आर एस राणा
नई दिल्ली।
दाल एवं बेसन मिलों की मांग बढ़ने से चना की कीमतों में तेजी बनी हुई है, पिछले तीन दिनों में चना की कीमतों में 200 से 250 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आ चुकी है। उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है। लारेंस रोड़ पर चना के भाव 4,700 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 15 से 20 मोटर की हुई।
अगस्त से मध्य सितंबर तक प्रमुख चना उत्पादक राज्यों में बारिष कम हुई है जबकि अक्टूबर से चना की बुवाई षुरु हो जायेगी। चना की बुवाई ज्यादातर असिचिंत क्षेत्रफल में होती है इसलिए भी स्टॉकिस्ट बिकवाली नहीं कर रहे हैं। हालांकि मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में बारिष होने की भविष्यवाणी की हुई है अगर उत्पादक राज्यों में बारिष हो जाती है तो फिर चना की बुवाई के फायदेमंद होगी और भाव घट भी सकते हैं।
पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देष में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं। अक्टूबर-नवंबर षिपमेंट के सौदे 790-800 डॉलर प्रति टन की दर से हुए हैं। आस्ट्रेलिया में चना की नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक षुरु हो जायेगी तथा अनुकूल मौसम से आस्ट्रेलिया में चना की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। ऐसे में अक्टूबर-नवंबर में आस्ट्रेलिया से नए चना की षिपमेंट आनी षुरु हो जायेगी।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।....आर एस राणा
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