आर एस राणा
नई दिल्ली। उत्पादक मंडियों में जीरा की कीमतों में तेजी-मंदी बनी हुई र्है। घरेलू मसाला कंपनियों के साथ ही निर्यातकों की मांग से भाव बढ़ तो जाते हैं लेकिन बिकवाली ज्यादा आने से तेजी स्थिर नहीं रह पाती। हालांकि यह सही है कि इस समय त्यौहारी सीजन के कारण जीरा में घरेलू मांग अच्छी है साथ ही, निर्यातकों की मांग निकलने लगी है।
चालू सीजन में जीरा की पैदावार पिछले साल की तुलना में कम होने का अनुमान है जबकि बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से जीरे की फसल की क्वालिटी भी प्रभावित हुई थी। ऐसे में अच्छी गुणवत्ता के जीरा की उपलब्धता कम है जिससे अच्छी गुणवत्ता के जीरा की कीमतों में और भी सुधार आने का अनुमान है, जिससे बढ़िया क्वालिटी के जीरा की कीमतों में तेजी आने का अनुमान है।
वित वर्ष 2014-15 में जीरा के निर्यात में 11 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई थी तथा चालू वित वर्ष 2015-16 में भी देष से जीरा के निर्यात में और भी बढ़ोतरी होने का अनुमान है।
जीरा के अन्य उत्पादक देषों सीरिया और टर्की में जीरा का नई फसल आने से विष्व बाजार में भी जीरा की कीमतों में हल्की गिरावट आई है। विष्व बाजार में भारतीय जीरे का भाव घटकर 3.31 डॉलर प्रति किलो रह गया जबकि विष्व बाजार में महीनाभर पहले इसके भाव 3.42 डॉलर प्रति किलो थे।
टर्की और सीरिया में राजनीतिक गतिरोध होने के कारण इन देषों से जीरा के निर्यात में कमी आने की आषंका है, जिसका फायदा भारतीय निर्यातकों को मिलने की संभावना है। खाड़ी देषों के आयातक भारत से ज्यादा मात्रा में जीरा के आयात सौदे कर रहे हैं।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान देष से जीरा का निर्यात बढ़कर 1,55,500 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 1,21,500 टन का हुआ था।....आर एस राणा
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