आर एस राणा
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा दलहन पर स्टॉक लिमिट की अवधि को 30 सितंबर 2016 तक बढ़ाने से 22 सितंबर को मंडियों में चना की कीमतों में गिरावट तो आई थी लेकिन कुल उपलब्धता कम होने के कारण गिरावट फिर से तेजी में बदल गई। उत्पादक मंडियों में बुधवार चना की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।
दिल्ली के लारेंस रोड़ पर चना के भाव बढ़कर 4,650 रुपये, इंदौर मंडी में 4,550 रुपये, महाराष्ट्र की नागपुर मंडी में 4,850 रुपये और अकोला मंडी में 4,850 रुपये प्रति क्विंटल रहे। आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव मुंबई में 4,850 रुपये प्रति क्विंटल हो गए।
घटे भाव में दाल मिलों की मांग निकलने से चना की कीमतों में तेजी आई है। घरेलू मंडियों में चना का स्टॉक कम है जबकि दाल और बेसन में मांग अच्छी है। यही वजह से चना की कीमतों एक दिन की गिरावट के बाद फिर से तेजी देखने को मिली।
मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में हाल ही में हुई बारिश चना की नई फसल की बुवाई के लिए अच्छी है। उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। जबकि अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में भारी गिरावट आने का अनुमान नहीं है। पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देश में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। वैसे भी आस्ट्रेलिया से आयातित चना के भाव भी तेज बने हुए हैं।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.......आर एस राणा
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