आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया के साथ ही फ्रांस और यूक्रेन से चालू सीजन में अभी तक करीब 22 लाख टन गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुका है तथा आयातक करीब 25 लाख टन गेहूं के आयात सौदे कर चुके हैं। माना जा रहा है कि कुल आयात 30 लाख टन तक ही हो पायेगा, क्योंकि आयातकों को डर है कि केंद्र सरकार गेहूं के आयात पर 28 फरवरी 2017 के बाद आयात शुल्क लगायेंगी, इसलिए आयातक केवल जनवरी-फरवरी शिपमेंट के ही आयात सौदे कर रहे हैं।
इस समय आस्ट्रेलिया से आयातित प्रीमियम गेहूं का भाव भारतीय बदरगांह पर 1,780 रुपये, आस्ट्रेलियाई एएसडब्ल्यू गेहूं का भाव 1,730 रुपये और यूक्रेन के गेहूं का भाव 1,660 रुपये प्रति क्विंटल है। इन भाव में उत्तर भारत की फ्लोर मिलों में गेहूं के पड़ते नहीं लग रहे है तथा सारा गेहूं दक्षिण भारत और पड़ौसी राज्यों की फ्लोर मिलों द्वारा ही खरीदा जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार अभी तक करीब 22 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है तथा इसमें से 10 लाख टन गेहूं की खपत भी हो चुकी है। चालू सीजन में कुल आयात 30 लाख टन होने का अनुमान है, ऐसे में दक्षिण भारत के साथ ही पड़ौसी राज्यों की मिलों में आयातित गेहूं फरवरी-मार्च तक खप जायेगा, तथा दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों को अप्रैल-मई से उत्तर भारत के राज्यों से ही गेहूं की खरीद करनी पड़ेगी।..............आर एस राणा
नई दिल्ली। आस्ट्रेलिया के साथ ही फ्रांस और यूक्रेन से चालू सीजन में अभी तक करीब 22 लाख टन गेहूं भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच चुका है तथा आयातक करीब 25 लाख टन गेहूं के आयात सौदे कर चुके हैं। माना जा रहा है कि कुल आयात 30 लाख टन तक ही हो पायेगा, क्योंकि आयातकों को डर है कि केंद्र सरकार गेहूं के आयात पर 28 फरवरी 2017 के बाद आयात शुल्क लगायेंगी, इसलिए आयातक केवल जनवरी-फरवरी शिपमेंट के ही आयात सौदे कर रहे हैं।
इस समय आस्ट्रेलिया से आयातित प्रीमियम गेहूं का भाव भारतीय बदरगांह पर 1,780 रुपये, आस्ट्रेलियाई एएसडब्ल्यू गेहूं का भाव 1,730 रुपये और यूक्रेन के गेहूं का भाव 1,660 रुपये प्रति क्विंटल है। इन भाव में उत्तर भारत की फ्लोर मिलों में गेहूं के पड़ते नहीं लग रहे है तथा सारा गेहूं दक्षिण भारत और पड़ौसी राज्यों की फ्लोर मिलों द्वारा ही खरीदा जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार अभी तक करीब 22 लाख टन गेहूं का आयात हो चुका है तथा इसमें से 10 लाख टन गेहूं की खपत भी हो चुकी है। चालू सीजन में कुल आयात 30 लाख टन होने का अनुमान है, ऐसे में दक्षिण भारत के साथ ही पड़ौसी राज्यों की मिलों में आयातित गेहूं फरवरी-मार्च तक खप जायेगा, तथा दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों को अप्रैल-मई से उत्तर भारत के राज्यों से ही गेहूं की खरीद करनी पड़ेगी।..............आर एस राणा
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