आर एस राणा
नई दिल्ली। उंचे भाव में घरेलू मसाला कंपनियों की मांग कम होने से हल्दी की कीमतों में गिरावट आई है। पिछले आठ-दस दिनों से हल्दी की कीमतों मंे लगातार तेजी बनी हुई थी। प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों में अगस्त से अभी तक बारिष कम हुई है जबकि इस समय फसल को पानी की जरुरत है। मानसून के लौटेने का समय हो गया है इसीलिए खरीद बढ़ने से हल्दी की कीमतों में फिर से सुधार आने का अनुमान है। आंध्रप्रदेष की निजामाबाद मंडी में हल्दी के भाव 8,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे तथा दैनिक आवक 900 बोरी की हुई। इंरोड मंडी में हल्दी की दैनिक आवक 7,000 बोरी की हुई तथा भाव 7,500 रुपये प्रति क्विंटल रहे।
जुलाई महीने में हुई अच्छी बारिष से हल्दी की बुवाई तो बढ़ी है। अभी तक करीब 80 से 90 फीसदी हल्दी की बुवाई का काम पूरा हो चुका है, लेकिन अगस्त महीने में प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि के हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में बारिष कम हुई है ऐसे में हल्दी की कीमतों में आगामी दिनों में तेजी-मंदी काफी हद तक उत्पादक राज्यों में आगामी दिनों में होने वाली मानूसनी बारिष पर भी निर्भर करेगी।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
खाड़ी देषों की आयात मांग भी हल्दी में आनी षुरु हो गई है त्यौहारी सीजन को देखते उत्तर भारत के राज्यों की मांग भी बढ़ी है। इसलिए आगामी दिनों में भाव में पिछले आठ-दस दिनों से लगातार बढ़ रहे थे। स्टॉकिस्ट उत्पादक राज्यों में मौसम के साथ ही मंडियों में हल्दी के भाव पर नजर रखेंगे तो हल्दी बेचने के लिए बेहतर रणनीति बना सकेंगे। हल्दी की नई फसल आने में अभी करीब 6 महीने बचे हुए हैं, हल्दी की नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.31 डॉलर प्रति किलो है जबकि महीने इसकी कीमतें 3.53 डॉलर प्रति किलो थी।......आर एस राणा
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