पिछले कुछ सालों में सोयाबीन की खली
और अन्य मूल्यवर्धित उत्पादों के निर्यात में तेज गिरावट की वजह से उद्योग
एवं वाणिज्य मंत्रालय ने दक्षिण पूर्व एशिया (एसईए) के आयात करने वाले
देशों में छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भेजने का फैसला किया ताकि आयातकों की
समस्याएं समझी जा सकें। छह सदस्यों वाली समिति की अध्यक्षता दाविश जैन कर
रहे हैं जो भारतीय सोयाबीन प्रसंस्करण संघ (सोपा) के अध्यक्ष हैं। सोपा के
मुकाबले देश के सोयाबीन खली निर्यात में अगस्त महीने में 66 फीसदी की
गिरावट आई और यह महज 10,615 टन पर सिमट गया जो पिछले साल की समान अवधि के
दौरान 31,157 टन था। इस साल अप्रैल से अगस्त तक की पांच महीने की अवधि के
दौरान देश के सोयाबीन खली निर्यात में 62 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और यह
पिछले साल के 168,054 टन से घटकर 63,522 टन हो गया। सोपा के कार्यकारी
निदेशक डी एन पाठक का कहना है, 'हम दुनिया के बाजार में प्रतिस्पद्र्धी
नहीं हैं क्योंकि देश में कच्चे माल की कीमत ज्यादा है जबकि खली निर्यात से
होने वाली प्राप्तियां कम हैं। सोयाबीन की कीमतें घरेलू किसानों द्वारा तय
होती हैं जबकि रिफाइंड सोया तेल (आरएसओ) और सोयाखली की कीमतें, आरएसओ के
सस्ते आयात की वजह से ब्राजील में पेराई करने वालों द्वारा तय की जाती
है।' इस बीच वाणिज्य मंत्रालय द्वारा एक पत्र जापान, वियतनाम, फिलीपींस
और थाईलैंड के दूतावास को भेजा गया है और इन देशों में 18-30 सितंबर के बीच
छह सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की आगामी यात्रा के दौरान इनके सहयोग की मांग की
गई है ताकि बाजार की संभावनाएं तलाशने के साथ ही संभावित खरीदारों से
मुलाकात की जा सके। देश में सोयाखली की पेराई कम रही है क्योंकि सोयाखली के
उत्पादन में तेज गिरावट दर्ज की गई। सोपा के मुताबिक देश का सोयाबीन
उत्पादन 2015-16 के फसल वर्ष में 75.4 करोड़ टन रहा जो 2014-15 में 1.03
करोड़ टन था। इस तरह इसमें करीब 27 फीसदी की गिरावट देखी गई। सोयाबीन
उत्पादन 2015-16 में 11 सालों के मुकाबले सबसे कम रहा क्योंकि सोयाबीन के
बड़े उत्पादक राज्यों मसलन महाराष्ट्र और गुजरात में सूखे की स्थिति थी।
15 सितंबर 2016
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