नोटबंदी की वजह से कमजोर हुई उपभोक्ता मांग से चावल उबर गया है। जनवरी
से चावल की कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं। इसकी वजह रबी सीजन में चावल की कम
बुआई और खरीफ सीजन के उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी न होने की खबरें हैं।
हालांकि किसानों का आरोप है कि हाजिर बाजारों में भारी सटोरिया गतिविधियों
से मंडियों में कम आपूर्ति हो रही है। खाद्य मंत्रालय के तहत आने वाले
उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली मंडी में
नोटबंदी से पहले की तुलना में चावल 4.3 फीसदी महंगा हुआ है। उस समय इसका
भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल था। औसत गुणवत्ता के चावल का भाव दिल्ली
मंडी में दिसंबर में 2,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया था, लेकिन 25
जनवरी को यह बढ़कर 2,450 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इस खरीफ सीजन
में चावल के ज्यादा उत्पादन के अनुमानों के बावजूद उत्तरी भारतीय राज्यों
में चावल के भाव गत वर्ष नवंबर से 28 फीसदी तक बढ़े हैं। उत्तरी भारतीय
राज्य चावल उत्पादन का प्रमुख केंद्र हैं।
किसानों के लिए आवाज उठाने वाले एक संगठन भारत कृषक समाज के चेयरमैन
अजय वीर जाखड़ ने कहा, 'पिछले एक महीने में कुछ भी नया नहीं हुआ है। केवल
सटोरियों ने चावल बाजार अपना शिकंजा मजबूत किया है। चावल में सटोरिया
गतिविधियां बढ़ी हैं। यह अच्छा है कि इस सीजन में किसानों ज्यादा कीमत मिल
रही है।' कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने
पिछले साल अपने पहले अग्रिम अनुमान में कहा था कि खरीफ सीजन 2016-17 में
भारत का चावल उत्पादन 9.38 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल के इसी सीजन के
उत्पादन 9.13 करोड़ टन से 2.81 फीसदी अधिक है। हालांकि भारत के चावल
उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी की हकीकत कुछ अलग है। उपज में ज्यादा नमी की
वजह से कारोबारी चावल के कम दाम लगा रहे हैं। इसके नतीजतन किसान और
कारोबारी चावल को रोक रहे हैं। वे इसे कम आवक के सीजन में बेचना चाहते हैं।
इससे बिक्री के लिए मंडियों में चावल की आवक कम है। इसके अलावा धान में
ज्यादा नमी से उसे लंबे समय तक स्टॉक कर रखना संभव नहीं है। कारोबारी इसे
गुणवत्ता के लिहाज से ठीक नहीं मान रहे हैं।
देशभर में चावल की कीमतें मजबूत हुई हैं। राजस्थान के बूंदी में
सुगंधा सेला किस्म का भाव आज 4,350 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया, जो करीब
एक महीने पहले के भाव 4,130 रुपये प्रति क्विंटल से 5 फीसदी अधिक है।
नागपुर में चावल की श्रीराम किस्म का भाव पिछले एक महीने में 3 फीसदी बढ़कर
5,130 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। आरएमएल एजीटेक के प्रबंध
निदेशक राजीव तेवतिया ने कहा, 'इस साल भारत में गर्मियों में उगाए जाने
वाले चावल का उत्पादन बढऩे का अनुमान जताया जा रहा है। हालांकि अच्छी घरेलू
और निर्यात मांग से कीमतें लगातार मजबूत बनी हुई हैं। हालांकि रबी सीजन
में बुआई घटी है, इसलिए हमारा अनुमान है कि आगे कीमतें मजबूत रहेंगी।'
आरएमएल एजी टेक एक कृषि सलाह कंपनी है। चावल की कीमतों में मजबूती को चालू
रबी सीजन में कम रकबे से भी सहारा मिल रहा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के
मुताबिक इस रबी सीजन में चावल का बुआई रकबा 20 जनवरी 2017 तक घटकर 14
फीसदी घटकर 19.4 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल इस समय तक 22.5 लाख
हेक्टेयर था। हालांकि देश के सालाना चावल उत्पादन में खरीब सीजन का हिस्सा
85 फीसदी और रबी का 15 फीसदी होता है। (BS Hindi)
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