ओपेक देशों के बीच भले ही कच्चे तेल के उत्पादन में कमी का समझौता हुआ
हो लेकिन नवंबर में होने वाली बैठक में इस पर अंतिम फैसला होना काफी
मुश्किल लगता है। जानकारों के मुताबिक तेल उत्पादन घटाने का ओपेक का फैसला
लागू होना मुश्किल है। ईरान, लीबिया, नाइजीरिया पहले ही समझौते से बाहर
हैं। वहीं तेल उत्पादन घटाने से ओपेक को नुकसान होगा ओपेक के पास दुनिया के
कुल उत्पादन का सिर्फ 34 फीसदी है। तेल के दाम बढ़ने से गैर-ओपेक देशों
जैसे अमेरिका, ब्राजील, कनाडा को ज्यादा फायदा होगा। शेल क्रूड का उत्पादन
इन देशों का मार्केट शेयर बढ़ाएगा। अमेरिका पहले ही क्रूड का एक्सपोर्ट
शुरू कर चुका है।
बता दें कि ओपेक की बैठक में पास मसौदे के तहत सऊदी अरब करीब 3.5 लाख बैरल क्रूड का प्रोडक्शन घटाएगा और प्रति दिन 3.25 करोड़ बैरल क्रूड प्रोडक्शन की योजना है। जबकि ईरान, नाइजीरिया और लीबिया को कटौती से छूट दी गई है। हालांकि ये सप्लाई बढ़ा नहीं सकेंगे। आपको बता दें दुनिया में कच्चे तेल के कुल उत्पादन में ओपेक की हिस्सेदारी 34 फीसदी की है। हालांकि अभी उत्पादन में कटौती को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके बारे में 30 नवंबर को विएना में ओपेक की बैठक पर फैसला होगा।
बता दें कि ओपेक की बैठक में पास मसौदे के तहत सऊदी अरब करीब 3.5 लाख बैरल क्रूड का प्रोडक्शन घटाएगा और प्रति दिन 3.25 करोड़ बैरल क्रूड प्रोडक्शन की योजना है। जबकि ईरान, नाइजीरिया और लीबिया को कटौती से छूट दी गई है। हालांकि ये सप्लाई बढ़ा नहीं सकेंगे। आपको बता दें दुनिया में कच्चे तेल के कुल उत्पादन में ओपेक की हिस्सेदारी 34 फीसदी की है। हालांकि अभी उत्पादन में कटौती को लेकर कोई फैसला नहीं हुआ है। इसके बारे में 30 नवंबर को विएना में ओपेक की बैठक पर फैसला होगा।
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