आर एस राणा
नई दिल्ली। उंची कीमतों में मांग कम होने से चना की कीमतों में लगातार चौथे दिन गिरावट दर्ज की गई। पिछले चार दिनों में इसकी कीमतों में करीब 300 से 350 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। महाराष्ट्र, मध्यप्रदेष, कर्नाटका आदि राज्यों में खरीफ दालों की आवक षुरु हो गई है जबकि आयातित चने के आयात सौदे ज्यादा मात्रा में हो रही है। इसीलिए कीमतों में गिरावट आई है।
आस्ट्रेलिया में चना की नई फसल की आवक चालू महीने के आखिर तक षुरु हो जायेगी तथा अनुकूल मौसम से आस्ट्रेलिया में चना की पैदावार पिछले साल से ज्यादा होने का अनुमान है। अक्टूबर-नवंबर षिपमेंट के 790-800 डॉलर प्रति टन की दर से चना के आयात सौदे हुए है ऐसे में अक्टूबर में आस्ट्रेलिया से नए चना की षिपमेंट आनी षुरु हो जायेगी तथा आयात बढ़ने की संभावना के कारण दाल मिलर जरुरत के हिसाब से ही खरीददारी कर रहे हैं।
हालांकि उत्पादक राज्यों में चना का स्टाक कम होने से दैनिक आवक पहले की तुलना में कम है। वैसे भी अन्य दालों की तुलना में चना की दाल अभी भी सस्ती होने से इसकी खपत अन्य दालों के मुकाबले ज्यादा हो रही है। इसलिए इसकी कीमतों में फिर से सुधार आने का अनुमान है। पैदावार में कमी आने के कारण चालू रबी सीजन में देष में चना की कुल उपलब्धता सालाना खपत से कम है। वैसे भी इस समय त्यौहारी सीजन के कारण चना दाल और बेसन में मांग अच्छी है।
कृषि मंत्रालय के चौथे आरंभिक अनुमान के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 में चना की पैदावार घटकर 71.7 लाख टन होने का अनुमान है। पिछले साल इसकी रिकार्ड पैदावार 95.3 लाख टन की हुई थी।.....आर एस राणा
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