डॉलर के मुकाबले रुपये में शानदार रिकवरी आई है। 1 डॉलर की कीमत 66.5
रुपये के पास आ गई है। रुपया करीब 0.5 फीसदी की मजबूती के साथ कारोबार कर
रहा है। डॉलर के मुकाबले रुपया करीब 4 महीने के ऊपरी स्तर पर चला गया है।
दरअसल अमेरिका में पिछले हफ्ते रोजगार के कमजोर आंकड़ों से वहां अब ब्याज
दरें बढ़ने की संभावना कमजोर पड़ गई है। ऐसे में डॉलर में गिरावट आई है और
इसी से रुपये को सपोर्ट मिला है।
उधर पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद आज कच्चे तेल में शानदार तेजी आई है। खबर है कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल पर टास्क फोर्स बनाने के लिए सहमत हो गए हैं। हालांकि नैचुरल गैस में गिरावट का रुख है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1.3 फीसदी बढ़कर 3020 रुपये के आसापसकारोबार कर रहा है। जबकि नैचुरल गैस 0.25 फीसदी की कमजोरी के साथ 185 रुपये के नीचे दिख रहा है।इस बीच रुपये में आई रिकवरी का असर घरेलू बाजार में कमोडिटी बाजार पर दिख रहा है। सोने पर दबाव बढ़ गया है। चांदी में भी दबाव दिख रहा है। हालाकि त्योहारों के सीजन में सोने की मांग बढ़ने की संभावना है। ऐसे में सोने पर डिस्काउंट पिछले 3 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। फिलहाल 10 ग्राम पर सिर्फ 400 रुपये का ही डिस्काउंट मिल रहा है। बढ़ती मांग का असर सोने के इंपोर्ट पर भी पड़ा है और अगस्त में सोने का इंपोर्ट करीब 5 टन बढ़ गया है। एमसीएक्स पर सोना 0.10 फीसदी की कमजोरी के साथ 30955 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। जबकि चांदी 0.15 फीसदी की गिरावट के साथ 46385 रुपये के आसपास दिख रहा है।
इस बीच कॉपर और निकेल को छोड़कर बाकी मेटल में दबाव है। स्टैनचार्ट अब एल्युमीनियम में भी ओवर सप्लाई का अनुमान जता रहा है। वहीं जेपी मॉर्गन ने इस साल के अंत तक लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर को 4400 डॉलर तक गिरने का टार्गेट का दिया है। दरअसल कॉपर की सप्लाई लगातार बढ़ रही है। फिलहाल ये लंदन मेटल एक्सचेंज पर ये 3.25 लाख टन के पार चला गया है। एमसीएक्स पर एल्युमीनियम 0.25 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। जबकि कॉपर में 0.3 फीसदी की बढ़त पर करोबार हो रहा है। जबकि निकेल 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 670 रुपये के आसपास दिख रहा है।
एग्री कमोडिटीज की बात करें तो रुपए में रिकवरी से खाने के तेलों में गिरावट आई है। वहीं सोयाबीन में बिकवाली से सोया तेल पर दोहरा दबाव पड़ा है। मसालों में जीरे का दाम करीब 1 फीसदी बढ़ गया है। वहीं ग्वार में भी करीब 2 फीसदी के ऊपर कारोबार हो रहा है।इधर खबरें हैं कि देश में इस साल प्याज की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून तक प्याज की पैदावार करीब 11 फीसदी बढ़कर 2.1 करोड़ टन के पार चली गई है। जबकि पिछले साल पैदावार में करीब 18 फीसदी की गिरावट आई थी और 1.9 करोड़ टन से भी कम प्याज की पैदावार हुई थी। ज्यादा प्याज पैदा होने की वजह से ही इस साल प्याज की कीमतें करीब 7 रुपये किलो चल रही हैं। जबकि पिछले साल इस अवधि में प्याज 45 रुपये किलो बिक रही थी।(hindimoneycantrol.com)
उधर पिछले हफ्ते की गिरावट के बाद आज कच्चे तेल में शानदार तेजी आई है। खबर है कि रूस और सऊदी अरब कच्चे तेल पर टास्क फोर्स बनाने के लिए सहमत हो गए हैं। हालांकि नैचुरल गैस में गिरावट का रुख है। एमसीएक्स पर कच्चा तेल 1.3 फीसदी बढ़कर 3020 रुपये के आसापसकारोबार कर रहा है। जबकि नैचुरल गैस 0.25 फीसदी की कमजोरी के साथ 185 रुपये के नीचे दिख रहा है।इस बीच रुपये में आई रिकवरी का असर घरेलू बाजार में कमोडिटी बाजार पर दिख रहा है। सोने पर दबाव बढ़ गया है। चांदी में भी दबाव दिख रहा है। हालाकि त्योहारों के सीजन में सोने की मांग बढ़ने की संभावना है। ऐसे में सोने पर डिस्काउंट पिछले 3 महीने के निचले स्तर पर आ गया है। फिलहाल 10 ग्राम पर सिर्फ 400 रुपये का ही डिस्काउंट मिल रहा है। बढ़ती मांग का असर सोने के इंपोर्ट पर भी पड़ा है और अगस्त में सोने का इंपोर्ट करीब 5 टन बढ़ गया है। एमसीएक्स पर सोना 0.10 फीसदी की कमजोरी के साथ 30955 रुपये के आसपास कारोबार कर रहा है। जबकि चांदी 0.15 फीसदी की गिरावट के साथ 46385 रुपये के आसपास दिख रहा है।
इस बीच कॉपर और निकेल को छोड़कर बाकी मेटल में दबाव है। स्टैनचार्ट अब एल्युमीनियम में भी ओवर सप्लाई का अनुमान जता रहा है। वहीं जेपी मॉर्गन ने इस साल के अंत तक लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर को 4400 डॉलर तक गिरने का टार्गेट का दिया है। दरअसल कॉपर की सप्लाई लगातार बढ़ रही है। फिलहाल ये लंदन मेटल एक्सचेंज पर ये 3.25 लाख टन के पार चला गया है। एमसीएक्स पर एल्युमीनियम 0.25 फीसदी की बढ़त के साथ कारोबार कर रहा है। जबकि कॉपर में 0.3 फीसदी की बढ़त पर करोबार हो रहा है। जबकि निकेल 0.5 फीसदी की बढ़त के साथ 670 रुपये के आसपास दिख रहा है।
एग्री कमोडिटीज की बात करें तो रुपए में रिकवरी से खाने के तेलों में गिरावट आई है। वहीं सोयाबीन में बिकवाली से सोया तेल पर दोहरा दबाव पड़ा है। मसालों में जीरे का दाम करीब 1 फीसदी बढ़ गया है। वहीं ग्वार में भी करीब 2 फीसदी के ऊपर कारोबार हो रहा है।इधर खबरें हैं कि देश में इस साल प्याज की रिकॉर्ड पैदावार हुई है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस साल जून तक प्याज की पैदावार करीब 11 फीसदी बढ़कर 2.1 करोड़ टन के पार चली गई है। जबकि पिछले साल पैदावार में करीब 18 फीसदी की गिरावट आई थी और 1.9 करोड़ टन से भी कम प्याज की पैदावार हुई थी। ज्यादा प्याज पैदा होने की वजह से ही इस साल प्याज की कीमतें करीब 7 रुपये किलो चल रही हैं। जबकि पिछले साल इस अवधि में प्याज 45 रुपये किलो बिक रही थी।(hindimoneycantrol.com)
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