मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं आयात को हत्तोसाहित करने के लिए केंद्र सरकार ने आयात शुल्क नहीं लगाया तो उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिकेगा। चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। आयात शुल्क शुन्य होने के कारण चालू सीजन में फरवरी तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है जिससे दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश से कम रहेगी। इसलिए इन राज्यों में अप्रैल-मई में गेहूं के भाव घटकर नीचे में 1,500 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल बन सकते हैं जबकि केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
चालू सीजन में अभी तक करीब 23 से 24 लाख टन गेहूं का आयात आस्ट्रेलिया, यूक्रेन और फ्रांस से हो चुका है तथा माना जा रहा है कि 28 फरवरी 2017 तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात हो जायेगा। केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए आयात शुल्क को शुन्य किया हुआ है जबकि आयातकों को लगता है कि सरकार 28 फरवरी 2017 के बाद फिर से आयात शुल्क लगा देगी, इसलिए आयातक केवल 28 फरवरी 2017 से पहले की ही शिपमेंट के आयात सौदे कर रहे हैं।
दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद ज्यादा करती है जबकि इस बार दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों के पास आयातित गेहूं की उपलब्धता ज्यादा होगी, तो उनकी खरीद इन राज्यों से कम रहेगी। पंजाब और हरियाणा में तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की खरीद ज्यादा रहती है, लेकिन उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद सीमित मात्रा में ही होती है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात को रोकने के लिए जल्द ही आयात शुल्क नहीं लगाया तो फिर इन राज्यों में गेहूं का भाव एमएसपी से नीचे आने की संभावना है।
आयातित गेहूं का भाव दक्षिण भारत में बंदरगाह पहुंच 1,660 से 1,780 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार है, इसलिए आयातित गेहूं से दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों को ज्यादा मुनाफा हो रहा है। आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, इन भाव पर दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें गेहूं की खरीद करेंगी तो इसमें करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत ही आयेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 289.07 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। बुवाई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मध्य प्रदेश में हुई है। मध्य प्रदेश में अभी गेहूं की बुवाई बढ़कर 61.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 51.84 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में इसकी बुवाई पिछले साल के 92.71 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 98.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। अन्य राज्यों हरियाणा में बुवाई 25.19 लाख हैक्टेयर में, पंजाब में 35 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 30.67 लाख हैक्टेयर में, बिहार में 22.54 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 9.76 लाख हैक्टेयर में तथा महाराष्ट्र में 9.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।...............आर एस राणा
आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं आयात को हत्तोसाहित करने के लिए केंद्र सरकार ने आयात शुल्क नहीं लगाया तो उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिकेगा। चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। आयात शुल्क शुन्य होने के कारण चालू सीजन में फरवरी तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है जिससे दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश से कम रहेगी। इसलिए इन राज्यों में अप्रैल-मई में गेहूं के भाव घटकर नीचे में 1,500 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल बन सकते हैं जबकि केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
चालू सीजन में अभी तक करीब 23 से 24 लाख टन गेहूं का आयात आस्ट्रेलिया, यूक्रेन और फ्रांस से हो चुका है तथा माना जा रहा है कि 28 फरवरी 2017 तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात हो जायेगा। केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए आयात शुल्क को शुन्य किया हुआ है जबकि आयातकों को लगता है कि सरकार 28 फरवरी 2017 के बाद फिर से आयात शुल्क लगा देगी, इसलिए आयातक केवल 28 फरवरी 2017 से पहले की ही शिपमेंट के आयात सौदे कर रहे हैं।
दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद ज्यादा करती है जबकि इस बार दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों के पास आयातित गेहूं की उपलब्धता ज्यादा होगी, तो उनकी खरीद इन राज्यों से कम रहेगी। पंजाब और हरियाणा में तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की खरीद ज्यादा रहती है, लेकिन उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद सीमित मात्रा में ही होती है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात को रोकने के लिए जल्द ही आयात शुल्क नहीं लगाया तो फिर इन राज्यों में गेहूं का भाव एमएसपी से नीचे आने की संभावना है।
आयातित गेहूं का भाव दक्षिण भारत में बंदरगाह पहुंच 1,660 से 1,780 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार है, इसलिए आयातित गेहूं से दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों को ज्यादा मुनाफा हो रहा है। आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, इन भाव पर दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें गेहूं की खरीद करेंगी तो इसमें करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत ही आयेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 289.07 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। बुवाई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मध्य प्रदेश में हुई है। मध्य प्रदेश में अभी गेहूं की बुवाई बढ़कर 61.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 51.84 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में इसकी बुवाई पिछले साल के 92.71 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 98.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। अन्य राज्यों हरियाणा में बुवाई 25.19 लाख हैक्टेयर में, पंजाब में 35 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 30.67 लाख हैक्टेयर में, बिहार में 22.54 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 9.76 लाख हैक्टेयर में तथा महाराष्ट्र में 9.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।...............आर एस राणा
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