आर एस राणा
नई दिल्ली। जीरा का स्टॉक उत्पादक मंडियों में 2.5 लाख बोरी से भी कम बताया जा रहा है कि इस समय जीरा में निर्यातकों के साथ ही घेरलू मसाला कंपनियों की मांग अच्छी है। इसलिए जीरा की कीमतों में आगे और तेजी आने का अनुमान है। सोमवार को प्रमुख उत्पादक मंडी उंझा में जीरा का भाव 3,000 से 3,800 रुपये प्रति 20 किलो रहा जबकि दैनिक आवक केवल 2,500 बोरी की हुई तथा दैनिक व्यापार 5,000 बोरी का हुआ।
सूत्रों के अनुसार प्रमुख उत्पादक मंडियों में जीरा का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी में बनेगी। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में जीरा की बुवाई 28 दिसंबर तक 2,67,100 हैक्टेयर में ही हो पाई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1,200 हैक्टेयर कम है। पिछले साल की समान अवधि में गुजरात में जीरा की बुवाई 2,68,300 हैक्टेयर में हुई थी। राजस्थान में भी चालू सीजन में जीरा की बुवाई में कमी आने की आषंका है।
टर्की और सीरिया में राजनीति गतिरोध के कारण भारत से जीरा के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान जीरा का निर्यात बढ़कर 88,000 टन होने का अनुमान है। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान जीरा का निर्यात बढ़कर 77,839 टन का हुआ था जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 55,738 टन का ही निर्यात हुआ था। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान जीरा के निर्यात में पिछले पांच साल की तुलना में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। विश्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.70 डॉलर प्रति किलो था।
फसल सीजन 2015-16 में गुजरात में जीरा का उत्पादन 2.38 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन केवल 2 लाख टन का ही हुआ था। अतः पिछले दो साल से गुजरात में उत्पादन कम हुआ है जबकि चालू वित्त वर्ष 2016-17 में अभी तक निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है इसीलिए जीरा के बकाया स्टॉक में कमी आई है। ऐसे में आगामी दिनों में जीरा की तेजी-मंदी काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करेगी।................आर एस राणा
नई दिल्ली। जीरा का स्टॉक उत्पादक मंडियों में 2.5 लाख बोरी से भी कम बताया जा रहा है कि इस समय जीरा में निर्यातकों के साथ ही घेरलू मसाला कंपनियों की मांग अच्छी है। इसलिए जीरा की कीमतों में आगे और तेजी आने का अनुमान है। सोमवार को प्रमुख उत्पादक मंडी उंझा में जीरा का भाव 3,000 से 3,800 रुपये प्रति 20 किलो रहा जबकि दैनिक आवक केवल 2,500 बोरी की हुई तथा दैनिक व्यापार 5,000 बोरी का हुआ।
सूत्रों के अनुसार प्रमुख उत्पादक मंडियों में जीरा का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल की आवक फरवरी में बनेगी। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में जीरा की बुवाई 28 दिसंबर तक 2,67,100 हैक्टेयर में ही हो पाई है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 1,200 हैक्टेयर कम है। पिछले साल की समान अवधि में गुजरात में जीरा की बुवाई 2,68,300 हैक्टेयर में हुई थी। राजस्थान में भी चालू सीजन में जीरा की बुवाई में कमी आने की आषंका है।
टर्की और सीरिया में राजनीति गतिरोध के कारण भारत से जीरा के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान जीरा का निर्यात बढ़कर 88,000 टन होने का अनुमान है। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान जीरा का निर्यात बढ़कर 77,839 टन का हुआ था जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में केवल 55,738 टन का ही निर्यात हुआ था। अप्रैल से अक्टूबर के दौरान जीरा के निर्यात में पिछले पांच साल की तुलना में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। विश्व बाजार में भारतीय जीरा का भाव 3.64 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले महीने इसका भाव 3.70 डॉलर प्रति किलो था।
फसल सीजन 2015-16 में गुजरात में जीरा का उत्पादन 2.38 लाख टन का हुआ था, जबकि इसके पिछले साल उत्पादन केवल 2 लाख टन का ही हुआ था। अतः पिछले दो साल से गुजरात में उत्पादन कम हुआ है जबकि चालू वित्त वर्ष 2016-17 में अभी तक निर्यात में अच्छी बढ़ोतरी हुई है इसीलिए जीरा के बकाया स्टॉक में कमी आई है। ऐसे में आगामी दिनों में जीरा की तेजी-मंदी काफी हद तक मौसम पर भी निर्भर करेगी।................आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें