आर एस राणा
हल्दी - उंचे भाव में घरेलू मसाला कंपनियों की मांग कम होने से सप्ताह के आखिर में हल्दी की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। सप्ताहभर में हल्दी की कीमतें 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई थी। त्यौहारी सीजन चल रहा है, साथ सर्दियों का मौसम षुरु होने वाला है इसलिए आगामी दिनों में हल्दी में घरेलू मसाला निर्माताओं के साथ निर्यातकों की मांग भी बढ़ेगी, जिससे भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है। ऐसे में जिन किसानों के पास हल्दी का स्टॉक है कुछ स्टॉक बचा लेंगे तो, भाव में और आने वाले और सुधार का लाभ उठा सकेंगे क्योंकि हल्दी की नई फसल आने में अभी करीब 6 महीने बचे हुए हैं। हल्दी की नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी।
प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों में अगस्त महीने में बारिष कम हुई है जबकि इस समय फसल को पानी की जरुरत है। मानसून के लौटेने का समय हो गया है।
उत्पादक मंडियों में हल्दी की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो रही है। जुलाई महीने में हुई अच्छी बारिष से हल्दी की बुवाई बढ़ी है। अभी तक करीब 70 से 80 फीसदी हल्दी की बुवाई का काम पूरा हो चुका है, हालांकि अगस्त महीने में प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि के हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में बारिष कम हुई है ऐसे में हल्दी की कीमतों में आगामी दिनों में तेजी-मंदी काफी हद तक आगामी दिनों में होने वाली मानूसनी बारिष पर भी निर्भर करेगी।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भी विष्व बाजार यही भाव थे।......आर एस राणा
हल्दी - उंचे भाव में घरेलू मसाला कंपनियों की मांग कम होने से सप्ताह के आखिर में हल्दी की कीमतों में नरमी दर्ज की गई। सप्ताहभर में हल्दी की कीमतें 600 से 700 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ गई थी। त्यौहारी सीजन चल रहा है, साथ सर्दियों का मौसम षुरु होने वाला है इसलिए आगामी दिनों में हल्दी में घरेलू मसाला निर्माताओं के साथ निर्यातकों की मांग भी बढ़ेगी, जिससे भाव में फिर सुधार आने का अनुमान है। ऐसे में जिन किसानों के पास हल्दी का स्टॉक है कुछ स्टॉक बचा लेंगे तो, भाव में और आने वाले और सुधार का लाभ उठा सकेंगे क्योंकि हल्दी की नई फसल आने में अभी करीब 6 महीने बचे हुए हैं। हल्दी की नई फसल की आवक फरवरी महीने में बनेगी।
प्रमुख हल्दी उत्पादक राज्यों में अगस्त महीने में बारिष कम हुई है जबकि इस समय फसल को पानी की जरुरत है। मानसून के लौटेने का समय हो गया है।
उत्पादक मंडियों में हल्दी की दैनिक आवक पहले की तुलना में कम हो रही है। जुलाई महीने में हुई अच्छी बारिष से हल्दी की बुवाई बढ़ी है। अभी तक करीब 70 से 80 फीसदी हल्दी की बुवाई का काम पूरा हो चुका है, हालांकि अगस्त महीने में प्रमुख उत्पादक राज्यों आंध्रप्रदेष, तेलंगाना, तमिलनाडु आदि के हल्दी उत्पादक क्षेत्रों में बारिष कम हुई है ऐसे में हल्दी की कीमतों में आगामी दिनों में तेजी-मंदी काफी हद तक आगामी दिनों में होने वाली मानूसनी बारिष पर भी निर्भर करेगी।
चालू सीजन में हल्दी की पैदावार तो पिछले साल से कम हुई थी, लेकिन नई फसल की आवक के समय उत्पादक मंडियों में हल्दी का पिछले साल का बकाया स्टॉक ज्यादा बचा हुआ था इसलिए हल्दी की कुल उपलब्धता देष में सालाना खपत से ज्यादा ही है।
भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार वित वर्ष 2014-15 के दौरान हल्दी का निर्यात बढ़कर 86,000 टन का हुआ है जबकि वित वर्ष 2013-14 में इसका निर्यात 77,500 टन का हुआ था। मसाला बोर्ड ने वित वर्ष 2014-15 में हल्दी के निर्यात का लक्ष्य 80,000 टन का रखा था।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में हल्दी का भाव 3.53 डॉलर प्रति किलो है जबकि पिछले साल की समान अवधि में भी विष्व बाजार यही भाव थे।......आर एस राणा
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