आर एस राणा
नई दिल्ली। आयातित प्याज की आवक होने के साथ ही खरीफ प्याज की नई आवक की उम्मीद से इसकी कीमतों में गिरावट आने लगी है। उत्पादक मंडियों में सप्ताहभर में इसकी कीमतों में 200 से 600 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। देषभर की मंडियों में प्याज के औसत भाव 15 सितंबर को 2,868 से 4,981 रुपये प्रति क्विंटल थे जोकि घटकर 2,667 से 4,355 रुपये प्रति क्विंटल रह गए। अगस्त महीने में देषभर की प्रमुख मंडियों में प्याज की कुल आवक 34.74 लाख क्विंटल की हुई थी जबकि सितंबर महीने में अभी तक मंडियों में 22.48 लाख क्विंटल प्याज की आवक हो चुकी है।
सार्वजनिक कपंनियों के साथ ही प्राइवेट आयातक प्याज का आयात कर रहे हैं जबकि अक्टूबर महीने में उत्पादक मंडियों में खरीफ प्याज की नई आवक षुरु हो जायेगी। इसी को देखते हुए प्याज की मांग में कमी देखी जा ही है जबकि बिकवाली ज्यादा आ रही है। ऐसे में आगामी दिनों में प्याज की कीमतों में और भी गिरावट आयेगी।
केंद्र सरकार द्वारा प्याज के न्यूनतम निर्यात मूल्य को बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर देने निर्यात तो बंद हुआ ही है, साथ ही सार्वजनिक कंपनियों द्वारा किए जा रहे आयातित प्याज की पहली खेप चालू सप्ताह में पहुंच जायेगी।
केंद्र सरकार ने प्याज की नई फसल की आवक के समय अप्रैल महीने में प्याज के न्यूनतम समर्थन मूल्य को 300 डॉलर प्रति टन से घटाकर 250 डॉलर प्रति टन किया था लेकिन घरेलू मंडियों में प्याज की कीमतों में आई तेजी के कारण उपभोक्ताओं के हित के लिए केंद्र सरकार ने जून महीने में एमईपी को बढ़ाकर 425 डॉलर प्रति टन कर दिया था। इसके बाद भी प्याज का निर्यात बंद नहीं हुआ तो सरकार निर्यात को हत्तोसाहित करने के लिए एमईपी को बढ़ाकर 700 डॉलर प्रति टन कर दिया।
अक्टूबर में खरीफ के प्याज की आवक षुरु हो जायेगी। प्याज की पैदावार देष में रबी सीजन के अलावा खरीफ और लेट खरीफ में भी होता है। रबी प्याज की आवक उत्पादक मंडियोें में मार्च से जून महीने तक होती है जबकि खरीफ प्याज की आवक अक्टूबर से दिसंबर तक तथा लेट खरीफ प्याज की आवक उत्पादक मंडियों में जनवरी से मार्च तक होती है। खरीफ में प्याज का उत्पादन 15 से 20 फीसदी और लेट खरीफ में 20 से 25 फीसदी होता है जबकि रबी में प्याज का उत्पादन 60 से 65 फीसदी तक होता है।
कृषि मंत्रालय के राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में प्याज की बुवाई 11.92 लाख हैक्टेयर में हुई है तथा पैदावार 193.57 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी बुवाई 12.03 लाख हैक्टेयर में हुई थी तथा पैदावार 194.01 लाख टन की हुई थी। मंत्रालय के अनुसार पिछले साल के मुकाबले 2014-15 में प्याज की बुवाई में कमी आई है जिससे इसकी पैदावार भी पिछले साल के मुकाबले घटने का अनुमान है। वैसे भी प्याज की खुदाई के समय कई क्षेत्रों में बेमौसम बारिष और ओलावृष्टि से भी फसल को नुकसान हुआ था।
वित वर्ष 2014-15 के के दौरान 10.86 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में देष से 13.58 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था जबकि इसके पिछले वित वर्ष 2012-13 में 16.66 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था।
देष में प्याज की सबसे ज्यादा पैदावार महाराष्ट्र, बिहार, कर्नाटक, गुजरात, आंध्रप्रदेष, उत्तर प्रदेष, उड़ीसा और मध्य प्रदेष में होती है। आंध्रप्रदेष में प्याज की फसल की आवक का पीक सीजन अप्रैल और जून के बाद सितंबर से नवंबर तक रहता है। बिहार में प्याज की आवक का सीजन मार्च-अप्रैल महीना है जबकि असम में प्याज की आवक जनवरी-फरवरी में होती है। गुजरात में फरवरी में प्याज की आवक रहती है जबकि कर्नाटका में अप्रैल से जून तक तथा सितंबर से अक्टूबर तक आवक का पीक सीजन रहता है। मध्य प्रदेष में मार्च-अप्रैल में प्याज की आवक होती है जबकि महाराष्ट्र में मंडियों में आवक का दबाव अप्रैल महीने में होता है।
विष्व में प्याज के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। विष्व में प्याज के उत्पादन में चीन की हिस्सेदारी 26.3 फीसदी और भारत की 22.6 फीसदी है। ......आर एस राणा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें