजार में दालों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बनी हुई हैं।.......  आर एस राणा

पंजाब के किसानों ने राज्य सरकार से पराली के उचित समाधान की मांग की

आर एस राणा
नई दिल्ली। पराली जलाने को लेकर राज्य के कई जिलों में किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहीं राज्य सरकार किसानों पर जुर्माना लगा रही है। राज्य के बरनाला जिलें में शनिवार को किसानों ने प्रदर्शन कर, राज्य सरकार से पराली के उचित समाधान की मांग की।
भारतीय किसान संघ (बीकेयू) के बैनर तले, धान किसानों ने राज्य और केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध जताते हुए पराली का उचित समाधान करने की मांग की जिसमें महिला किसानों ने भी भाग लिया।
कृषि मशीनरी से केवल 9 फीसदी का समाधान
किसानों ने राज्य सरकार से पराली के प्रबंधन के लिए 200 रुपये प्रति क्विंटल बोनस देने की मांग की। बीकेयू (उगराहन) के महासचिव सुखदेव सिंह खोकरिकलन ने कहा कि राज्य सरकार पराली का उचित समाधान करे, नहीं तो किसानों को 200 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस दे। उन्होंने कहा कि कृषि मशीनरी से केवल 9 फीसदी पराली का समाधान संभव है जोकि कुल उत्पादन 220 लाख टन का केवल 20 लाख टन ही है।
किसानों को परेशान कर रही है राज्य सरकार
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पराली जलाने पर किसानों को अनावश्यक रुप से परेशान कर रही है, पराली जलाने से केवल 8 फीसदी वायु प्रदूषण होता है, जबकि उन के बारे में कोई बात नहीं करता, जोकि 92 फीसदी वायु प्रदूषण करते हैं।
उन्होंने कहा कि किसान भी नहीं चाहते कि पराली जलाई जाए, लेकिन उचित समाधान नहीं होने से उन्हें मजबूवीश यह कदम उठाना पड़ता है। पंजाब में सालाना 220 लाख टन और हरियाणा में करीब 65 लाख टन पराली का उत्पादन होता है।
किसान चाहते हैं उचित समाधान
उधर तरतारन के घरियाला में किसान संघर्ष कमेटी पंजाब के बैनर तले धरने पर बैठे किसानों ने केंद्र व पंजाब सरकार को किसान विरोधी करार दिया। कहा कि पराली को आग लगाने से रोका तो जा रहा है, लेकिन इसके उचित समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा।
किसान संघर्ष कमेटी के अध्यक्ष इंद्रजीत सिंह ने कहा कि धान की कटाई के बाद किसान मजबूर होकर पराली को आग लगाता है। लेकिन, अब सरकार किसानों पर मामले दर्ज कर रही है, जो कि निंदनीय है।
तरनतारन में 73 मामले सामने आए
तरनतारन में सेटेलाइट के जरिए 73 ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें पराली जलाई गई। मौके पर कार्रवाई करते हुए कृषि विभाग व पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने 47 स्थानों पर जाकर 1.24 लाख रुपये के जुर्माने किया।
केरजलीवाल ने केंद्र पर लगाया आरोप
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाए हैं कि दिल्ली सरकार द्वारा पराली जलाने का मुद्दा बार-बार उठाए जाने के बावजूद केंद्र सरकार और पड़ोसी राज्यों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं। अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा है कि हम केंद्र, हरियाणा और पंजाब सरकारों के साथ इस मामले को उठाते रहे हैं, फिर भी अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। किसान फिर से असहाय हो गए हैं। दिल्ली समेत पूरा क्षेत्र फिर से गैस चैंबर बन जाएगा। लोगों को फिर से सांस लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। ये अपराध है।.....  आर एस राणा

उत्तर प्रदेश : दीपावली के बाद चीनी मिलों में पेराई संभव, किसानों का 8,000 करोड़ अभी भी बकाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से चीनी का नया पेराई सीजन (2018-19) आरंभ हो गया है लेकिन पुराने पेराई सीजन 2017-18 का ही किसानों का उत्तर प्रदेश की चीनी मिलों पर अभी भी 8,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया बचा है। दीपावली के बाद राज्य की चीनी मिलों में पेराई शुरू होने की संभावना है।
यूपी शुगर मिल्स एसोसिएशन (यूपीएसएमए) के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य की चीनी मिलें दीपावली के बाद पेराई शुरू करेंगी। उन्होंने बताया कि 12 अक्टूबर तक पिछले पेराई सीजन का चीनी मिलों पर किसानों का बकाया 8,056 करोड़ रुपये बचा हुआ है। चालू सीजन में राज्य में गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से चीनी का उत्पादन भी पिछले सीजन की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है।
पिछले पेराई सीजन में 120.04 लाख टन का हुआ उत्पादन
पेराई सीजन 2017-18 में राज्य में 120.04 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जोकि इसके पिछले पेराई सीजन 2016-17 के 87.73 लाख टन से 32.71 लाख टन ज्यादा है। पिछले पेराई सीजन में राज्य में गन्ने में चीनी की औसत रिकवरी 10.84 फीसदी की आई थी, जबकि इसके पिछले साल औसत रिकवरी 10.61 फीसदी ही थी।
चीनी उत्पादन 4-5 लाख टन ज्यादा होने का अनुमान
उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त गन्ना आयुक्त वी के शुक्ला ने बताया कि राज्य की कुछ मिलें 25 से 30 अक्टूबर के मध्य पेराई आरंभ कर देगी तथा नवंबर में अधिकांश मिलों में पेराई आरंभ शुरू होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी को देखते हुए राज्य में चीनी का उत्पादन बढ़कर चालू पेराई सीजन में 124 से 125 लाख टन होने का अनुमान है। चीनी मिलों पर किसानों के बकाया के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि चीनी मिलें किसानों को 30 नवंबर 2018 तक पिछले पेराई सीजन का पूरा भुगतान कर दें।
बुवाई में हुई बढ़ोतरी
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू सीजन में राज्य में गन्ने की बुवाई बढ़कर 23.90 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल राज्य में 22.99 लाख हैक्टेयर में ही गन्ने की बुवाई हुई थी।
चीनी के भाव में नरमी
दिल्ली में चीनी के थोक भाव 3,500 से 3,650 रुपये प्रति क्विंटल और उत्तर प्रदेश में एक्स फैक्ट्री भाव 3,200 से 3,425 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। त्यौहारी सीजन के बावजूद भी चीनी में ग्राहकी कमजोर है इसीलिए सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 100 रुपये की गिरावट आ चुकी है। विश्व बाजार में चीनी के भाव में सुधार आया है, जिससे आगे चीनी के निर्यात में तेजी आने का अनुमान है।.............  आर एस राणा

अरहर और उड़द के वायदा कारोबार से रोक हटाने की तैयारी, कीमतों में सुधार लाने का मकसद

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में दालों की कीमतों में सुधार लाने के लिए केंद्र सरकार वायदा कारोबार का सहारा ले सकती है इसलिए अरहर और उड़द के वायदा कारोबार पर लगी रोक को जल्द ही हटाया जा सकता है। कीमतों में भारी तेजी आने की वजह से जनवरी 2007 में केंद्र सरकार ने अरहर और उड़द के वायदा कारोबार को बंद कर दिया था।
उपभोक्ता मामले मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अरहर और उड़द के वायदा कारोबार पर लगी रोक को हटाने की सहमति बन गई है, ऐसे में इस मामले पर अगले सप्ताह भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को प्रस्ताव भेजा जा सकता है। उन्होंने बताया कि प्राइस मॉनिटरिंग कमेटी अरहर और उड़द के वायदा कारोबार पर रोक हटाने के लिए पहले ही अपनी सहमति दे चुकी है, इसके अलावा नीति आयोग भी प्रतिबंध हटाने की सिफारिश कर चुका है।
एनसीडीईएक्स ने अगस्त में सेबी से मांगी थी अनुमति
उन्होंने बताया कि अरहर और उड़द का वायदा कारोबार शुरू होने से किसानों को उचित भाव मिलने में आसानी होगी। वायदा में आगामी महीनों का कारोबार होने से किसानों को फसल बेचने का निर्णय लेने में आसानी होगी। वैसे भी केंद्रीय पूल में दलहन का बंपर स्टॉक मौजूद है। उधर नेशनल कमोडिटी और डेरिवेटिव्स एक्सचेंज लिमिटेड (एनसीडीईएक्स) ने अगस्त में सेबी से अरहर और उड़द में वायदा कारोबार शुरू करने की अनुमति मांगी थी।
नई उड़द की आवक हो चुकी है शुरू
चालू खरीफ में उत्पादक मंडियों में नई उड़द की आवक शुरू हो गई है, जबकि अरहर की आवक दिसंबर में शुरू होगी। घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता ज्यादा होने के कारण उत्पादक मंडियों में इनके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बने हुए हैं।
समर्थन मूल्य से नीचे बने हुए हैं भाव
खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए केंद्र सरकार ने अरहर का एमएसपी 5,675 रुपये और उड़द का 5,600 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है जबकि उत्पादक मंडियों में 3,500 से 4,000 रुपये और उड़द 3,500 से 4,200 रुपये प्रति क्विंटल बिक रही है।
अरहर और उड़द के उत्पादन में कमी का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2018-19 में अरहर का उत्पादन 40.8 लाख टन होने का अनुमान है जोकि फसल सीजन 2017-18 के 42.5 लाख टन से कम है। इसी तरह से चालू खरीफ में उड़द का उत्पादन घटकर 26.5 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 28.4 लाख टन का हुआ था।......आर एस राणा

हरियाणा : नवंबर के आरंभ में चीनी मिलें पेराई करेंगी शुरू, 8.99 लाख टन उत्पादन का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2018 से गन्ना पेराई सीजन आरंभ हो गया है, तथा हरियाणा की चीनी मिलें 10 नवंबर से गन्ने की पेराई आरंभ कर देगी। चालू पेराई सीजन 2018-19 (अक्टूबर से सितंबर) के दौरान राज्य में 8.99 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान है।
रिकवरी भी ज्यादा होने का अनुमान
हरियाणा के सहायक गन्ना आयुक्त रविन्द्र हुड्डा ने बताया कि चालू सीजन में राज्य में गन्ना के क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से चीनी का उत्पादन बढ़ने का अनुमान है। पिछले पेराई सीजन में राज्य में 8.43 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था, जबकि चालू सीजन में उत्पादन 8.99 लाख टन होने का अनुमान है। उन्होंने बताया कि पिछले साल औसतन रिकवरी 10.39 फीसदी की आई थी, जबकि चालू पेराई सीजन में औसत रिकवरी 10.40 फीसदी आने का अनुमान है।
चालू महीने के आखिर तक एसएपी हो सकते हैं तय
उन्होंने बताया कि चालू महीने के आखिर तक गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (एसएपी) तय होने की उम्मीद है। पिछले पेराई सीजन में गन्ने का एसएपी 320 से 330 रुपये प्रति क्विंटल (किस्म अनुसार) था। 
प्राइवेट चीनी मिलों पर किसानों का करीब 100 करोड़ है बकाया 
उन्होंने बताया कि राज्य की 3 प्राइवेट चीनी मिलों पर किसानों का करीब 100 करोड़ रुपये बकाया बचा हुआ है, तथा राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि जल्द से जल्द किसानों के बकाया का भुगतान किया जाए।
सहकारी मिलें कर चुकी है पूरा भुगतान
हरियाणा स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर मिल्स के गन्ना सलाहकार डॉ. रोशन लाल यादव ने बताया कि राज्य की सहकारी चीनी मिलें किसानों को पूरा भुगतान कर चुकी है तथा चीनी मिलें नवंबर के शुरू में पेराई आरंभ कर देगी। राज्य सरकार ने पेराई सीजन 2017-18 के लिए चीनी मिलों को किसानों के भुगतान के लिए 510 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी है। ...... आर एस राणा

चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन 114.83 लाख टन होने का अनुमान-सोपा

आर एस राणा
नई दिल्ली। बुवाई में हुई बढ़ोतरी से चालू खरीफ में सोयाबीन की पैदावार बढ़कर 114.83 लाख टन होने का अनुमान है। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन आॅफ इंडिया (सोपा) द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार पिछले साल 83.55 लाख टन सोयाबीन का ही उत्पादन हुआ था।
सोपा के उपाध्यक्ष नरेश गोयनका ने बताया कि प्रमुख उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश में चालू खरीफ में सोयाबीन का उत्पादन बढ़कर 59.17 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खरीफ में इसका उत्पादन केवल 42 लाख टन का ही हुआ था। इसी तरह से महाराष्ट्र में पिछले साल के 29.05 लाख टन से बढ़कर 38.35 लाख टन और राजस्थान में पिछले साल के 7.50 लाख टन से बढ़कर 9.44 लाख टन सोयबाीन के उत्पादन का अनुमान है।
अन्य राज्यों तेलंगाना में 1.57 लाख टन, कर्नाटक में 2.90 लाख टन, छत्तीसगढ़ में 1.10 लाख टन, गुजरात में 1.24 लाख टन और अन्य राज्यों में 1.04 लाख टन सोयबीन का उत्पादन होने का अनुमान है। प्रमुख उत्पादक मंडियों में सोयाबीन की दैनिक आवक पांच से साढ़े लाख क्विंटल की हो रही है, तथा उत्पादक मंडियों में सोयाबीन के भाव 2,900 से 2,950 रुपये और प्लांट डिलीवरी भाव 3,050 से 3,150 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं।
पहली अक्टूबर 2018 से शुरू हुए नए फसल सीजन में सोया डीओसी का निर्यात बढ़ने की संभावना है जबकि पिछले फसल सीजन में 17 लाख टन का निर्यात हुआ था। सोयाबीन डीओसी के भाव प्लांट डिलीवरी 26,000 से 27,000 रुपये प्रति टन चल रहे हैं। 
सोयबाीन की दैनिक आवकों का दबाव बनने से मौजूदा भाव में 75 से 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान तो है, लेकिन ज्यादा मंदा नहीं आयेगा। वैसे भी मध्य अक्टूबर से नेफेड मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से सोयाबीन की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद शुरू करेगी।....... आर एस राणा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पंजाब की खेती के लिए उपयुक्त नहीं-कृषि सचिव

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भले ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को किसान हितैषी बनाने के लिए दर्जनभर बदलाव कर दिए हो लेकिन पंजाब की खेती के लिए यह योजना अभी भी उपयुक्त नहीं है।
राज्य के कृषि सचिव काहन सिंह पन्नू ने आउटलुक को बताया कि केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना हमारे यहा की खेती के अनुकूल नहीं है, इसलिए हमने इसे राज्य में लागू नहीं किया है। उन्होंने बताया कि पंजाब में खेती का 100 फीसदी क्षेत्रफल सिंचित है, तथा जिस तरह के नुकसान की भरपाई इस योजना में की जाती है, उसका असर पंजाब की खती पर न के बराबर होता, इसलिए यह राज्यों के किसानों की हितैषी नहीं है।
उन्होंने बताया कि हम राज्य स्तर पर एक योजना लाने की तैयारी कर रहे हैं, इसके लिए राज्य के कृषि आयुक्त बलविंदर सिंह सिद्धू की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया हुआ है, जो इस योजना पर काम रही है।
राज्य की प्रमुख फसलों में गेहूं और धान है, इसके अलावा राज्य के किसान गन्ना, कपास और आलू के साथ ही अन्य सब्जियों की खेती भी करते हैं। सूत्रों के अनुसार पंजाब में करीब 42.90 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती होती है। राज्य के कुल सिंचित क्षेत्र में से 60 प्रतिशत की सिंचाई निजी और सरकारी टयूबवैलों से और 40 प्रतिशत क्षेत्र की सिंचाई नहरों से होती है।
केंद्र सरकार के अनुसार पीएमएफबीवाई योजना को 27 राज्यों ने अपने यहां लागू किया हुआ है। ऋणी किसानों के अलावा केंद्र सरकार गैर-ऋणी किसानों की फसलों के बीमा के लिए भी अनेक कदम उठा रही है।
केंद्र सरकार ने पीएमएफबीवाई को किसान हितेषी बनाने के लिए फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े नई टेक्नोलॉजी से लेने के साथ ही प्राकृतिक आपादओं से हुए नुकसान का आकलन ब्लॉक या फिर तहसील के बजाए गांव या फिर पंचायत के आधार पर करने का प्रावधान किया है। इसके अलावा नई योजना में ओलावृष्ठि, जलभराव, भूस्खलन से होने वाले नुकसान की भरपाई भी की जायेगी।
नये नियमों के तहत बीमा दावों का भुगतान अगर समय पर नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी।......  आर एस राणा

शहरीकरण बढ़ने से खेती योग्य जमीन घटी, छोटी जोत के किसानों की संख्या में इजाफा

आर एस राणा
नई दिल्ली। लगातार जनसंख्या में हो रही बढ़ोतरी के बीच बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के कारण खेती योग्य कुल जमीन में कमी आई है। हालात इसी तरह जारी रहे तो फिर बढ़ती आबादी के लिए खाद्यान्न उपलब्ध कराना एक चुनौती होगा। कृषि मंत्रालय की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार खेती योग्य जमी घटी है लेकिन छोटे एवं सीमांत जोत के किसानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
पांच साल में खेती योग्य जमीन 1.53 फीसदी घटी
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार खेती योग्य जमीन वर्ष 2010-11 में 15.95 करोड़ हेक्टेयर थी, जो वर्ष 2015-16 में घटकर 15.71 करोड़ हेक्टेयर रह गई है। इस दौरान बढ़ती जनसंख्या और परिवारों के बटवारे के कारण किसानों की औसत जोत तो कम हो गई है, लेकिन किसानों की संख्या इस दौरान जरुर बढ़ गई है। वर्ष 2010-11 में किसानों की औसत जोत 1.15 हेक्टेयर थी, जोकि वर्ष 2015-16 में घटकर 1.08 हेक्टेयर रह गई। इस दौरान किसानों की कुल संख्या 13.8 करोड़ से बढ़कर 14.6 करोड़ हो गई है। 
अंधाधुध हो रहे जमीन अधिग्रहण का असर 
बढ़ते शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का असर भी खेती वाली जमीन पर पड़ रहा है। मेट्रो शहरों के अलावा छोटे शहरों के आसपास भी लगातार जमीनों का अधिग्रहण कर मल्टी स्टोरी बिल्डिंगों का निर्माण हो रहा है, साथ औद्योगिक इकाइया बनाई जा रही हैं।
छोटे एवं सीमांत किसानों की संख्या बढ़कर 86 फीसदी
मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2010-11 छोटे व सीमांत किसान 84.97 फीसदी थे जोकि वर्ष 2015—16 में बढ़कर 86.21 फीसदी हो गये। इन किसानों के पास कुल खेती की 47.34 फीसदी जमीन है। उधर मझोले किसान देशभर में 13.22 फीसदी है, जिनके पास कुल 43.15 फीसदी जमीन है। वहीं देश के बड़े किसान मात्र 0.57 फीसदी ही हैं, जिनके पास 9.04 फीसदी जमीन है। वर्ष 2010-11 में बड़े किसानों के पास 10.59 फीसदी जमीन थी।
किसानों की सबसे ज्यादा आबादी यूपी में
देश के कुल 14.6 करोड़ किसानों में सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में 2.38 करोड़, बिहार में 1.64 करोड़, महाराष्ट्र में 1.47 करोड़, मध्य प्रदेश में एक करोड़, कर्नाटक में 86 लाख, आंध्रप्रदेश में 85 लाख, तमिलनाडु में 79 लाख और राजस्थान में 76 लाख किसान हैं।
महिला किसानों की संख्या बढ़ी
देश में महिला किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है। वर्ष 2010-11 में जहां 12.79 फीसदी महिला किसानों की संख्या थी वहीं, वर्ष 2015-16 में इनकी संख्या बढ़कर 13.87 फीसदी पहुंच गई है। इससे साफ है कि खेती में महिलाओं की भागीदारी बढ़ रही है।
देशभर के 14 राज्यों में 91.03 फीसदी किसान
देश के 36 राज्यों में केवल 14 राज्यों के पास कुल 91.03 फीसदी किसान हैं, जबकि उनके पास देश की कुल खेती की 88.08 फीसदी जमीन है। इन राज्यों में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख हैं।
मंत्रालय हर पांच में एक बार जारी करता है आंकड़े
कृषि मंत्रालय हर पांच साल में एक बार कराता है। इसकी शुरुआत 1970-71 में हुई थी। सीमांत किसानों के पास कुल जमीन एक हैक्टेयर से कम, छोटे किसानों के पास एक हैक्टेयर से दो हैक्टेयर, मझौले किसानों के पास दो से चार हैक्टेयर और बड़े किसानों के पास 10 हैक्टेयर से ज्यादा जमीन है।.............. आर एस राणा

कपास की पैदावार 17 लाख गांठ कम होने का अनुमान, कई राज्यों में बारिश सामान्य से कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। देश के कई प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में बारिश सामान्य से कम होने का असर इसके उत्पादन पर पड़ने की आशंका है। उद्योग के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार चालू खरीफ में कपास का उत्पादन घटकर 348 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 365 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।
कॉटन एसोसिएशन आफ इंडिया (सीएआई) के अध्यक्ष अतुल एस. गणात्रा के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्यों गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में बारिश सामान्य से कम हुई है जिसका असर कपास की उत्पादकता पर पड़ा है। उन्होंने बताया कि चालू खरीफ में प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में कपास की पैदावार पिछले साल की तुलना में 15 गांठ घटकर, 90 लाख गांठ का ही उत्पादन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 105 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। इसी तरह से महाराष्ट्र में कपास के उत्पादन में 2 लाख गांठ की कमी आकर कुल उत्पादन 81 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 83 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था।
आगे इस अनुमान में घटबढ़ होने की संभावना
उन्होंने बताया कि आंध्रप्रदेश में भी चालू खरीफ में कपास की पैदावार में 2.50 लाख गांठ की कमी आकर कुल उत्पादन 16 लाख गांठ का ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में 18.50 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था। उन्होंने बताया कि यह आरंभिक अनुमान है इसलिए आगे इसमें घटबढ़ होने का अनुमान है।
उत्तर भारत में बढ़ने का अनुमान, मध्य और दक्षिण में कम
सीआईए के अनुसार उत्तर भारत के राज्यों में कपास का उत्पादन पिछले साल के 56 लाख गांठ से बढ़कर 58 लाख गांठ होने का अनुमान है लेकिन मध्य भारत के राज्यों में पिछले साल के 209.50 लाख गांठ से घटकर 195 लाख गांठ ही होने का अनुमान है। दक्षिण भारत के राज्यों में भी कपास का उत्पादन 94 लाख गांठ ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इन राज्यों में 94.50 लाख गांठ कपास का उत्पादन हुआ था। अन्य राज्यों में पांच लाख गांठ का उत्पादन होने का अनुमान है।
एमएसपी से नीचे भाव आये तो सीसीआई खरीद के लिए तैयार
कॉटन कार्पोरेशन आॅफ इंडिया (सीसीआई) की चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर डॉ. पी अल्ली रानी ने बताया कि कपास के भाव उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे आते हैं, तो निगम ने खरीद की पूरी तैयारी कर रखी है। उन्होंने बताया कि हमने किसानों के साथ ही उद्योग के लिए मोबाईल ऐप कॉट-अली शुरू किया है जिसमें कोई भी सुझाव या फिर शिकायत दर्ज करा सकता है।
उत्पादक मंडिया में 40 हजार गांठ की हो रही है दैनिक आवक
नार्थ इंडिया कॉटन एसोसिएशन आॅफ इंडिया के अध्यक्ष राकेश राठी ने बताया कि उत्पादक मंडियों में कपास की दैनिक आवक 40,000 गांठ के करीब हो रही है तथा मंडियों में कपास के भाव 5,100 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे है। अहमदाबाद में नई शंकर-6 किस्म की पास का भाव सोमवार को 45,700 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) रहा।
विश्व बाजार में कपास के दाम घटे
उन्होंने बताया कि न्यूयार्क में कपास के दिसंबर वायदा का भाव 76.3 सेंट प्रति पाउंड रह गया, जोकि उपर से करीब 14 सेंट तक घट चुका है। उन्होंने बताया कि विश्व बाजार में कपास की कीमतों में अब ज्यादा मंदे की उम्मीद नहीं है तथा आगे इसके भाव में सुधार आ सकता है। भारत से इस समय बंगलादेश जे-34 किस्म की कपास की खरीद कर रहा है, तथा आगे अन्य देशों की आयात मांग भी निकलने की उम्मीद है। रुपये की तुलना में डॉलर मंहगा बना रहा तो, आगे निर्यात पड़ते अच्छे लगेंगे। नए सीजन की कपास के करीब 7 से 8 लाख गांठ के निर्यात सौदे हो चुके हैं।............  आर एस राणा

07 अक्टूबर 2018

गांव के आधार पर होगा फसल नुकसान का आंकलन, बीमा योजना में हुए अहम बदलाव

आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) को किसान हितैषी बनाने के लिए दर्जनभर बदलाव किए हैं। नये बदलाव में किसानों को बीमा के जल्द से जल्द भुगतान पर जोर दिया गया है, अगर बीमा दावों का समय पर भुगतान नहीं हुआ फिर फिर बीमा कंपनियों के साथ-साथ राज्यों पर भी कार्रवाई होगी। पहली अक्टूबर 2018 से नए नियम लागू हो गए हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आशीष कुमार भूटानी ने बताया कि पीएमएफबीवाई में किसानों के हितों के लिए कई अहम बदलाव किए गए हैं। इनमें फसल कटाई प्रयोग के आंकड़े नई टेक्नोलॉजी से लिए जायेंगे साथ ही ब्लॉक या फिर तहसील के बजाए नुकसान का आकलन गांव या फिर पंचायत के आधार पर करने के अलावा नई योजना में ओलावृष्ठि, जलभराव, भूस्खलन जैसी आपदाओं में खेतवार फसल के नुकसान का आकलन होगा। इसके अलावसा नई योजना में फसल कटाई के बाद 14 दिन के अंदर खेत में पड़े रहने पर चक्रवात एव बेमौसम बारिश हुई क्षति का भी खेतवार आंकलन होगा, इसमें ओलावृष्टि को भी जोड़ दिया गया है।
देरी होने पर कंपनियों के साथ राज्य भी होंगे जिम्मेदार
उन्होंने बताया कि नये नियम के तहत बीमा दावों का भुगतान अगर समय पर नहीं हुआ तो इसके लिए बीमा कंपनियों और राज्यों को दोषी माना जाएगा। निर्धारित अंतिम तिथि से अगर दो महीने के अंदर मामले का निपटान नहीं हुआ तो बीमा कंपनियों को किसानों को 12 फीसदी ब्याज देना होगा। बीमा कंपनियों की ओर से राज्यों को अपनी मांग दी जाएगी, ऐसे में निर्धारित तारीख के तीन महीने के अंदर अगर सब्सिडी में राज्य अपना हिस्सा जारी नहीं करता तो राज्य सरकारें 12 फीसदी ब्याज देंगी।
गैर कर्जदार किसानों तक पहुंच बढ़ायेंगे
आशीष कुमार भूटानी ने बताया कि पीएमएफबीवाई को और विस्तार देने के लिए गैर कर्जदार किसानों का बीमा सुनिश्चित करने के लिए देशभर में जागरुकता अभियान भी चलाए जाएंगे। बीमा कपंनियों को गैर कर्जदार किसानों को पिछले सीजन की तुलना में 10 फीसदी ज्यादा नामांकित करने का लक्ष्य दिया गया है।
बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में
अब बारहमासी फसलें भी पीएमएफबीवाई के दायरे में होंगी। इसके अलावा जंगली जानवरों के हमले के कारण फसल नुकसान होने की स्थिति में भी बीमा कवर देने को इस योजना में जोड़ा गया है। इसे प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित किया जाएगा।
पीएमएफबीवाई एक उपज आधारित कार्यक्रम है। इसमें किसानों से खरीफ फसलों के लिए दो प्रतिशत, सभी रबी फसलों के लिए डेढ़ प्रतिशत, वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए पांच प्रतिशत शुल्क लिया जाता है।.........    आर एस राणा

सितंबर में डीओसी निर्यात 73 फीसदी घटा, महंगे डॉलर से आगे बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष के सितंबर महीने में डीओसी का निर्यात 73 फीसदी घटकर केवल 81,511 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल सितंबर में 2,98,182 टन का निर्यात हुआ था। रुपये की तुलना में डॉलर मजबूत है तथा घरेलू बाजार में सोयाबीन की नई फसल की आवक शुरू हो गई है इसलिए आगे डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले छह महीनों अप्रैल से सितंबर के दौरान डीओसी का निर्यात 9 फीसदी बढ़कर 14,03,382 टन का हुआ है जबकि इसके पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इनका निर्यात 12,84,788 टन का हुआ था। इस दौरान सोया डीओसी के निर्यात में तो कमी आई है, लेकिन सरसों डीओसी का निर्यात बढ़ा है।
एसईए के कार्यकारी निदेशक डॉ. बी वी मेहता ने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रर्ड वार के कारण हमारे यहां से आगामी दिनों में डीओसी और सरसों डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। भारतीय बंदरगाह पर सोया डीओसी के भाव सितंबर में औसत: 367 डॉलर प्रति टन रहे, जबकि अगस्त में इसके भाव 406 डॉलर प्रति टन थे। इस दौरान सरसों डीओसी के भाव जरूर अगस्त के 216 डॉलर से बढ़कर सितंबर में 226 डॉलर प्रति टन हो गए।
सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के उपाध्यक्ष नरेश गोयनका ने बताया कि रुपये की तुलना में डॉलर महंगा है इसलिए चालू सीजन में डीओसी के निर्यात में बढ़ोतरी होने का अनुमान है। सोया डीओसी के भाव प्लांटों में 26,000 से 27,000 रुपये और कांडला बंदरगाह पर 27,500 रुपये प्रति टन रहे।..... आर एस राणा

सोयाबीन और मूंगफली की खरीद को केंद्र ने दी मंजूरी, 15 अक्टूबर से शुरू होगी खरीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे भाव पर तिलहनी फसल बेच रहे किसानों को राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने राजस्थान, मध्य प्रदेश और महारष्ट्र से मूंगफली और सोयाबीन की प्राइस सपोर्ट स्कीम (पीएसएस) के तहत खरीद को मंजूरी दे दी। कृषि मंत्रालय के अनुसार इन राज्यों से 15 अक्टूबर से खरीद शुरू होगी तथा 90 दिन तक खरीद चलेगी। हालांकि कुल उत्पादन के मुकाबले खरीद सीमित मात्रा में ही होगी, ऐसे में सवाल यह है कि कितने किसानों को इसका लाभ मिल पायेगा?
कृषि मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार खरीफ विपणन सीजन 2018-19 में पीएसएस के तहत राजस्थान से 3.79 लाख टन मूंगफली की खरीद को मंजूरी दी है, जिस पर 1,853.31 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। मध्य प्रदेश से इस दौरान 92,250 टन मूंगफली की खरीद की जायेगी, जिस पर 451.10 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है।
महाराष्ट्र से चालू खरीफ सीजन में 2.50 लाख टन सोयाबीन की खरीद को मंजूरी दी है, जिस पर करीब 849.75 करोड़ का खर्च आने का अनुमान है। इसके अलावा राजस्थान से एमएसपी पर 3.69 लाख टन सोयाबीन की खरीद करने की अनुमति केंद्र सरकार ने दे दी है, जिस पर करीब 1250.91 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।
मध्य प्रदेश से चालू खरीफ में 50,000 टन तिल की खरीद एमएसपी पर की जायेगा तथा इस पर करीब 312.45 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा।
कृषि मंत्रालय के अनुसार सोयाबीन और मूंगफली की एमएसपी पर खरीद नेफेड, भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अलावा लघु कृषक कृषि व्‍यापार संघ (एसएफएसी) द्वारा की जायेगी तथा किसानों को भुगतान सीधा उनके बैंक खातों में किया जायेगा।.......... आर एस राणा

अक्टूबर में बेचने के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी, पिछले महीने से ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। खाद्य मंत्रालय ने अक्टूबर में खुले बाजार में बेचने के लिए 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है जोकि सितंबर के मुकाबले एक लाख टन ज्यादा है। त्यौहारी सीजन को देखते हुए अक्टूबर में कोटा ज्यादा जारी किया गया है।
सूत्रों के अनुसार अक्टूबर में त्यौहारी सीजन है इसलिए चीनी की मांग बढ़ेगी, इसीलिए खाद्य मंत्रालय ने 22 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया है। सितंबर में मंत्रालय ने 19.5 लाख टन चीनी का कोटा जारी किया था, जबकि 1.50 लाख टन चीनी अगस्त के कोटे की बची हुई थी, अत: सितंबर में बेचने के लिए चीनी की कुल उपलब्धता 21 लाख टन की थी।
चीनी कारोबारी सुधीर भालोठिया ने बताया कि अक्टूबर में त्यौहारी सीजन के कारण चीनी में मांग अच्छी रहेगी। सोमवार को दिल्ली में एम ग्रेड चीनी के भाव 3,500 से 3,600 रुपये और उत्तर प्रदेश में एक्स फैक्ट्री चीनी के भाव 3,250 से 3,325 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
पहली अक्टूबर से चीनी का नया पेराई सीजन शुरू हो गया है, तथा गन्ने के बुवाई क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी से उद्योग ने चालू पेराई सीजन में चीनी का रिकार्ड उत्पादन 355 लाख टन होने का अनुमान लगाया है जबकि पिछले पेराई सीजन में 325 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।........... आर एस राणा

गेहूं का एमएसपी 1,840 रुपये और सरसों का 4,200 रुपये तय करने की सिफारिश

आर एस राणा
नई दिल्ली। किसानों के आंदोलन के बीच केंद्र सरकार जल्द ही रबी की प्रमुख फसल गेहूं समेत सभी छह फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) घोषित कर सकती है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने गेहूं के एमएसपी में 105 रुपये और सरसों के एमएसपी में 200 रुपये तथा चना के एमएसपी में 220 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी की सिफारिश की है।
रबी विपणन सीजन 2018-19 के लिए गेहूं का एमएसपी 105 रुपये बढ़ाकर 1,840 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश सीएसीपी ने की है जबकि आमतौर पर केंद्र सरकार सीएसीपी की सिफारिशों पर ही मोहर लगा देती है। रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,735 रुपये प्रति क्विंटल था।
इसी तरह से सरसों के एमएसपी में 200 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 4,200 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की गई है। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना के एमएसपी में 220 रुपये की बढ़ोतरी कर 4,620 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की है। रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए चना का एमएसपी 4,400 रुपये प्रति क्विंटल था। रबी दलहन की अन्य फसल मसूर का एमएसपी 225 रुपये बढ़ाकर 4,475 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की गई है।
रबी की अन्य फसलों में जौ के एमएसपी में 30 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,440 रुपये और सनफ्लावर का एमएसपी 845 रुपये बढ़ाकर 4,945 रुपये प्रति क्विंटल तय करने की सिफारिश की गई है।
नवंबर से रबी फसलों की बुवाई आरंभ हो जाती है, इसलिए रबी फसलों के एमएसपी चालू महीने में ही घोषित किए जा सकते हैं। जिससे कि किसानों को बुवाई के लिए फसलों के चयन में आसानी हो जाती है। ..... आर एस राणा

बासमती चावल के निर्यात में हुई बढ़ोतरी, गैर-बासमती का घटा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है, जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में इस दौरान कमी आई है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के दौरान बासमती चावल का निर्यात बढ़कर 18,54,193 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 18,47,607 टन का ही हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में घटकर 31,74,764 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 34,08,545 टन का हुआ था।
मूल्य के हिसाब से बासमती और गैर-बासमती चावल का निर्यात ज्यादा
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में बासमती चावल का निर्यात 13,629 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के दौरान 11,951 करोड़ रुपये मूल्य का ही निर्यात हुआ था। गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष 2018-19 के अप्रैल से अगस्त के दौरान 8,906 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में मूल्य के हिसाब से 8,894 करोड़ रुपये का ही निर्यात हुआ था।
मध्य नवंबर से निर्यात सौदों में तेजी की उम्मीद
चावल की निर्यातक फर्म केआरबीएल लिमिटेड के चेयरमैन एंड मैनेजिंग डायरेक्टर अनिल कुमार मित्तल ने बताया कि जुलाई-अगस्त में निर्यात सौदे ज्यादा हुए थे, लेकिन नई फसल को देखते हुए इस समय निर्यात सौदे कम हो रहे हैं। उत्पादक मंडियों में पूसा 1,509 बासमती धान की आवक शुरू हो गई है, तथा नवंबर में 1,121 बासमती धान की आवक चालू हो जायेगी। उसके बाद निर्यात सौदों में तेजी आने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि पूसा बासमती चावल 1,121 सेला के सौदे 1,100 डॉलर प्रति टन की दर से हुए थे, जबकि नई फसल के निर्यात सौदे मध्य नवंबर में शुरू हो जायेंगे। चालू वित्त वर्ष में कुल निर्यात पिछले साल के लगभग 40 लाख टन के करीब ही होने का अनुमान है।
बढ़ने लगी है धान की आवक
कैथल के धान कारोबारी रामनिवाश खुरानियां ने बताया कि सोमवार को मंडी में 20 हजार बोरी पूसा बासमती धान 1,509 की आवक हुई तथा इसके भाव 2,350 से 2,400 रुपये प्रति क्विंटल रहे। उन्होंने बताया कि मंडी में परमल धान की आवक करीब 30,000 बोरी की हुई। उत्पादक क्षेत्रों में मौसम साफ है इसलिए आगे धान की दैनिक आवक और बढ़ेगी।
रिकार्ड पैदावार का अनुमान
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2018-19 में चावल का रिकार्ड उत्पादन 992.4 लाख टन होने का अनुमान है जबकि फसल सीजन 2017-18 में खरीफ में चावल का उत्पादन 975 लाख टन का हुआ था।.............. आर एस राणा

मूंगफली दाने का निर्यात बढ़ा, फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा है समर्थन मूल्य

आर एस राणा
नई दिल्ली। मूंगफली दाने के निर्यात में बढ़ोतरी के बावजूद भी किसान मूंगफली की फसल को समर्थन मूल्य से नीचे बेचने को मजबूर हैं। चालू वित्त वर्ष 2018-19 के पहले पांच महीनों अप्रैल से अगस्त के दौरान मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 2,01,193 टन का हो चुका है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात केवल 1,57,329 टन का ही हुआ था।
मूल्य से हिसाब से भी हुई बढ़ोतरी
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से अगस्त के दौरान मूल्य के हिसाब से मूंगफली दाने का निर्यात बढ़कर 1,307 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2017-18 की समान अवधि में इसका निर्यात 1,182 करोड़ रुपये का ही हुआ था।
एमएसपी से नीचे हैं मंडियों में भाव
एगमार्क नेट के अनुसार प्रमुख उत्पादक गुजरात की राजकोट मंडी में गुरूवार को मूंगफली का भाव 3,250 से 4,290 रुपये प्रति क्विंटल रहा। केंद्र सरकार ने खरीफ विपणन सीजन 2018-19 के लिए मूंगफली का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,890 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
उत्पादन में कमी की आशंका
कृषि मंत्रालय के आरंभिक अनुमान के अनुसार खरीफ सीजन 2018-19 में मूंगफली का उत्पादन घटकर 63.29 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 2017-18 में इसका उत्पादन 75.40 लाख टन का ही हुआ था।.............  आर एस राणा

04 अक्टूबर 2018

देश के 31 फीसदी हिस्से में सामान्य से कम बारिश, देशभर में 9 फीसदी कम

आर एस राणा
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार चालू खरीफ में मानसूनी बारिश सामान्य से 9 फीसदी कम होने के साथ ही मानसून की विदाई हो गई। देश के 31 फीसदी हिस्से में जहां कम बारिश हुई, वहीं इस दौरान 69 फीसदी हिस्से में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई है।
आईएमडी के अनुसार सबसे ज्यादा कम बारिश लक्ष्यद्वीप में 45 फीसदी, रायलसीमा में 37 फीसदी, सौराष्ट्र और कच्च में 34 फीसदी तथा अरूणाचल प्रदेश में 32 फीसदी बारिश कम हुई है। आईएमडी के महानिदेशक केजे रमेश के अनुसार किसानों ने खेतों में नमी के हिसाब से फसलों की बुवाई की है, पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में जहां सामान्य से 20 फीसदी से भी कम बारिश हुई है, वहां फसलों की अच्छी बुवाई यह बताती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष दीर्घावधि औसत के हिसाब से देश में कुल 91 प्रतिशत बारिश हुई, जोकि सामान्य से कम है। 
पूर्वोत्तर भारत में 24 फसीदी कम बारिश 
चालू खरीफ में देशभर में मानसून के सीजन के दौरान पूर्वोत्तर के राज्यों में 887.5 मिलीमीटर की सामान्य बारिश के मुकाबले 804 मिलीमीटर ही हुई। पूर्वोत्तर भारत में सामान्य के मुकाबले 24 फीसदी बारिश कम हुई है। अरुणाचल प्रदेश में चालू सीजन के दौरान बारिश में 32 फीसदी की कमी दर्ज की गई जबकि असम और मेघालय में इस दौरान 26 फीसदी कम बारिश हुई। झारखंड में मानसूनी बारशि 28 फीसदी कम, बिहार में 25 फीसदी कम और पश्चिम बंगाल में 20 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।
पश्चिमी उत्तर भारत में 2 फीसदी कम
पश्चिमी उत्तर भारत में इस बार मानसूनी बारिश सामान्य के मुकाबले 7 फीसदी कम हुई। पूर्वी उत्तर प्रदेश में चालू खरीफ में सामान्य के मुकाबले 16 फीसदी कम, पश्चिमी राजस्थान में 23 फीसदी कम, हिमाचल प्रदेश में 11 फीसदी कम बारिश हुई है। उधर जम्मू-कश्मीर में जरुर सामान्य से 12 फीसदी ज्यादा हुई । हरियाणा और दिल्ली में सामान्य से 9 फीसदी कम होने के साथ ही उत्तराखंड में सामान्य से 3 फीसदी कम हुई है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सामान्य से एक फीसदी ज्यादा बारिश हुई है जबकि पूर्वी राजस्थान में सामान्य से 3 फीसदी ज्यादा हुई है। 
मध्य भारत में सामान्य से 7 फीसदी कम 
मध्य प्रदेश के सौराष्ट्र और कच्छ में मानसूनी बारशि सामान्य से 34 फीसदी कम, गुजरात रीजन में 24 फीसदी कम, मराठवाड़ा में 22 फीसदी बारिश सामान्य से कम हुई है। ओडिशा में जरुर सामान्य से 12 फीसदी अधिक बारिश हुई है। मध्य महाराष्ट्र में जहां चालू खरीफ में 9 फीसदी कम बारिश हुई है, वहीं विदर्भ में 8 फीसदी और छत्तीसगढ़ में सामान्य से 4 फीसदी कम बारिश हुई है। पूर्वी मध्य प्रदेश में भी सामान्य से 13 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई।
दक्षिण भारत में 2 फीसदी कम 
दक्षिण भारत के नार्थ इस्ट कर्नाटक में जहां चालू खरीफ में सामान्य से 29 फीसदी कम बारिश हुई है वहीं साउथ इस्ट कर्नाटक में सामान्य से 4 फीसदी अधिक बारिश हुई है। तमिलनाडु और पांडीचेरी में सामान्य से 8 फीसदी कम तो, केरल में 23 फीसदी सामान्य से अधिक बारिश दर्ज की गई।
समय से पहले दी थी दस्तक
केरल में इस वर्ष 28 मई को मानसून ने पहली दस्तक दी थी। इस प्रकार देश में सामान्य से तीन दिन पहले मानसून का आगमन हुआ था।.....  आर एस राणा

खाद की कीमतों में 30 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी, रबी फसलों की बुवाई होगी महंगी

आर एस राणा
नई दिल्ली। रबी फसलों की बुवाई के लिए किसानों को खाद खरीदने के लिए 30 फीसदी से ज्यादा रकम चुकानी पड़ेगी। डीएपी खाद की कीमतों में साल भर में 350 रुपये और पोटाश की कीमतों में 370 रुपये की बढ़ोतरी हो चुकी है।
डीएपी और पोटास हुआ महंगा
पंजाब के अटारी स्थित अग्रवाल खाद स्टोर के प्रबंधक दिनेश अग्रवाल ने बताया कि डीएपी खाद का भाव बढ़कर 1,400 रुपये प्रति 45 किलो गया है, जबकि पिछले रबी सीजन में इसका भाव 1,050 रुपये 45 किलो था। इसी तरह से पोटास का भाव 550 रुपये से बढ़कर 920 रुपये प्रति 45 किलो हो गया है। उन्होंने बताया कि यूरयिा का भाव तो 265 रुपये प्रति 45 किलो है, लेकिन यूरिया की उपलब्धता कम है।
यूरिया के भाव तो स्थिर लेकिन उपलब्धता कम
हरियाणा के बहादुगढ़ स्थित दलाल खाद बीज भंडार के प्रबंधक सुरेंद्र दलाल ने बताया कि डीएपी का भाव 1,340 रुपये प्रति 45 किलो है, लेकिन नया डीएपी अभी आया नहीं है। उन्होंने बताया कि नया डीएपी आने के बाद भाव और भी बढ़ने की खबर है। मार्च 2018 में इसका भाव 1,080 रुपये प्रति 45 किलो था। उन्होंने बताया कि यूरिया का भाव 265 रुपये प्रति 45 किलो है, लेकिन उपलब्धता कम होने के कारण यह 270 से 280 रुपये प्रति 45 किलो में बिक रहा है।
कच्चे माल की कीमतों में तेजी, और महंगे डॉलर का असर
सूत्रों के विश्व बाजार से आयातित कच्चे माल फॉस्फेट और पोटाश की कीमतों में आई तेजी के कारण घरेलू बाजार में खाद की कीमतें बढ़ी हैं। यूरिया की कीमतों पर सरकार का नियंत्रण होने के कारण इनके बिक्री भाव में तो बढ़ोतरी तो नहीं हुई है, लेकिन इससे सब्सिडी में जरुर बढ़ोतरी हो जायेगी। उद्योग के अनुसार रुपये की तुलना में डॉलर मजबूत होने से विश्व बाजार से आयातित फॉस्फेट और पोटाश की लागत ज्यादा आ रही है जिसका असर घरेलू बाजार में पड़ रहा है।
यूरिया का उत्पादन बढ़ने का अनुमान
रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2018-19 में यूरिया खाद का उत्पादन 1.6 फीसदी बढ़कर 244 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसका उत्पादन 240.2 लाख टन का ही हुआ था।.....   आर एस राणा