देश के दो अग्रणी जिंस एक्सचेंजों का कारोबार दिसंबर में तेजी से गिरा
है। इन दोनों एक्सचेजों में एक को कृषि कारोबार और दूसरे को धातु एवं
ऊर्जा उत्पादों के लिए जाना जाता है। बाजार भागीदारों के मुताबिक डब्बा
कारोबारियों के क्रॉस हेजिंग न करने से कृषि मंडियों में मामूली कारोबार हो
रहा है। बहुत से कारोबारी नोटबंदी की दिक्कतों से ही निपटने में व्यस्त
हैं, जिससे कारोबारी मात्रा में भारी गिरावट आई है। एमसीएक्स पर पिछले साल
दिसंबर में दैनिक औसत कारोबार घटकर 17,492 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल
की इसी अवधि में 19,710 करोड़ रुपये था।
हालांकि वर्ष के दैनिक औसत स्तर से मुकाबले दिसंबर में कारोबारी
मात्रा में गिरावट काफी अधिक है। एनसीडीईएक्स के कारोबार में भी गिरावट आई
है। लेकिन इस साल एक्सचेंज पर दिसंबर में कारोबार इतनी तेजी से घटा है कि
वह पूरे साल के औसत का महज 40 फीसदी है और यह पिछले साल के दैनिक औसत
कारोबार का महज 25 फीसदी है। एनसीडीईएक्स के प्रवक्ता ने कहा, 'पुराने नोट
वापस लिए जाने से हाजिर बाजारों में कारोबार प्रभावित हुआ है और डेरिवेटिव
बाजार होने से हमें इसका भारी असर झेलना पड़ रहा है। हालांकि हमारा मानना
है कि यह असर थोड़े समय रहेगा और धीरे-धीरे कारोबारी मात्रा सामान्य स्तर
पर आ जाएगी। नोटबंदी जैसे बड़े सुधार से कुछ समय कारोबार प्रभावित होता है
और हमारा मानना है कि हम भी उसी दौर से गुजर रहे हैं।'
नोटबंदी से भारतीय जिंस एक्सचेंजों में कारोबार प्रत्यक्ष और
अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित हुआ है। एक बाजार भागीदार ने नाम न छापने की
शर्त पर बताया, 'बड़े नोट वापस लिए जाने की घोषणा के बाद डब्बा कारोबार थम
गया है, जो एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से बाहर होने वाला अवैध अनियमित कारोबार
था। हालांकि ऐसे कारोबारी आधिकारिक प्लेटफॉर्मों पर पोजिशनों की हेजिंग कर
रहे थे, इसलिए इन पोजिशनों की कवरिंग नवंबर मेंं हुई और नवंबर में कारोबारी
मात्रा पर कोई असर नहीं पड़ा। आमतौर पर दिसंबर में कारोबार कम रहता है,
लेकिन इस बार नोटबंदी की वजह से असर ज्यादा था।' एक्सचेंजों के बहुत से
बड़े कारोबारी ग्राहक भी कारोबार करने से दूर रहे क्योंकि वे पुराने नोटों
को जमा कराने की अंतिम तारीख 30 दिसंबर से पहले अपने बहीखातों को व्यवस्थित
करने में व्यस्त रहे।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें