आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी बनी हुई है। मांग और आपूर्ति के बीच की खाई और चौड़ी होने के पूर्वानुमान के बाद से तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में और तेजी आई है। बेंचमार्क इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर रॉ-षुगर की मार्च डिलीवरी के अनुबंध का कारोबार बढ़कर 21.16 डॉलर प्रति पाउंड हो गया जोकि 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर है। अक्टूबर में डिलीवरी के लिए नजदीकी महीने का अनुबंध 20.47 डॉलर प्रति पाउंड पर है। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम 23 डॉलर प्रति पाउंड से अधिक होने पर भारत से निर्यात षुल्क देने के बाद भी चीनी का निर्यात लाभकारी हो जायेगा।
जानकारों के अनुसार विष्व बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी का पहला कारण भारत, चीन और थाईलैंड सहित पूरे एषिया में फसल ठीक नहीं होना है, जबकि दूसरा ब्राजील के उत्पादकों पर कम एथेनॉल और ज्यादा चीनी उत्पादन का कृत्रिम दबाव नहीं होना है। पिछले 12 महीनों में वहां कीमत नीति को बदलकर मुक्त बाजार व्यवस्था लागू की गई है। तेल के दाम 50 डॉलर प्रति बैरल होने से एथनॉल की कीमतें अपने सर्वाेच्च स्तर पर हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) ने मांग की तुलना में कम आपूर्ति का पूर्वानुमान जताया है। अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन ने मई के अपने पूर्वानुमान में कहा था कि 2016-17 में 38 लाख टन चीनी की कमी रहेगी, जिसकी मुख्य वजह विष्व के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देष भारत में उत्पादन घटने के आसार थे। इसके बाद इस एजेंसी ने चीनी की कमी का अपना अनुमान 38 लाख टन से बढ़ाकर 66.5 लाख टन कर दिया। वैष्विक सलाहकार कंपनी किंग्समैन ने 2016-17 में 54.6 लाख टन चीनी की कमी रहने का पूर्वानुमान जारी किया है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर ने अनुमान जताया है कि चीनी सीजन 2016-17 में दुनियाभर में चीनी की खपत 17.4 करोड़ टन रहेगी, जो वैष्विक उत्पादन 16.9 करोड़ टन से अधिक है। केयर ने कहा घरेलू बाजार में 2016-17 में पिछले साल के कम बचे स्टॉक 72 लाख टन, गन्ने का रकबा घटकर 50 लाख हैक्टेयर से कम होने के अनुमान के साथ ही खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी से बफर स्टॉक खाली होने के आसार हैं।.............आर एस राणा
नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी बनी हुई है। मांग और आपूर्ति के बीच की खाई और चौड़ी होने के पूर्वानुमान के बाद से तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी की कीमतों में और तेजी आई है। बेंचमार्क इंटरकॉन्टिनेंटल एक्सचेंज पर रॉ-षुगर की मार्च डिलीवरी के अनुबंध का कारोबार बढ़कर 21.16 डॉलर प्रति पाउंड हो गया जोकि 52 सप्ताह के उच्चतम स्तर पर है। अक्टूबर में डिलीवरी के लिए नजदीकी महीने का अनुबंध 20.47 डॉलर प्रति पाउंड पर है। माना जा रहा है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम 23 डॉलर प्रति पाउंड से अधिक होने पर भारत से निर्यात षुल्क देने के बाद भी चीनी का निर्यात लाभकारी हो जायेगा।
जानकारों के अनुसार विष्व बाजार में चीनी की कीमतों में तेजी का पहला कारण भारत, चीन और थाईलैंड सहित पूरे एषिया में फसल ठीक नहीं होना है, जबकि दूसरा ब्राजील के उत्पादकों पर कम एथेनॉल और ज्यादा चीनी उत्पादन का कृत्रिम दबाव नहीं होना है। पिछले 12 महीनों में वहां कीमत नीति को बदलकर मुक्त बाजार व्यवस्था लागू की गई है। तेल के दाम 50 डॉलर प्रति बैरल होने से एथनॉल की कीमतें अपने सर्वाेच्च स्तर पर हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम इसलिए बढ़ रहे हैं क्योंकि अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन (आईएसओ) ने मांग की तुलना में कम आपूर्ति का पूर्वानुमान जताया है। अंतरराष्ट्रीय चीनी संगठन ने मई के अपने पूर्वानुमान में कहा था कि 2016-17 में 38 लाख टन चीनी की कमी रहेगी, जिसकी मुख्य वजह विष्व के दूसरे सबसे बड़े उत्पादक देष भारत में उत्पादन घटने के आसार थे। इसके बाद इस एजेंसी ने चीनी की कमी का अपना अनुमान 38 लाख टन से बढ़ाकर 66.5 लाख टन कर दिया। वैष्विक सलाहकार कंपनी किंग्समैन ने 2016-17 में 54.6 लाख टन चीनी की कमी रहने का पूर्वानुमान जारी किया है। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी केयर ने अनुमान जताया है कि चीनी सीजन 2016-17 में दुनियाभर में चीनी की खपत 17.4 करोड़ टन रहेगी, जो वैष्विक उत्पादन 16.9 करोड़ टन से अधिक है। केयर ने कहा घरेलू बाजार में 2016-17 में पिछले साल के कम बचे स्टॉक 72 लाख टन, गन्ने का रकबा घटकर 50 लाख हैक्टेयर से कम होने के अनुमान के साथ ही खपत में लगातार हो रही बढ़ोतरी से बफर स्टॉक खाली होने के आसार हैं।.............आर एस राणा
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