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31 जनवरी 2017

गुड़ की कीमतों में गिरावट आने की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक क्षेत्रों में मौसम साफ होने के बाद गुड़ का उत्पादन बढ़ेगा, जबकि गुड़ में इस समय खपत राज्यों की मांग कम होने लगी है। ऐसे में आगामी दिनों में गुड़ की कीमतों में करीब 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने की आषंका है। दिल्ली के नया बाजार में मंगलवार को गुड़ पेड़ी का भाव 3,400 रुपये और चाकू का भाव 3,600 रुपये प्रति क्विंटल रहा।
इस समय उत्पादक क्षेत्रों में मौसम प्रतिकूल बना हुआ है जिससे गुड़ का उत्पादन भी कम हो रह है लेकिन जैसे ही मौसम साफ होगा, गुड़ के उत्पादन में तेजी आयेगी। गुड़ की प्रमुख मंडी मुजफ्फरनगर में गुड़ की दैनिक आवक 4,000 से 5,000 मन (एक मन-40 किलो) की हो रही है। मौसम साफ होने के बाद दैनिक आवक बढ़कर 8 से 10 हजार मन की होने की संभावना है। चालू सीजन में मुजफ्फरनगर मंडी में अभी तक 4 लाख कट्टों का स्टॉक ही हुआ है जोकि पिछले साल की तुलना में कम है।
मुजफ्रनगर मंडी में गुड़ चाकू का भाव 1,180 से 1,230 रुपये, लड्डू का भाव 1,210 से 1,240 रुपये, रसकट का भाव 1,050 रुपये तथा खुरपापाड का भाव 1,160 से 1,180 रुपये प्रति 40 किलो रहा।..............आर एस राणा

सोने की कीमतों को सपोर्ट

डॉलर में ऊपरी स्तर से दबाव से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला है। ग्लोबल मार्केट में सोना कल के निचले स्तर से करीब 10 डॉलर बढ़ चुका है और फिलहाल ये 1200 डॉलर के ऊपर कारोबार कर रहा है। अमेरिका में आज से दो दिनों की एफओएमसी की बैठक शुरु हो जाएगी।  एचएसबीसी ने भारत में सोने पर इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती से इनकार किया है। सोने में आई रिकवरी से चांदी को भी सपोर्ट मिला है और इसमें भी बढ़त देखी जा रही है। अमेरिका में लगातार बढ़ रहे क्रूड के उत्पादन से इसकी कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। ग्लोबल मार्केट में क्रूड का दाम करीब 0.5 फीसदी गिर गया है। इस महीने के दौरान नायमैक्स पर डब्ल्यूटीआई क्रूड करीब 5 फीसदी और ब्रेंट का दाम करीब 2.5 फीसदी नीचे आ गया है। गोल्डमैन सैक्स ने उम्मीद जताई है कि इस साल के दौरान अमेरिका में क्रूड का उत्पादन रोजाना करीब 2.5 लाख बैरल बढ़ सकता है। वहीं डॉलर में आई गिरावट से आज रुपये को सपोर्ट मिला है।

ग्वार सीड, सरसों और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 31 जनवरी की टिप्स

बेचे - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में एक लॉट 3,580 रुपये पर बेचे तथा दूसरा 3,600 पर बेचे.....3,620 रुपये का स्टोप लोस लगाए ( तथा पहला टारगेट है 3,540 और दूसरा टारगेट है 3,550 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 3,230 और 3,240 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,210 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,280 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सरसों बेचे -सरसों के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव 3,840....3,850 पर बेचे, तथा 3,865 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,820....दूसरा टारगेट 3,805 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

30 जनवरी 2017

निर्यात मांग से बासमती चावल और धान में और तेजी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। निर्यातकों की मांग बढ़ने से बामसती चावल के साथ ही धान की कीमतों में आगे और तेजी आने की संभावना है। पिछले सप्ताह ईरान ने भारत से बामसती चावल के आयात पर आयात शुल्क को 40 फीसदी से घटाकर 26 फीसदी कर दिया था, उसके बाद से भारत से बासमती चावल के निर्यात सौदों में तेजी आई है।
हरियाणा की कैथल मंडी में सोमवार को पूसा 1,121 बासमती धान का भाव बढ़कर 3,300 रुपये और पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव 5,800 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। डीपी धान का भाव 3,200 रुपये और 1,509 का भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया। माना जा रहा है कि उत्पादक मंडियों में पूसा 1,121 बासमती धान का भाव मार्च के आखिर तक बढ़कर 3,800 से 4,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच सकता है। पूसा 1,121 के साथ ही डीपी, 1,509 और सुगंधा के अलावा अन्य धान और चावल की कीमतों में भी इस दौरान तेजी आयेगी।
चालू सीजन में बासमती धान की कुल पैदावार पिछले साल की तुलना में 20 से 25 फीसदी कम होने का अनुमान है जबकि कुछेक क्षेत्रों में क्वाल्टिी भी प्रभावित हुई है। इस समय धान की दैनिक आवक उत्पादक मंडियों में कम हो रही है, जबकि नोटबंदी के कारण दिसंबर नवंबर-दिसंबर में चावल मिलों की खरीद कम हुई थी। ऐसे में आगामी दिनों में मिलों की मांग में और तेजी आने का अनुमान है।
आल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन का एक प्रतिनिधीमंडल इन दिनो ईरान के दौरे पर है, तथा वहां भारतीय बासमती चावल के खिलाफ फैली भ्रांतियों को दूर करने के लिए ईरान के आयातकों से बातचीत करेगा। इससे भारत से बासमती चावल के निर्यात में और तेजी आने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 7 महीनों अप्रैल से अक्टूबर के दौरान ईरान ने भारत से 4.72 लाख टन बासमती चावल का आयात किया है जोकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 21 फीसदी ज्यादा है। अभी हुए आयात सौदों को देखते हुए फरवरी-मार्च में ईरान को बासमती चावल के निर्यात में और बढ़ोतरी होगी।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का कुल निर्यात 25.79 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 27.02 लाख टन का हुआ था। हालांकि अप्रैल से नवंबर के दौरान जरुर बासमती चावल के निर्यात में कमी आई थी, लेकिन जनवरी से मार्च के दौरान निर्यात में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए कुल निर्यात पिछले साल के लगभग बराबर ही होने का अनुमान है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 9 महीनों अप्रैल से दिसंबर के दौरान मूल्य के हिसाब से बासमती चावल के निर्यात में 12.93 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 15,378.61 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 17,662.71 करोड़ रुपये का हुआ था।........आर एस राणा

नोटबंदी के असर से उबरा चावल

नोटबंदी की वजह से कमजोर हुई उपभोक्ता मांग से चावल उबर गया है। जनवरी से चावल की कीमतें बढऩी शुरू हो गई हैं। इसकी वजह रबी सीजन में चावल की कम बुआई और खरीफ सीजन के उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी न होने की खबरें हैं। हालांकि किसानों का आरोप है कि हाजिर बाजारों में भारी सटोरिया गतिविधियों से मंडियों में कम आपूर्ति हो रही है। खाद्य मंत्रालय के तहत आने वाले उपभोक्ता मामलों के विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि दिल्ली मंडी में नोटबंदी से पहले की तुलना में चावल 4.3 फीसदी महंगा हुआ है। उस समय इसका भाव 2,400 रुपये प्रति क्विंटल था। औसत गुणवत्ता के चावल का भाव दिल्ली मंडी में दिसंबर में 2,300 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया था, लेकिन 25 जनवरी को यह बढ़कर 2,450 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया। इस खरीफ सीजन में चावल के ज्यादा उत्पादन के अनुमानों के बावजूद उत्तरी भारतीय राज्यों में चावल के भाव गत वर्ष नवंबर से 28 फीसदी तक बढ़े हैं। उत्तरी भारतीय राज्य चावल उत्पादन का प्रमुख केंद्र हैं। 
 
किसानों के लिए आवाज उठाने वाले एक संगठन भारत कृषक समाज के चेयरमैन अजय वीर जाखड़ ने कहा, 'पिछले एक महीने में कुछ भी नया नहीं हुआ है। केवल सटोरियों ने चावल बाजार अपना शिकंजा मजबूत किया है। चावल में सटोरिया गतिविधियां बढ़ी हैं। यह अच्छा है कि इस सीजन में किसानों ज्यादा कीमत मिल रही है।' कृषि मंत्रालय के तहत आने वाले आर्थिक एवं सांख्यिकी निदेशालय ने पिछले साल अपने पहले अग्रिम अनुमान में कहा था कि खरीफ सीजन 2016-17 में भारत का चावल उत्पादन 9.38 करोड़ टन रहेगा, जो पिछले साल के इसी सीजन के उत्पादन 9.13 करोड़ टन से 2.81 फीसदी अधिक है। हालांकि भारत के चावल उत्पादन में मामूली बढ़ोतरी की हकीकत कुछ अलग है। उपज में ज्यादा नमी की वजह से कारोबारी चावल के कम दाम लगा रहे हैं। इसके नतीजतन किसान और कारोबारी चावल को रोक रहे हैं। वे इसे कम आवक के सीजन में बेचना चाहते हैं। इससे बिक्री के लिए मंडियों में चावल की आवक कम है। इसके अलावा धान में ज्यादा नमी से उसे लंबे समय तक स्टॉक कर रखना संभव नहीं है। कारोबारी इसे गुणवत्ता के लिहाज से ठीक नहीं मान रहे हैं।
 
देशभर में चावल की कीमतें मजबूत हुई हैं। राजस्थान के बूंदी में सुगंधा सेला किस्म का भाव आज 4,350 रुपये प्रति क्विंटल बोला गया, जो करीब एक महीने पहले के भाव 4,130 रुपये प्रति क्विंटल से 5 फीसदी अधिक है। नागपुर में चावल की श्रीराम किस्म का भाव पिछले एक महीने में 3 फीसदी बढ़कर 5,130 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है। आरएमएल एजीटेक के प्रबंध निदेशक राजीव तेवतिया ने कहा, 'इस साल भारत में गर्मियों में उगाए जाने वाले चावल का उत्पादन बढऩे का अनुमान जताया जा रहा है। हालांकि अच्छी घरेलू और निर्यात मांग से कीमतें लगातार मजबूत बनी हुई हैं। हालांकि रबी सीजन में बुआई घटी है, इसलिए हमारा अनुमान है कि आगे कीमतें मजबूत रहेंगी।' आरएमएल एजी टेक एक कृषि सलाह कंपनी है। चावल की कीमतों में मजबूती को चालू रबी सीजन में कम रकबे से भी सहारा मिल रहा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक इस रबी सीजन में चावल का बुआई रकबा 20 जनवरी 2017 तक घटकर 14 फीसदी घटकर 19.4 लाख हेक्टेयर रहा है, जो पिछले साल इस समय तक 22.5 लाख हेक्टेयर था। हालांकि देश के सालाना चावल उत्पादन में खरीब सीजन का हिस्सा 85 फीसदी और रबी का 15 फीसदी होता है। (BS Hindi)

सोने में हल्की रिकवरी

पिछले हफ्ते करीब 3 फीसदी की गिरावट के बाद सोने में आज हल्की रिकवरी आई है। कॉमेक्स पर सोना हल्की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। हालांकि इसके भाव 1200 डॉलर के नीचे है। वहीं चांदी में रिकवरी आने से भाव फिर से 17 डॉलर के पार चला गया है। लेकिन कच्चे तेल में गिरावट बढ़ गई है। नायमैक्स पर क्रूड 53 डॉलर के नीचे कारोबार कर रहा है। कमोडिटी बाजार के लिए ये हफ्ता बेहद खास रहने वाला है। 1 फरवरी को भारत में जहां बजट पेश होगा। वहीं अमेरिका में ब्याज दरों पर एफओएमसी की बैठक भी है।
साथ ही इस दिन चीन में मैन्युफैक्चरिंग और सर्विसेज सेक्टर के डाटा के साथ बाजार को अमेरिका में कच्चे तेल के भंडारण रिपोर्ट का भी इंतजार रहेगा। वहीं 3 फरवरी को अमेरिका में क्रूड रिग काउंट और रोजगार के आंकड़े जारी होंगे जिसका कच्चे तेल और सोने की चाल पर बड़ा असर पड़ सकता है। फिलहाल डॉलर में दबाव है और रुपया सुस्त है।

ग्वार सीड, सरसों और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 30 जनवरी की टिप्स

बेचे - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध एक यहां बेंचे  3,615 रुपये ------- दूसरा बेंचे  3,660  और 3,685 रुपये का स्टोप लोस दोनों का लगाए ( तथा पहला टारगेट है 3,572 और दूसरा टारगेट है 3,590 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 3,240 और 3,250 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,220 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,280.....3,300 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सरसों बेचे -सरसों के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव 3,880....3,890 पर बेचे, तथा 3,910 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,850 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

28 जनवरी 2017

एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में किन भाव पर निवेश से होगा फायदा

प्रिय पाठकों,
एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में दैनिक आधार पर किस भाव पर खरीद करें, क्या स्टोप लोस लगाए तथा टारगेट क्या है, इस बारे में एग्री कमोडिटी न्यूज ब्लॉग पर सलाह दी जायेगी,  बाद में यह सर्विस मोबाईल पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। आपसे निवेदन है कि इस सर्विस को देखें तथा इस बारे में अपने सुझाव हमें जरुर दें, आपके सुझाव हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इस बारे में हमें अपने सुझाव   rsrana2001@gmail.com     ई मेल पर भेजे या फिर मोबाईल नं0 - 09811470207 पर संपर्क करें।
धन्यवाद,
आर एस राणा
09811470207
rsrana2001@gmail.com

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
 rsrana2001@gmail.com
09811470207

मसूर की बुवाई मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी ज्यादा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में प्रमुख उत्पादन राज्यों मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में मसूर की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है जबकि बिहार में इसकी बुवाई में थोड़ी कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में अभी तक देशभर में मसूर की बुवाई बढ़कर 16.64 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 13.67 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
प्रमुख उत्पादन राज्य उत्तर प्रदेश में मसूर की बुवाई बढ़कर 6.63 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक राज्य में केवल 4.53 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। उधर मध्य प्रदेश में भी चालू रबी में मसूर की बुवाई बढ़कर 5.86 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.48 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। बिहार में चालू रबी में मसूर की बुवाई पिछले साल के 2.14 लाख हैक्टेयर से घटकर 2.13 लाख हैक्टेयर में ही हुई है। पष्चिमी बंगाल में मसूर की बुवाई बढ़कर 1.13 लाख हैक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल केवल 0.85 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
केंद्र सरकार ने रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए मसूर का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,950 रुपये प्रति क्विंटल (150 रुपये बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि पिछले साल इसका एमएसपी 3,400 रुपये प्रति क्विंटल था।
मुंबई में आयातित मसूर के भाव शनिवार को 4,450 से 4,550 रुपये प्रति क्विंटल रहे जबकि कानपुर मंडी में देसी मसूर के भाव 4,600 रुपये, इंदौर मंडी में 4,575 रुपये और रायपुर मंडी में 4,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे। मसूर के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हुए है जिससे फरवरी में आयात ज्यादा होने का अनुमान है जबकि घरेलू फसल की पैदावार भी ज्यादा होगी। ऐसे में आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और भी 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आने का अनुमान है।..............आर एस राणा

राजस्थान, यूपी और एमपी में सरसों की बुवाई बढ़ी, हरियाणा में घटी

मार्च-अप्रैल में सरसों के भाव एमएसपी से नीचे आने की आशंका
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिमी बंगाल में सरसों की बुवाई में बढ़ोतरी हुई है लेकिन हरियाणा में इसकी बुवाई पिछले साल की तुलना में घटी है। कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में सरसों की कुल बुवाई बढ़कर 70.51 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 64.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी।
मंत्रालय के अनुसार प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में चालू रबी में सरसों की बुवाई बढ़कर 27.98 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई केवल 25.43 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में सरसों की बुवाई बढ़कर 11.89 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 11.23 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
मध्य प्रदेश में सरसों की बुवाई पिछले साल के 6.25 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 7.23 लाख हैक्टेयर में हुई है। पश्चिमी बंगाल में चालू रबी में 4.89 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई केवल 4.76 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी।
हरियाणा में चालू रबी में सरसों की बुवाई अभी तक 5.37 लाख हैक्टेयर में ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 5.80 लाख हैक्टेयर में हुई थी। अन्य राज्य असम में सरसों की बुवाई 3.02 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 2 लाख हैक्टेयर में, झारखंड में 2.70 लाख हैक्टेयर में तथा उड़ीसा में 1.08 लाख हैक्टेयर में हुई है।
नई सरसों की दैनिक आवक राजस्थान की मंडियों में फरवरी में बढ़ेगी, जिससे मौजूदा भाव में गिरावट आने का अनुमान है। कृषि मंत्रालय ने चालू रबी में सरसों के उत्पादन का लक्ष्य 85 लाख टन का तय किया है जबकि पिछले साल 2015-16 में इसका उत्पादन 68.21 लाख टन का हुआ था। आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 3,700 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है जबकि पिछले साल इसका एमएसपी 3,350 रुपये प्रति क्विंटल था। व्यापारियों के अनुसार उत्पादक मंडियों में मार्च-अप्रैल में सरसों के भाव एमएसपी से नीचे आने की संभावना है। जयपुर में शनिवार को सरसों के भाव 4,185 से 4,190 रुपये, अलवर मंडी में 3,950 रुपये, आगरा मंडी में 4,550 रुपये, मोरेना में 4,000 रुपये तथा भरतपुर मंडी में 3,950 रुपये प्रति क्विंटल रहे।.........आर एस राणा

27 जनवरी 2017

गेहूं की बुवाई 315 लाख हैक्टेयर से ज्यादा, दलहन की 159 लाख हैक्टेयर के पार

तिलहन की बुवाई भी बढ़ी, मोटे अनाजों में मक्का और जौ की बुवाई ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी सीजन में जहां गेहूं की बुवाई बढ़कर 315 लाख हैक्टेयर के पार हो गई है, वहीं दलहन की बुवाई भी चालू रबी में रिकार्ड स्तर 159.28 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। मोटे अनाजों में ज्वार की बुवाई तो पिछड़ी है, लेकिन मक्का और जौ की बुवाई बढ़ी है। रबी तिलहनों की बुवाई में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन धान की रौपाई अभी भी पिछे चल रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में अभी तक देशभर में 637.34 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 600.02 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 315.55 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 292.92 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। हाल ही में उत्तर भारत के राज्यों में हुई बारिश से गेहूं और जौ के साथ ही सरसों की फसल को फायदा हुआ है।
रबी दहलन की बुवाई चालू सीजन में रिकार्ड 159.28 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 143.05 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई रिकार्ड 98.82 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 89.23 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 16.64 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 13.68 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई भी चालू रबी में बढ़कर 11.25 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.58 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 83.84 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 78.58 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 70.54 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 64.51 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 5.70 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.44 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
चालू रबी में मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 56.90 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 60.24 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 32.09 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 37.20 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 15.96 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.49 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 8.16 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.59 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 21.77 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 25.64 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।........आर एस राणा

देश में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता-उद्योग

आर एस राणा
नई दिल्ली। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहां कि देश में चीनी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है अभी चीनी आयात की जरुरत नहीं है, तथा अगर आयात की जरुरत पड़ी तो हम केंद्र सरकार ने आयात शुल्क कम करने या फिर शुन्य करने के लिए लिखेंगे।
इस्मा के अध्यक्ष टी सरिता रेड्डी के अनुसार चालू सीजन में चीनी का उत्पादन 213 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पहले अक्टूबर को 77.5 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुथा। ऐसे में देष में चीनी की कुल उलब्धता 290 लाख टन से ज्यादा है जबकि देश में चीनी की सलाना खपत 242 लाख टन की ही होती है। ऐसे में आगामी पेराई सीजन पहली अक्टूबर 2017 को चीनी का बकाया स्टॉक 48 लाख टन से ज्यादा ही बचेगा। इसलिए चीनी आयात की जरुरत ही नहीं है।
उन्होंने बताया कि कुछ स्वार्थी लोग चीनी के उत्पादन और खपत के अलग-अलग आंकड़े जारी कर बाजार में भ्रम फैला रहे हैं, उनका उद्देश्य केवल आयात को बढ़ावा देना है। ...........आर एस राणा

रबी फसलों को बारिश से फायदा

आर एस राणा
नई दिल्ली। हाल ही में हुई बारिश से गेहूं, सरसों और जौ की फसल को फायदा हुआ है। हरियाणा और पंजाब के अलावा राजस्थान के कुछेक क्षेत्रों में पिछले दो दिनों से बारिश हुई है, हालांकि कुछेक क्षेत्रों में ओलावृष्टि भी हुई है। हालांकि अभी ओलावृष्टि से कहीं नुकसान होने की खबरें नहीं है। इस बारशि से गेहूं, जौ और सरसों की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी की उम्मीद है।..........आर एस राणा

कॉमैक्स पर सोना 1185 डॉलर के नीचे

ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम पिछले 2 हफ्ते के निचले स्तर पर आ गया है।  डॉलर में मजबूती आई है और ऐसे में सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। कॉमैक्स पर सोना 1185 डॉलर के नीचे आ गया है। इस हफ्ते  सोने में करीब 3 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। ऊंची कीमतों पर मांग में कमी से भी सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। अमेरिकी शेयर बाजरों में तेजी से भी सोने का सेंटीमेंट बिगड़ा है। चांदी में भी गिरावट आई है और ये 17 डॉलर के नीचे कारोबार कर रही है। उत्पादन में कटौती से कच्चे तेल की कीमतों को सपोर्ट मिला है। अमेरिका में लगातार उत्पादन बढ़ने से क्रूड एक छोटे दायरे में फंस गया है। चीन के बाजार बंद होने की वजह से लंदन मेटल एक्सचेंज पर बेस मेटल आज भी कमजोर हैं और कॉपर में गिरावट का रुख है। निकेल और जिंक में भी दबाव कायम है। इस बीच डॉलर में मजबूती से रुपये पर दबाव बढ़ गया है।

ग्वार सीड, सरसों और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 27 जनवरी की टिप्स

खरीद करें - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध के भाव 3,670 रुपये प्रति बैरल हैं तथा इसमें भाव नीचे आने पर 3,640..... 3,650 पर खरीदें और 3,630 रुपये का स्टोप लोस लगाए ( तथा पहला टारगेट है 3,670 और दूसरा टारगेट है 3,690 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 3,300 और 3,310 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,270 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,340 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सरसों बेचे -सरसों के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव 3,900....3,910 पर बेचे, तथा 3,925 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,850 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

25 जनवरी 2017

चीनी उत्पादन अनुमान में उद्योग ने की कटौती

चालू पेराई सीजन में 213 लाख टन चीनी उत्पादन का अनुमान
आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर 2016 से चालू हुए पेराई सीजन 2016-17 में चीनी का उत्पादन घटकर 213 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि उद्योग ने सितंबर में 234 लाख टन उत्पादन का अनुमान लगाया था। खाद्य मंत्रालय ने चालू पेराई सीजन में 225 लाख टन चीनी के उत्पादन का अनुमान लगाया है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार पिछले पेराई सीजन में 251 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था जबकि चालू सीजन में सबसे बड़े उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटका में सूखे के कारण गन्ने की फसल प्रभावित हुई है, जिससे इन राज्यों में चीनी मिलों में पेराई बंद होने लगी है। इस्मा के अनुसार चालू फसल सीजन 2016-17 में चीनी की खपत भी घटकर 242 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पहले सालाना खपत 248 लाख टन होने का अनुमा था।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर 2016 को 77.5 लाख टन चीनी का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, ऐसे में चालू सीजन में कुल उपलब्धता 290.5 लाख टन की होगी जबकि देश में चीनी की सालाना खपत 242 लाख टन होने का अनुमान है। ऐसे में आगामी पेराई सीजन के शुरु में यानि पहली अक्टूबर 2017 को चीनी का बकाया स्टॉक 48.5 लाख टन का होगा।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में 15 जनवरी 2017 तक 104.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जोकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले केवल 5 फीसदी कम है।  सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य महाराष्ट्र के अलावा कर्नाटका में चीनी के उत्पादन में कमी आने का अनुमान है लेकिन उत्तर प्रदेश में चीनी का उत्पादन पिछले साल से ज्यादा होने की संभावना है।
इस समय चीनी पर 40 फीसदी आयात शुल्क है तथा विश्व बाजार में व्हाईट चीनी का भाव 562 डॉलर प्रति टन है। इन भाव में मौजूदा आयात शुल्क को देखते हुए आयात संभव नहीं है तथा आयात तभी हो सकता है जब आयात शुल्क को शुन्य किया जाए। उत्तर प्रदेश के साथ ही पंजाब में विधानसभा चुनाव है इसलिए मध्य फरवरी तक केंद्र सरकार आयात शुल्क को शुन्य नहीं करेगी। ऐसे में घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में 100 से 150 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ सकती है। सूत्रों का मानना है कि केंद्र सरकार मार्च में चीनी पर आयात शुल्क को शुन्य कर सकती है।.............आर एस राणा

सोना ऊपरी स्तर से करीब 15 डॉलर टूट गया

सोना 2 महीने के ऊपरी स्तर से करीब 15 डॉलर टूट गया है। ग्लोबल मार्केट में ये 1205 डॉलर के पास कारोबार कर रहा है। चांदी में भी करीब 0.5 फीसदी की गिरावट आई है।  वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि इस साल सोने और चांदी में गिरावट आएगी। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस साल सोने का दाम करीब 8 फीसदी और चांदी में करीब 4 फीसदी की गिरावट रह सकती है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल ने भी भारत में इस साल सोने की मांग सुधरने की संभावना से इनकार किया है। डब्ल्यूजीसी ने कहा है कि नोटबंदी और सरकारी नीतियों का असर सोने की मांग पर पूरे साल के दौरान बना रहेगा।  कच्चे तेल में भी ऊपरी स्तर से दबाव दिख रहा है। वर्ल्ड बैंक ने इस साल का कच्चे तेल का औसत भाव 55 डॉलर रहने का अनुमान जताया है। जबकि नैचुरल गैस में करीब 11 फीसदी की तेजी की संभावना जताई है। वहीं बेस मेटल में जिंक में इस साल करीब 27 फीसदी और लेड में करीब 18 फीसदी तेजी की उम्मीद जताई है। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में हल्की कमजोरी है।

24 जनवरी 2017

उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी से केस्टर सीड में आई गिरावट

आर एस राणा
नई दिल्ली। गुजरात सरकार द्वारा केस्टर सीड के उत्पादन अनुमान में 75 फीसदी की बढ़ोतरी का असर इसकी कीमतों पर पड़ा है। गत सप्ताह गुजरात की दिसा मंडी में केस्टर सीड का भाव बढ़कर 4,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था, जबकि मंगलवार को इसका भाव घटकर 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गया।
गुजरात कृषि निदेशालय ने दूसरे अग्रिम अनुमान में फसल सीजन 2016-17 में राज्य में केस्टर सीड का उत्पादन 14.20 होने का अनुमान जारी किया है जबकि सितंबर में जारी पहले अनुमान में राज्य में 8.10 लाख टन केस्टर सीड के उत्पादन का अनुमान लगाया था।.....आर एस राणा

बासमती चावल और धान की कीमतों में और तेजी की संभावना

आर एस राणा
नई दिल्ली। उंचे भाव में बासमती चावल और धान की कीमतों में मंगलवार को हल्की गिरावट देखी गई लेकिन बासमती चावल में निर्यातकों की बढ़ी हुई मांग को देखते हुए आगे इसके भाव में और तेजी आने की संभावना है। हरियाणा की कैथल मंडी में पूसा 1,121 बासमती चावल सेला का भाव बढ़कर 5,700 रुपये प्रति क्विंटल हो गया था, लेकिन मंगलवार को भाव 5,500 रुपये प्रति क्विंटल रह गया। इसी तरह से पूसा 1,121 बासमती धान के भाव 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे, जोकि मंगलवार को घटकर 2,800 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। इस समय ईरान के साथ ही अन्य आयातक देशों की आयात मांग अच्छी बनी हुई है।
चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 25.79 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में इसका निर्यात 27.02 लाख टन का हुआ था। मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के अप्रैल से नवंबर के दौरान बासमती चावल का निर्यात 13,574.75 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में 15,618.05 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ था।
व्यापारियों के अनुसार जनवरी से मार्च के दौरान बासमती चावल का निर्यात ज्यादा होगा, जबकि चालू सीजन में बासमती चावल की कुल पैदावार पिछले साल की तुलन में कम हुई है। उत्पादक मंडियों में बासमती धान की दैनिक आवक कम हो रही है, इसलिए आगे बासमती चावल के साथ ही धान की कीमतों में और भी तेजी आने का अनुमान है।.............आर एस राणा

ग्वार सीड, सोयाबीन और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 24 जनवरी की टिप्स

खरीद करें - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध के भाव 3,620 रुपये प्रति बैरल हैं तथा इसमें भाव नीचे आने पर 3,580..... 3,590 पर खरीदें और 3,560 रुपये का स्टोप लोस लगाए ( तथा पहला टारगेट है 3,600 और दूसरा टारगेट है 3,620 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 3,350 और 3,360 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,340 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,400 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सोयाबीन खरीदें -सोयाबीन के फरवरी वायदा अनुबंध में भाव नीचे आने पर 3,100....3,090 पर खरीद करें तथा 3,075 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,130 रुपये का
सरसों बेचे -सरसों के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव 3,960....3,970 पर बेचे, तथा 3,995 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,900 रुपये का

(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

23 जनवरी 2017

चीनी पर आयात शुल्क अभी कम नहीं करेगी केंद्र सरकार

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी की कीमतों में तेजी आने के बावजूद भी खाद्य मंत्रालय अभी आयात शुल्क में कटौती नहीं करेगा। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हम चीनी के भाव पर नजर रखे हुए हैं लेकिन अभी आयात शुल्क में कटौती का कोई प्रस्ताव नहीं है। इस समय चीनी के आयात पर 40 फीसदी आयात शुल्क है।
केंद्र सरकार ने हाल ही में चीनी उद्योग को पत्र लिखकर चीनी की सप्लाई बढ़ाने के लिए कहां था, साथ ही चीनी मिलों को स्ट्टेबाजी से भी दूर रहने के लिए कड़ी चेतावनी दी थी। इसका असर घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों पर भी पड़ा है। शुक्रवार को दिल्ली में चीनी की कीमतों में 25 रुपये की गिरावट आकर भाव 3,925 से 3,975 रुपये और उत्तर प्रदेश में चीनी के एक्स फैक्ट्री भाव 3,650 से 3,775 रुपये प्रति क्विंटल रहे। हालांकि महाराष्ट्र में चीनी के भाव 3,450 से 3,500 रुपये और कर्नाटका में 3,425 से 3,500 रुपये प्रति क्विंटल पर ही स्थिर बने हुए हैं।
उद्योग के अनुसार चालू फसल सीजन में चीनी का उत्पादन 237 लाख टन होने का अनुमान है जबकि खाद्य मंत्रालय के अनुसार उत्पादन 225 लाख टन का ही होने का अनुमान है। व्यापारियों के अनुसार चीनी का उत्पादन सरकारी अनुमान से भी कम हो सकता है। हालांकि पहली अक्टूबर को चीनी का 77 लाख टन का बकाया स्टॉक बचा हुआ था, ऐसे में चीनी की कुल उपलब्धता सालाना खपत 248 लाख टन से ज्यादा ही है।....आर एस राणा

इस साल भी कम रहेगा एथेनॉल मिश्रण!

चीनी मिलों से हरित ईंधन की आपूर्ति की कमी के कारण एक बार फिर तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) अपने एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य से चूक सकती हैं। वर्ष 2013 में आरंभ होने वाले इस एथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम की शुरुआत आर्थिक नजरिये से चीनी मिलों की मदद के लिए की गई थी। उस समय सरकार ने पहले पांच सालों में पेट्रोल के साथ पांच प्रतिशत और उसके बाद 10 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया था। हालांकि तेल विपणन कंपनियां चार सालों में भी प्रथम वर्षों का पांच प्रतिशत का लक्ष्य प्राप्त करने में सफल नहीं हो पाई हैं। 
 
2015-16 के गन्ना पेराई सीजन के दौरान तेल विपणन कंपनियों को चीनी मिलों से 130 करोड़ लीटर एथेनॉल लेना था लेकिन आपूर्ति केवल 111 करोड़ लीटर  ही की गई थी। तेल विपणन कंपनियां सिर्फ 4.15 प्रतिशत मिश्रण का लक्ष्य ही प्राप्त कर सकीं। इस साल भी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) की अगुआई में तेल विपणन कंपनियों ने 78 करोड़ लीटर आपूर्ति की मांग से अपनी अभिरुचि (ईओएल) दिखाई है। हालांकि यह भी लक्ष्य से तीन प्रतिशत से भी कम है। कोल्हापुर (महाराष्ट्र) स्थित आधुनिक डिस्टिलरीज की सलाहकार फर्म एथेनॉलइंडिया डॉट कॉम के मुख्य सलाहकार दीपक देसाई ने कहा कि अगर पिछले साल की तरह ही दूसरी या तीसरी निविदा अथवा अभिरुचि दिखाई जाती है तो इस साल गन्ने की कम उपलब्धता और आसमान में पहुंच रही शीरे व ईएनए यानी एक्स्ट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (एथेनॉल की एक किस्म जिसका इस्तेमाल प्राय: पीने योग्य एल्कोहल के विनिर्माण में किया जाता है) की कीमतों के कारण एथेनॉल की आपूर्ति कम रहेगी। इस तरह इस साल एथेनॉल मिश्रण के आवश्यक पांच प्रतिशत की तुलना में चार प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना नहीं लगती।
 
सूत्रों ने कहा कि ईएनए के दामों में इजाफा हुआ है और फिलहाल यह 10 प्रतिशत ऊंचे 45-46 रुपये प्रति लीटर पर चल रहे हैं। चूंकि ईएनए से पांच प्रतिशत पानी निकालने के लिए उसे आगे संसाधित किया जाता है इसलिए इस प्रक्रिया की लागत में प्रति लीटर 1-1.50 रुपये जुड़ जाता है। इस प्रकार एथेनॉल उत्पादन की लागत तेल विपणन कंपनियों के प्रति लीटर 37-38 रुपये के भुगतान की तुलना में तकरीबन 50 रुपये प्रति लीटर बैठती है। देसाई ने कहा कि इसलिए तेल विपणन कंपनियों को एथेनॉल की आपूर्ति से डिस्टिलरीज की उत्पादन लागत का कम से कम 30 प्रतिशत का नुकसान हो रहा है। इस कारण इस साल एथेनॉल उत्पादन में डिस्टिलरीज की रुचि कम हो गई है। महाराष्ट्र स्टेट फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्टरीज के प्रबंध निदेशक संजीव बाबर के मुताबिक बड़ी संख्या में डिस्टिलरीज ने खासतौर पर महाराष्ट्र में सूखे से प्रभावित क्षेत्रों में व्यावहारिक कारणों से अपना परिचालन बंद कर दिया है। चूंकि शीरे के दाम पिछले साल के 4,500 रुपये के मुकाबले 90-95 प्रतिशत बढ़कर फिलहाल 8,500 रुपये प्रति टन चल रहे हैं इसलिए एथेनॉल उत्पादन मुश्किल हो गया है। हालांकि मौजूदा बड़ी डिस्टिलरीज एथेनॉल विनिर्माण के लिए स्वतंत्र शुगर मिलों से शीरे की खरीद कर रही हैं। 
 
कृषि मंत्रालय के प्रथम अग्रिम अनुमान के अनुसार 2016-17 में भारत का गन्ना उत्पादन गिरकर 30.525 करोड़ टन रहने की संभावना है जबकि पिछले साल यह 35.216 करोड़ टन था। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, 'गन्ने की उपज में गिरावट के फलस्वरूप इस साल देश के कुछ भागों में पेराई और शीरे की उपलब्धता में कमी आई है, इसके विपरीत मांग ऊंची बनी हुई है। इसके अलावा चूंकि शीरे के दाम बढ़ गए हैं और एथेनॉल में गिरावट आई है इसलिए स्वतंत्र डिस्टिलरीज के लिए एथेनॉल विनिर्माण मुश्किल हो रहा है। सरकार ने न केवल एथेनॉल खरीद के दाम 2-3 रुपये प्रति लीटर तक कम कर दिए हैं, बल्कि उत्पाद शुल्क की छूट भी वापस ले ली है जिसका पिछले साल तक डिस्टिलरीज फायदा उठा रही थीं।' (BS Hindi)

ग्वार सीड, सरसों, सोयाबीन और क्रुड में 23 जनवरी की टिप्स


खरीद करें - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध के भाव 3,630 रुपये प्रति बैरल हैं तथा इसमें 3,590 से 3,600 पर खरीदें और 3,570 रुपये का स्टोप लोस लगाए ( तथा पहला टारगेट है 3,610 और दूसरा टारगेट है 3,650 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 3,370 और 3,380 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,345 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,400 और 3,420 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सोयाबीन खरीदें -सोयाबीन के फरवरी वायदा अनुबंध में भाव नीचे आने पर 3,110 और 3,120 पर खरीद करें तथा 3,100 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,140 रुपये का
सरसों बेचे -सरसों के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव 3,940 और 3,950 पर बेचे, तथा 3,965 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,900 रुपये का

(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

21 जनवरी 2017

एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में किन भाव पर निवेश से होगा फायदा

प्रिय पाठकों,
एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में दैनिक आधार पर किस भाव पर खरीद करें, क्या स्टोप लोस लगाए तथा टारगेट क्या है, इस बारे में 23 जनवरी से 27 जनवरी 2017 के लिए एग्री कमोडिटी न्यूज ब्लॉग पर सलाह दी जायेगी, इसके बाद यह सर्विस मोबाईल पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। आपसे निवेदन है कि इस सर्विस को देखें तथा इस बारे में अपने सुझाव हमें जरुर दें, आपके सुझाव हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इस बारे में हमें अपने सुझाव   rsrana2001@gmail.com     ई मेल पर भेजे या फिर मोबाईल नं0 - 09811470207 पर संपर्क करें।
धन्यवाद,
आर एस राणा
09811470207
rsrana2001@gmail.com

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
 rsrana2001@gmail.com
09811470207

गुजरात ने ग्वार सीड उत्पादन अनुमान को बढ़ाया

आर एस राणा
नई दिल्ली। गुजरात सरकार ने दूसरे आरंभिक अनुमान में राज्य में ग्वार सीड के उत्पादन अनुमान में बढ़ोतरी कर दी है। सितंबर में जारी राज्य सरकार के 2016-17 के आरंभिक अनुमान में गुजरात में 1.32 लाख टन ग्वार सीड का उत्पादन होने का अनुमान लगाया था, जबकि हाल ही में जारी दूसरे आरंभिक अनुमान में ग्वार सीड का उत्पादन 2.42 लाख टन होने का लगाया गया है।
सितंबर में जारी पहले अनुमान में ग्वार सीड की बुवाई 1.92 लाख हैक्टेयर में होने की बात कहीं गई थी, जबकि दूसरे आरंभिक अनुमान में बुवाई 3.52 लाख हैक्टयेर में हुई है।............आर एस राणा

20 जनवरी 2017

गुजरात में कपास उत्पादन 12 फीसदी होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-17 में गुजरात में कपास का उत्पादन 12 फीसदी बढ़कर 84.71 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलोग्राम) होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में कपास का 75.40 लाख गांठ का उत्पादन हुआ था।............आर एस राणा

दलहन की बुवाई रिकार्ड स्तर पर, गेहूं की रिकार्ड के पास

तिलहन की बुवाई भी बढ़ी, मोटे अनाजों के साथ धान की रौपाई कम
आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू रबी में जहां दलहन की रिकार्ड बुवाई 157.68 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है वहीं गेहूं की बुवाई बढ़कर 313.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जोकि फसल सीजन 2013 के रिकार्ड स्तर 313.69 लाख हैक्टेयर से थोड़ा कम है। गेहूं, दलहन के साथ ही तिलहनों की बुवाई में भी चालू रबी में बढ़ोतरी है लेकिन मोटे अनाजों के साथ ही धान की रौपाई अभी भी पिछड़ रही है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी सीजन में अभी तक देशभर में 628.34 लाख हैक्टेयर में फसलों की बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इनकी बुवाई 592.36 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मंत्रालय के अनुसार रबी की प्रमुख फसल गेहूं की बुवाई बढ़कर 313.14 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 291.97 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी। चालू रबी फसलों की बुवाई में हुई बढ़ोतरी से गेहूं और दलहन की रिकार्ड पैदावार होने का अनुमान है।
रबी दहलन की बुवाई चालू सीजन में रिकार्ड 157.68 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 142.01 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। इससे पहले दलहन की रिकार्ड बुवाई 2013 में 152.29 लाख हैक्टेयर में हुई थी। रबी दलहन की प्रमुख फसल चना की बुवाई रिकार्ड 98.39 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 89.08 लाख हैक्टेयर में ही हुई थी। मसूर की बुवाई भी बढ़कर चालू रबी में अभी तक 16.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 13.68 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। मटर की बुवाई भी चालू रबी में बढ़कर 11.21 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक केवल 9.57 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हो पाई थी।
रबी तिलहनों की बुवाई चालू सीजन में अभी तक 81.91 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 76.46 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। रबी तिलहन की प्रमुख फसल सरसों की बुवाई 70.08 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 63.48 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। मूंगफली की बुवाई चालू रबी में बढ़कर 4.66 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 4.40 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी।
चालू रबी में मोटे अनाजों की बुवाई अभी भी पिछे चल रही है, अभी तक देषभर में केवल 56.25 लाख हैक्टेयर में ही मोटे अनाजों की बुवाई हुई है जबकि पिछले साल इस समय तक 59.47 लाख हैक्टेयर में इनकी बुवाई हो चुकी थी। मोटे अनाजों में सबसे ज्यादा कमी ज्वार की बुवाई में आई है। ज्वार की बुवाई चालू रबी में अभी तक केवल 31.76 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 36.94 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी। रबी मक्का की बुवाई भी चालू सीजन में अभी तक 15.71 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 14.22 लख हैक्टेयर में इसकी बुवाई हुई थी। जौ की बुवाई चालू रबी में 8.12 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 7.46 लाख हैक्टेयर में बुवाई हुई थी। धान की रोपाई चालू रबी में अभी तक केवल 19.36 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई है जबकि पिछले साल इस समय तक 22.45 लाख हैक्टेयर में धान की रोपाई हो चुकी थी।.............आर एस राणा

डॉलर दबाव में इससे रुपये को सपोर्ट

ट्रंप की आज ताजपोशी है। आज वे कामकाज संभालेंगे और इस पूरे इवेंट पर बाजार की नजर टिकी हुई है। ग्लोबल मार्केट में सोना जहां 2 महीने की ऊंचाई के पास है वहीं चांदी भी 17 डॉलर के ऊपर टिकने में कामयाब है। नजर डॉलर की चाल पर है वैसे ट्रंप की जीत के बाद डॉलर करीब 4 फीसदी मजबूत होकर थोड़ा सा नीचे आया है। माना ये जा रहा है कि ट्रंप अमेरिकी एक्सपोर्ट और मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे सकते हैं क्योंकि वहां नौकरियां बढ़ाने के लिए उन्हें ऐसा करना जरूरी होगा। लेकिन ऐसा करने के लिए डॉलर पर काबू पाना जरुरी होगा क्योंकि डॉलर में ज्यादा तेजी से उनका ग्रोथ प्लान बिगड़ सकता है। ऐसी स्थिति में डॉलर में अगर दबाव बनता है तो सोने के लिए से पॉजिटिव होगा और इसीलिए पिछले दिनों डॉलर में आई गिरावट से सोना 2 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया था। डॉलर में नरमी सिर्फ सोने के लिए ही नहीं बल्कि, चांदी और कच्चे तेल को भी सपोर्ट करेगी।  आज डॉलर में दबाव है और इससे रुपये को सपोर्ट मिला है।

19 जनवरी 2017

गुजरात में केस्टर सीड की पैदावार 75 फीसदी बढ़ने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात में चालू सीजन में केस्टर सीड की पैदावार पहले अनुमान के मुकाबले 75 फीसदी ज्यादा होने का अनुमान लगाया है। सरकार द्वारा जारी दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार राज्य में 14.20 लाख टन केस्टर सीड का उत्पादन होने का अनुमान है जबकि सितंबर में जारी किए गए पहले अनुमान में केस्टर सीड का उत्पादन केवल 8.10 लाख टन होने का अनुमान लगाया था। सूत्रों के अनुसान उत्पादन अनुमान में हुई भारी बढ़ोरती का असर इसकी कीमतों पर देखने को मिल सकता है। गुजरात की दिसा मंडी में बुधवार को केस्टर सीड का भाव 3,950 रुपये प्रति क्विंटल है।
राज्य सरकार ने सितंबर में जब पहला अनुमान जारी किया गया था तब राज्य में 4 लाख हैक्टेयर में केस्टर सीड की बुवाई होने की बात कहीं गई थी, लेकिन हाल ही में जारी बुवाई आंकड़ो के अनुसार राज्य में केस्टर सीड की बुवाई 6.39 लाख हैक्टेयर में होने की बात कहीं गई है।
इस साल इसकी प्रति हैक्टेयर उत्पादकता भी बढ़कर 2,222 किलो होने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल इसकी उत्पादकता 2,025 किलो की हुई थी।......आर एस राणा

गुजरात में जीरा की पैदावार 11 फीसदी कम होने का अनुमान

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन 2016-19 में गुजरात में जीरा का उत्पादन 11 फीसदी घटकर 2.12 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले साल राज्य में इसका उत्पादन 2.38 लाख टन का हुआ था।
चालू सीजन में गुजरात में जीरा की बुवाई 2.79 लाख हैक्टेयर में होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी बुवाई 2.86 लाख हैक्टेयर में हुई थी। चालू सीजन में जीरा की प्रति हैक्टेयर उत्पादकता घटकर 761 किलो होने का अनुमान है जबकि पिछले साल 833 किलो प्रति हैक्टेयर जीरा का उत्पादन हुआ था।......आर एस राणा

आवक कम होने से कपास की कीमतों में आगे और तेजी संभव

आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में कपास की कीमतों में गत सप्ताह के अािखर में आई गिरावट का असर इसकी दैनिक आवकों पर पड़ा है, जबकि निर्यातकों ने दिसंबर-जनवरी के जो निर्यात सौदे किए हुए हैं, उनकी शिपमेंट के लिए खरीद बनी हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि कपास की मौजूदा कीमतों में और भी 1,500 से 2,000 रुपये प्रति कैंडी (एक कैंडी-356 किलो) की तेजी आ सकती है। अहमदाबाद में गुरुवार को शंकर-6 किस्म की कपास के भाव 40,600 से 41,000 रुपये प्रति कैंडी रहे।
कपास की दैनिक आवक इस समय 1.50 लाख गांठ (एक गांठ-170 किलो) की हो रही हैं जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी दैनिक आवक 2 लाख गांठ से ज्यादा की हो रही थी। कपास की दैनिक आवक कम हो रही है, जबकि निर्यातकों ने दिसंबर-जनवरी के निर्यात सौदे ज्यादा मात्रा में किए हुए हैं, इसलिए निर्यातकों को उंचे भाव में रुई की खरीद करनी पड़ रही है।
कपास के एक निर्यात ने बताया कि घरेलू बाजार में कीमतों में आई तेजी के कारण फरवरी-मार्च के निर्यात अनुंबध कम मात्रा में किए जा रहे हैं, इसलिए जनवरी के आखिर तक भाव तेज रह सकत हैं। फरवरी-मार्च में उत्पादक मंडियों में दैनिक आवक बढ़ने का अनुमान है जबकि निर्यात सौदे कम मात्रा में होंगे, तो भाव में मध्य फरवरी के बाद गिरावट आ सकती है। वैसे भी चालू सीजन में कपास की पैदावार पिछले साल की तुलना में ज्यादा होने का अनुमान है जबकि निर्यात पिछले साल के मुकाबले कम रहेगा। उत्पादक मंडियों में कपास के भाव 1,100 से 1,160 रुपये प्रति 20 किलो ग्राम हैं।
सूत्रों के अनुसार उंचे भाव होने के कारण यार्न मिलों की मांग भी कम हुई है, तथा यार्न मिलों नीचे भाव में आने पर ही कपास की खरीद करेंगे।..............आर एस राणा

सोना ग्लोबल मार्केट में 1200 डॉलर के नीचे

सोना 2 महीने के ऊपरी स्तर से फिसल गया है और ग्लोबल मार्केट में इसका दाम 1200 डॉलर के नीचे का भी स्तर छू चुका है। कल फेड चेयरमैन अमेरिका में ब्याज दरें बढ़ाने का संकेत दिया और इसके बाद से ही डॉलर में रिकवरी शुरू हो गई है, ऐसे में सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ गया है। वहीं चांदी में भी गिरावट आई है और कॉमैक्स पर ये 17 डॉलर के भी नीचे का स्तर छू चुकी है, हालांकि अब निचले स्तरों से रिकवरी भी शुरू हो गई है। कल की भारी गिरावट के बाद कच्चे तेल में तेजी आई है और इसका दाम ग्लोबल मार्केट में करीब 1 फीसदी बढ़ गया है। कल नायमैक्स पर क्रूड का दाम 51 डॉलर के भी नीचे फिसल गया था, जो पिछले एक हफ्ते का निचला स्तर था। आज अमेरिका में कच्चे तेल की भंडारण रिपोर्ट भी आएगी, जिस पर बाजार की नजर बनी हुई है। डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी बढ़ गई है और 1 डॉलर की कीमत 68.20 रुपये के पार चली गई है।

ग्वार सीड, सोयाबीन और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 19 जनवरी की टिप्स

क्रुड खरीद करें - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध के भाव 3,583 रुपये प्रति क्विंटल हैं तथा इसमें 3,540 से 3,550 पर खरीदें और 3,530 रुपये का स्टोप लोस लगाए( तथा टारगेट है 3,605 और 3,620 रुपये का
ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 19 जनवरी के लिए ग्वार सीड के वायदा अनुबंध में 3,350 और 3,360 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............3,328 पर स्टॉप लोस लगाए............. टारेगट 3,400 रुपये प्रति क्विंटल का है।
सोयाबीन खरीदें -सोयाबीन के फरवरी वायदा अनुबंध में 3,150 और 3,160 खरीद करें तथा 3,328 का स्टोप लोस लगाए ............इसका टारगेट है 3,200 से 3,315 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)
हमने 18 जनवरी को क्रुड पाम तेल को जो टारगेट दिया था वह सफल हो गया।

18 जनवरी 2017

महाराष्ट्र और कर्नाटका में 67 चीनी मिलों में पेराई हुई बंद

चीनी उत्पादन में 5.92 लाख टन की कमी
आर एस राणा
नई दिल्ली। पहली अक्टूबर से चालू हुए पेराई सीजन में 15 जनवरी तक 104.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 5.92 लाख टन कम है। इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के अनुसार इस समय देशभर में केवल 399 चीनी मिलों में पेराई चल रही है जबकि पिछले साल इस समय 492 चीनी मिलों में पेराई चल रही थी।
प्रमुख चीनी उत्पादन राज्य महाराष्ट्र में चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर से 15 जनवरी तक 31.43 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ है जबकि पिछले पेराई सीजन की समान अवधि में राज्य में 43.79 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 149 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हुई थी, जिनमें से 15 जनवरी तक 56 चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है। सूखा प्रभावित क्षेत्रों सोलापुर, अहमदनगर और मराठवाड़ा रीजन की चीनी मिलों में पेराई बंद हुई है।
उत्तर प्रदेश में चालू पेराई सीजन में 35.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है जबकि पिछले साल की समान अवधि में राज्य में 27.07 लाख टन चीनी का ही उत्पादन हुआ था। राज्य में इस समय 116 चीनी मिलों में पेराई चल रही है, तथा पिछले साल भी इतनी ही चीनी मिलों में पेराई चल रही थी, लेकिन चालू पेराई सीजन में राज्य की मिलों ने पेराई पहले आरंभ कर दी थी, जिसकी वजह से उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है।
अन्य चीनी उत्पादक राज्यों कर्नाटका में चालू पेराई सीजन में 51 जनवरी तक 18.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 21.15 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका था। राज्य में चालू पेराई सीजन में 61 चीनी मिलों में पेराई आरंभ हुई थी जिनमें से 21 चीनी मिलों में पेराई बंद हो चुकी है।
तमिनाडु में चालू पेराई सीजन में पहली अक्टूबर से 15 जनवरी तक 2.50 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 1.60 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। गुजरात में 15 जनवरी तक 4.70 लाख टन चीनी का उत्पादन ही हुआ है जबकि पिछले साल इस समय तक 5.70 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। आंध्रप्रदेश और तेलंगाना में 2.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। बिहार, उत्तराखंड और पंजाब में चालू पेराई सीजन में अभी तक 7.42 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में 1.80 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है।
इस्मा के अनुसार चालू पेराई सीजन में चीनी की सालाना खपत 245 लाख टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल खपत 248 लाख टन की हुई थी। उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार तथा तमिलनाडु में राज्य सरकारों ने गन्ने की कीमतों में बढ़ोतरी की थी, जबकि महाराष्ट्र में गन्ने की कमी से चीनी मिलें पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही है। ऐसे में चालू पेराई सीजन में चीनी की लागत 2 से 3 रुपये बढ़कर 36.50 रुपये प्रति किलो हो गई है, जबकि इस समय चीनी के एक्सफैक्ट्री भाव 36 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं, जिससे चीनी मिलों को लागत भी वसूल नहीं हो रही है। ..............आर एस राणा

चीनी उद्योग को केंद्र सरकार ने चेताया

आर एस राणा
नई दिल्ली। चीनी की कीमतों में लगातार आ रही तेजी को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने उद्योग को फटकार लगाई है। सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग संघ को पत्र लिखा है जिसमें साफ कहां गया है कि चीनी मिलें किसी भी प्रकार की स्ट्टेबाजार में शामिल नहीं हो।
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार ने उद्योग संघ को लिखा है कि चुनाव आचार संहिता की आड़ में चीनी मिलें दाम बढ़ाना चाहती है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा, तथा सरकार इसके खिलाफ कड़ा कदम उठा सकती है।
केंद्र सरकार की इस पत्र के बाद उद्योग संघ ने चीनी मिलों को पत्र लिखकर सुझाव दिया है कि चीनी मिलें किसी भी तरह की सट्टेबाजी में शामिल ना हो, तथा चीनी मिलें बराबर चीनी की बिकवाली खुले बाजार में करती रहें।.......आर एस राणा

डॉलर में गिरावट से सोने की कीमतों को सपोर्ट

सोना 2 महीने का ऊपरी स्तर छू चुका है और 1215 डॉलर स्तर पर कारोबार कर रहा है।  ऊपरी स्तर से अब थोड़ा दबाव बनता दिख रहा है। लेकिन इस महीने के दौरान इसमें करीब 6 फीसदी की तेजी आ चुकी है। डॉलर में गिरावट से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला है। क्रेडिट सुईस ने कहा है कि इस साल के दौरान सोने का औसत भाव 1338 डॉलर रह सकता है। यानि मौजूदा स्तर से सोने में करीब 130 डॉलर की बढ़त देखने को मिल सकती है। वहीं चांदी में भी कल की भारी तेजी के बाद दबाव बन रहा है। चांदी का दाम 17 डॉलर के पार जा चुका है।

खबर आई है कि चीन समेत पूरे एशिया में क्रूड का उत्पादन घट रहा है। इस तरह से रुस और ओपक के बाद एशिया भी क्रूड का उत्पादन रहा है जिससे इसकी कीमतों को सपोर्ट मिला है और ये करीब 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। इस हफ्ते ट्रंप की ताजपोशी पर दुनिया भर के बाजारों की नजर है जो शुक्रवार को होनी है। लेकिन इससे पहले डॉलर काफी टूट गया है। ऐसे में रुपये में आज हल्की रिकवरी आई है।

ग्वार सीड, सोयाबीन और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की 18 जनवरी की टिप्स

ग्वार सीड खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 18 जनवरी के लिए ग्वार सीड के वायदा अनुबंध में इस समय भाव 3,375 रुपये है, स्टॉप लोस लगाए 3,328 पर तथा खरीदें, 3,350 और 3,360 रुपये प्रति क्विंटल पर खरीदें............टारेगट 3,400 रुपये प्रति क्विंटल का है।

सोयाबीन खरीदें -सोयाबीन के फरवरी वायदा अनुबंध में भाव चल रहे हैं, 3,205 रुपये  तथा इसमें स्टॉप लोस 3,328 का लगाएं, इसमें खरीद करें 3,150 और 3,160 पर............इसका टारगेट है 3,200 से 3,315 रुपये का

सेल करें - क्रुड पाम तेल पर फरवरी महीने के वायदा अनुबंध में 3,650 रुपये पर बेचें तथा, 3,667 रुपये का स्टोप लोस लगाएं और टारगेट है 3,628 और 3,610 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)
हमने 16 जनवरी को ग्वार सीड को जो टारगेट दिया था वह सफल हो गया।

17 जनवरी 2017

इलायची की आवक कम, भाव में और तेजी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। इलायची की दैनिक आवक नीलामी केंद्र पर कम हो रही है, जबकि इस समय निर्यातकों के साथ ही घरेलू मांग अच्छी है इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में और तेजी आने का अनुमान है। नीलामी केंद्रों पर इलायची के भाव बढ़कर 1,373 से 1,576 रुपये प्रति किलो हो गए।
6 जनवरी से 12 जनवरी 2017 के दौरान नीलामी केंद्रों पर इलायची की आवक केवल 2,10,539 किलो की ही हुई है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी आवक 3,85,595 किलो की हुई थी। विश्व बाजार में छोटी इलायची के भाव बढ़कर 12.03 डॉलर प्रति किलो हो गए हैं जबकि पिछले महीने इसके भाव 10.80 डॉलर प्रति किलो थे।
जानकारों के अनुसार चालू सीजन में इलायची की पैदावार कम होकर 18,000 से 20,000 टन ही होने का अनुमान है जबकि पिछले साल इसकी पैदावार 28,000 टन की हुई थी। ,.......आर एस राणा

कश्मीर और हिमाचल में बर्फबारी, दक्षिण में रहेगा मौसम शुष्क

जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश और बर्फबारी देने वाला पश्चिमी विक्षोभ अब आगे निकल गया है। हालांकि उत्तर भारत के पास एक नया पश्चिमी विक्षोभ पहुँच चुका है जिसके चलते पर्वतीय राज्यों में वर्षा और बर्फबारी जारी रहेगी। अगले 24 घंटों के बाद गतिविधियां और बढ़ सकती हैं।
पश्चिम से आने वाले मौसमी सिस्टमों के चलते पाकिस्तान और उससे सटे पंजाब पर हवाओं में एक चक्रवाती क्षेत्र विकसित हुआ था। इस सिस्टम के प्रभाव से उत्तरी पंजाब, उससे सटे हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तराई वाले जिलों में गरज के साथ हल्की बारिश देखने को मिल सकती है। राजधानी दिल्ली में छिटपुट बादल अपेक्षित हैं लेकिन मौसम शुष्क रहेगा।
उत्तर भारत में आए इस मौसमी बदलाव के चलते मैदानी राज्यों और मध्य भारत में रात का तापमान काफी ऊपर चला गया है। मंगलवार को भी पारा ऊपर जाएगा जिससे ठंड में कमी बनी रहेगी।
एक ओर उत्तर से लेकर मध्य और पूर्वी भारत तक शीतलहर से जहां राहत मिली है वहीं कोहरे में कमी से रेल यातायात फिर से पटरी पर आ गया है। उत्तर भारत और पूर्वी राज्यों में फिलहाल मंगलवार को हल्का कोहरा छाने के आसार हैं।
दक्षिण भारत के राज्यों में मौसम साफ और शुष्क बना रहेगा। इन राज्यों में दिन और रात के तापमान में विशेष बदलाव के संकेत नहीं हैं।
इधर कोमोरिन से बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-मध्य तक एक ट्रफ रेखा विकसित हो गई है। लक्षद्वीप और अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह में एक-दो स्थानों पर गरज के साथ बौछारें दर्ज की जा सकती हैं

अप्रैल से नवंबर के दौरान दलहन आयात 12.49 फीसदी बढ़ा

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले आठ महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान दलहन का आयात मूल्य के हिसाब से 12.49 फीसदी बढ़कर 16,915.55 करोड़ रुपये का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में इसका आयात 15,036.75 करोड़ रुपये का हुआ था।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान 21.04 लाख टन दालों का आयात हो चुका है जबकि वित्त वर्ष 2015-16 के दौरान रिकार्ड आयात 57.97 लाख टन का हुआ था। सूत्रों के अनुसार अक्टूबर से जनवरी के दौरान दलहन आयात में बढ़ोतरी हुई है तथा आयात सौदों में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए माना जा रहा है कि मार्च 2017 तक कुल आयात बढ़कर 55 से 60 लाख टन का हो जायेगा।
मंत्रालय के अनुसार अप्रैल से सितंबर 2016 के दौरान सबसे ज्यादा आयात मटर का 11.46 लाख टन का हुआ है, इसके अलावा चना का आयात 0.8 लाख टन का, मूंग और उड़द का 3.86 लाख टन का, मसूर का 1.25 लाख टन का तथा अरहर का आयात इस दौरान 2.23 लाख टन का हुआ है। वित्त वर्ष 2015-16 में मटर का कुल आयात 22.45 लाख टन का हुआ था जबकि चना का आयात 10.31 लाख टन का, मूंग और उड़द का 5.81 लाख टन का और अरहर का आयात 4.62 लाख टन का तथा मसूर का आयात 12.60 लाख टन का हुआ था।.......आर एस राणा

मूंगफली की गुणवत्ता के लिए उठे कदम

वियतनाम और इंडोनेशिया समेत कुछ अन्य बाजारों द्वारा मूंगफली निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध का सामना करने के बाद इस साल कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) तथा भारतीय तिलहन एवं उत्पाद निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) गुणवत्तापूर्ण उत्पाद सुनिश्चित करने के लिए कुछ प्रतिरोधात्मक उपाय अपना रहे हैं। गुणवत्ता संबंधी मुद्दों से निपटने को उपयुक्त वैश्विक पद्धति अपनाने के लिए यह निकाय किसानों और उत्पादकों के साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं।
अनवरत कारोबार के लिए गुणवत्ता वृद्धि एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। इसके लिए आईओपीईपीसी एपीडा के साथ मिलकर आयात करने वाले देशों के नए नियमों को साझा कर रही है। परिषद मूंगफली संसाधकों, निर्यातकों और उद्योग के अन्य भागीदारों का गुणवत्ता वृद्धि के लिए मार्गदर्शन भी कर रही है।' गुजरात और महाराष्टï्र के मूंगफली निर्यातक एपीडा द्वारा बार-बार चेतावनी देने के बावजूद कई मौकों पर गुणवत्ता संबंधी मानकों का उल्लंघन करते पाए गए हैं। गुणवत्ता मानकों की उपेक्षा करने पर प्राधिकरण ने दिसंबर में पांच मूंगफली निर्यातकों के लाइसेंस रद्द कर दिए थे। (BS Hindi)

ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1205 डॉलर के पार

सोना 2 महीने का ऊपरी स्तर छू चुका है। ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1205 डॉलर के पार है। डॉलर में दबाव से सोने को सपोर्ट मिला है और इसके साथ चांदी में भी तेजी का रुख है। हालांकि कच्चा तेल कल के लेवल के आसपास ही कारोबार कर रहा है। इस बीच मॉर्गेन स्टेनली ने कहा है कि सऊदी, कवैत और अल्जीरिया तय मात्रा से ज्यादा भी क्रूड के उत्पादन में कटौती कर सकते हैं। हालांकि दूसरी ओर अमेरिका में कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ता जा रहा है। सितंबर में उत्पादन कटौती पर ओपेक की सहमति के बाद से अमेरिका में क्रूड का उत्पादन रोजाना करीब 5 लाख बैरल बढ़ चुका है।
लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर में ऊपरी स्तर से हल्का दबाव है। कल भी इसमें तेज गिरावट आई थी।
एग्री कमोडिटी में एनसीडीईएक्स ने गेहूं पर से 5 फीसदी अतिरिक्त मार्जिन हटाने का फैसला लिया है जो कल से लागू हो जाएगा। इस बीच डॉलर के मुकाबले आज रुपये में हल्की रिकवरी आई है।

16 जनवरी 2017

केंद्र ने आयात शुल्क नहीं लगाया तो एमएसपी से नीचे बिकेगा गेहूं

मध्य प्रदेश के साथ ही उत्तर प्रदेश में गेहूं की बुवाई ज्यादा
आर एस राणा
नई दिल्ली। गेहूं आयात को हत्तोसाहित करने के लिए केंद्र सरकार ने आयात शुल्क नहीं लगाया तो उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बिकेगा। चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि मौसम भी फसल के अनुकूल बना हुआ है। कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो गेहूं का रिकार्ड उत्पादन होने का अनुमान है। आयात शुल्क शुन्य होने के कारण चालू सीजन में फरवरी तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात होने का अनुमान है जिससे दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों की मांग उत्तर प्रदेश के साथ ही अन्य राज्यों राजस्थान और मध्य प्रदेश से कम रहेगी। इसलिए इन राज्यों में अप्रैल-मई में गेहूं के भाव घटकर नीचे में 1,500 से 1,600 रुपये प्रति क्विंटल बन सकते हैं जबकि केंद्र सरकार ने आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है।
चालू सीजन में अभी तक करीब 23 से 24 लाख टन गेहूं का आयात आस्ट्रेलिया, यूक्रेन और फ्रांस से हो चुका है तथा माना जा रहा है कि 28 फरवरी 2017 तक करीब 30 लाख टन गेहूं का आयात हो जायेगा। केंद्र सरकार ने गेहूं की कीमतों में आई तेजी रोकने के लिए आयात शुल्क को शुन्य किया हुआ है जबकि आयातकों को लगता है कि सरकार 28 फरवरी 2017 के बाद फिर से आयात शुल्क लगा देगी, इसलिए आयातक केवल 28 फरवरी 2017 से पहले की ही शिपमेंट के आयात सौदे कर रहे हैं।
दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें उत्तर प्रदेश, राजस्थान और मध्य प्रदेश से गेहूं की खरीद ज्यादा करती है जबकि इस बार दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों के पास आयातित गेहूं की उपलब्धता ज्यादा होगी, तो उनकी खरीद इन राज्यों से कम रहेगी। पंजाब और हरियाणा में तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की खरीद ज्यादा रहती है, लेकिन उत्तर प्रदेश और राजस्थान से खरीद सीमित मात्रा में ही होती है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार ने गेहूं के आयात को रोकने के लिए जल्द ही आयात शुल्क नहीं लगाया तो फिर इन राज्यों में गेहूं का भाव एमएसपी से नीचे आने की संभावना है।
आयातित गेहूं का भाव दक्षिण भारत में बंदरगाह पहुंच 1,660 से 1,780 रुपये प्रति क्विंटल क्वालिटीनुसार है, इसलिए आयातित गेहूं से दक्षिण भारत की फ्लोर मिलों को ज्यादा मुनाफा हो रहा है। आगामी रबी विपणन सीजन 2017-18 के लिए केंद्र सरकार ने गेहूं का एमएसपी 1,625 रुपये प्रति क्विंटल तय किया हुआ है, इन भाव पर दक्षिण भारत की फ्लोर मिलें गेहूं की खरीद करेंगी तो इसमें करीब 250 से 300 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन लागत ही आयेगी।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू रबी में गेहूं की बुवाई बढ़कर 309.60 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसकी बुवाई 289.07 लाख हैक्टेयर में ही हो पाई थी। बुवाई में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी मध्य प्रदेश में हुई है। मध्य प्रदेश में अभी गेहूं की बुवाई बढ़कर 61.69 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 51.84 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। इसी तरह से उत्तर प्रदेश में इसकी बुवाई पिछले साल के 92.71 लाख हैक्टेयर से बढ़कर 98.22 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है। अन्य राज्यों हरियाणा में बुवाई 25.19 लाख हैक्टेयर में, पंजाब में 35 लाख हैक्टेयर में, राजस्थान में 30.67 लाख हैक्टेयर में, बिहार में 22.54 लाख हैक्टेयर में, गुजरात में 9.76 लाख हैक्टेयर में तथा महाराष्ट्र में 9.66 लाख हैक्टेयर में बुवाई हो चुकी है।...............आर एस राणा

ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1200 डॉलर के पार

सोने में तेजी आई है, ग्लोबल मार्केट में सोने का दाम 1200 डॉलर के पार चला गया है। पिछले 15 दिनों में सोने का भाव करीब 5 फीसदी उछल चुका है। डॉलर में दबाव से सोने की कीमतों को सपोर्ट मिला है। पिछले हफ्ते शुक्रवार को इस साल पहली बार एसपीडीआर गोल्ड की होल्डिंग में बढ़त देखी गई है और ये बढ़कर 808 टन के पास पहुंच गया है। चांदी में भी तेजी आई है और ये करीब 0.5 फीसदी ऊपर कारोबार कर रही है। चांदी को बेस मेटल से भी सपोर्ट मिला है। बेस मेटल की बात करें तो ग्लोबल मार्केट में कॉपर 5,925 डॉलर प्रति टन के पार जा चुका है। कच्चे तेल में भी रिकवरी आई है और ग्लोबल मार्केट में क्रूड करीब 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है।  ब्रेंट का दाम 55 डॉलर के पार चला गया है। एग्री कमोडिटी में आज से चीनी वायदा में खरीददारी पर पचास फीसदी मार्जिन चुकाना पड़ेगा। जिसमें पैंतालिस फीसदी की कैश मार्जिन होगी।  पिछले 15 दिनों में चीनी की कीमतें करीब 10 फीसदी उछल गई हैं। आज डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी है।

ग्वार सीड, आरएमसीड और क्रुड में एनसीडीईएक्स-एमसीएक्स की दैनिक टिप्स

खरीदें - फरवरी वायदा के अनुबंध में 16 जनवरी के लिए ग्वार सीड के वायदा अनुबंध में 3,320 रुपये पर खरीदें, 3,300 रुपये प्रति क्विंटल पर स्टॉप लोस लगाएं............टारेगट 3,350 रुपये प्रति क्विंटल का है।

सेल करें -आरएमसीड के अप्रैल वायदा अनुबंध में भाव चल रहे हैं, 3,890 रुपये  तथा इसमें 3,930 से 3,940 रुपये पर बेचे और स्टॉप लोस 3,970 का लगाएं, इसका टारगेट है 3,830 से 3,850 रुपये का

सेल करें - क्रुड पाम तेल पर जनवरी महीने के वायदा अनुबंध में 3,587 रुपये पर बेचें तथा, 3,630 रुपये का स्टोप लोस लगाएं और टारगेट है 3,520 रुपये का
(मार्किट की खबर के हिसाब से यह केवल सलाहभर है, जोखिम के लिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है।)

14 जनवरी 2017

एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में खरीद-बिक्री किन भाव पर करें

प्रिय पाठकों,
एनसीडीईएक्स और एमसीएक्स पर एग्री कमोडिटी में दैनिक आधार पर किस भाव पर खरीद करें, क्या स्टोप लोस लगाए तथा टारगेट क्या है, इस बारे में 16 जनवरी 2016 से एक सप्ताह के लिए एग्री कमोडिटी न्यूज ब्लॉग पर सलाह दी जायेगी, इसके बाद यह सर्विस मोबाईल पर एसएमएस के माध्यम से दी जायेगी। आपसे निवेदन है कि सप्ताहभर इस सर्विस को देखें तथा इस बारे में अपने सुझाव हमें जरुर दें, आपके सुझाव हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। इस बारे में हमें अपने सुझाव   rsrana2001@gmail.com     ई मेल पर भेजे या फिर मोबाईल नं0 - 09811470207 पर संपर्क करें।
धन्यवाद,
आर एस राणा
09811470207
rsrana2001@gmail.com

एग्री कमोडिटी में आगे की रणनीति कैसे बनाए

 एग्री कमोडिटी दलहन, तिलहन, और मसालों के साथ ही गेहूं, मक्का, जौ, कपास, खल, बिनौला, ग्वार सीड, चीनी, और कपास आदि की कीमतों में कब आयेगी तेजी तथा आगे की रणनीति कैसे बनाये, भाव में कब आयेगी तेजी, किस भाव पर स्टॉक करने पर मिलेगा मुनाफा, क्या रहेगी सरकार की नीति, आयात-निर्यात की स्थिति के साथ ही विदेष में कैसी है पैदावार, इन सब की स्टीक जानकारी के लिए हमसे जुड़े............एग्री कमोडिटी की दैनिक रिपोर्ट के साथ ही मंडियों के ताजा भाव आपको ई-मेल से हिंदी में भेजे जायेंगे
एग्री जिंसों के अलावा किराना में हल्दी, जीरा, धनिया, लालमिर्च, इलायची, कालीमिर्च आदि की जानकारी भी हिंदी में ई-मेल के माध्यम से दी जायेगी। हमें ई-मेल करे या फिर फोन पर संपक करें।

............एक महीना रिपोर्ट लेने का चार्ज मात्र 1,000 रुपये, 6 महीने का 5,000 रुपये और एक साल का केवल 8,000 रुपये........

आर एस राणा
 rsrana2001@gmail.com
09811470207

ग्वार गम उत्पादों के निर्यात में बढ़ोतरी

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात बढ़कर 2,31,444 टन का हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में इनका निर्यात 2,09,361 टन का ही हुआ था।
मूल्य के हिसाब से चालू वित्त वर्ष 2016-17 के पहले 8 महीनों अप्रैल से नवंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात 23.28 फीसदी घटकर 1,756.71 करोड़ रुपये का ही हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में 2,289.68 करोड़ रुपये मूल्य का निर्यात हुआ था।
सूत्रों क अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही अप्रैल से सितंबर के दौरान ग्वार गम उत्पादों का निर्यात कम था, लेकिन अक्टूबर-नवंबर में निर्यात में हुई बढ़ोतरी से इनके कुल निर्यात ज्यादा हुआ है। आगामी महीनों में निर्यात मांग में और भी सुधार आने का अनुमान है लेकिन घेरलू बाजार में ग्वार सीड का स्टॉक ज्यादा होने से मौजूदा भाव में आगे सुधार तो आ सकता है लेकिन अभी बढ़ी तेजी की संभावना कम है। जोधपुर मंडी में ग्वार गम का भाव 6,300 रुपये और ग्वार सीड का भाव 3,200 रुपये तथा गंगानगर मंडी में 3,100 रुपये प्रति क्विंटल रहा। जानकारों के अनुसार चालू महीने में उत्पादक मंडियों में ग्वार सीड के भाव में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी-मंदी रहने का अनुमान है।.........आर एस राणा

विदेशी बाजार में भाव कम होने से मक्का में नरमी की उम्मीद

आर एस राणा
नई दिल्ली। चालू फसल सीजन के खरीफ तो मक्का की पैदावार में बढ़ोतरी हुई ही है, साथ ही रबी में मक्का की बुवाई ज्यादा हुई है तथा उत्पादक राज्यों में मौसम भी फसल के अनुकूल है। ऐसे में रबी सीजन में भी मक्का की पैदावार ज्यादा होने का अनुमान है। विदेशी बाजार में मक्का के भाव कम होने के कारण हमारे यहां से निर्यात पड़ते नहीं लग रहे हैं, इसलिए आगे मक्का की कीमतों में नरमी ही आने का अनुमान है।
दिल्ली में इस समय मक्का के भाव 1,575 से 1,600 रुपये, निजामबाद मंडी में भाव 1,370 से 1,470 रुपये, दावणगिरी में 1,595 रुपये, करीमनगर में 1,460 रुपये, सांगली में 1,510 रुपये, गुलाबबाग में 1,500 से 1,660 रुपये, जलगांव में 1,430 रुपये, मुंबई में 1,600 रुपये तथा मल्कापुर 1,520 रुपये प्रति क्विंटल चल रहे हैं। इस समय उत्पादक मंडियों में खरीफ मक्का की आवक हो रही है, जबकि स्टार्च मिलों के साथ पोल्ट्री फीड निर्माताओं की मांग भी स्थिर बनी हुई है। मार्च में रबी मक्का की आवक चालू हो जायेगी, इसलिए आगामी दिनों में इसकी कीमतों में गिरावट ही आने का अनुमान है।
चालू सप्ताह के आखिर में अमेरिका से मक्का के वियतनाम के आयात सौदे 180 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) और चीन के आयात सौदे 175 डॉलर प्रति टन (सीएंडएफ) की दर से हुए हैं तथा इनमें सप्ताहभर में करीब 6 से 10 डॉलर प्रति टन की गिरावट आई है। अतः विश्व बाजार में मक्का के भाव भारत की तुलना में कम होने के कारण भारत से निर्यात नहीं हो पा रहा है जबकि उत्पादन ज्यादा होने से उपलब्धता ज्यादा है।
कृषि मंत्रालय के पहले आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल सीजन 2016-17 के खरीफ सीजन में मक्का का उत्पादन बढ़कर 193 लाख टन का हुआ है जबकि पिछले साल खरीफ सीजन में इसका उत्पादन 152.4 लाख टन का ही हुआ था। चालू रबी में भी मक्का की बुवाई बढ़कर 14.72 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल इस समय तक 13.46 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। ..............आर एस राणा