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20 मई 2015

जून में समीक्षा करेगा जीसीएमएमएफ

पश्चिमी भारत में दूध की कीमतें लंबे समय तक स्थिर बने रहने के बाद बढऩे की संभावना है। इसमें महाराष्ट्र और राजस्थान के हिस्से शामिल हैं। हालांकि गुजरात, दिल्ली और दक्षिण भारत में दूध की आपूर्ति करने वाली कंपनियों ने स्पष्टï किया कि देश में स्किम्ड मिल्क पाउडर (एसएमपी) की अतिरिक्त मात्रा उपलब्ध होने से फिलहाल कीमतें बढ़ाने की उनकी कोई योजना नहीं है। देश की सबसे बड़ी डेयरी कंपनी गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) करीब पंद्रह दिन बाद जून में स्थिति की समीक्षा करेगी।
 
अप्रैल में मुंबई शहर के आसपास असंगठित क्षेत्र के दूध उत्पादकों ने दाम बढ़ा दिए, इसके बाद इस क्षेत्र की दो सहकारी डेयरियों महानंद और कोल्हापुर जिला सहकारी दूध उत्पादक संघ लिमिटेड (जो गोकुल ब्रांड के तहत दूध और दुग्ध उत्पादों की बिक्री करता है) ने खुदरा विक्रेताओं के दबाव में 1-2 रुपये प्रति लीटर इजाफा किया। महानंद डेयरी के महाप्रबंधक (मार्केटिंग) वी के अग्निहोत्री ने इस बात की पुष्टिï की और कहा कि कीमतों में बढ़ोतरी खुदरा विक्रेताओं के मार्जिन में इजाफा करने के लिए की गई।
 
हालांकि राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन खरीद कीमतें बढ़ाने के बारे में विचार कर रहा है ताकि किसान डेयरी से जुडऩे के लिए प्रेरित हों, साथ ही उपभोक्ताओं पर भी इस बढ़ोतरी का बोझ डाला जाएगा। फेडरेशन सारस ब्रांड के तहत दूध बेचता है। फेडरेशन के चेयरमैन जोग एस बलोत ने बताया, 'हमारी खरीद गर्मियों के महीने में 36 लाख लीटर प्रतिदिन से घटकर 26 लाख लीटर प्रतिदिन रह जाती है। किसानों को डेयरी से जुडऩे के प्रति आकर्षित करने के लिए हम अब खरीद कीमत बढ़ाने की योजना बना रहे हैं।' पूरे राजस्थान की डेयरियों में कीमत 510-570 रुपये प्रति किलोग्राम वसा है। बलोत का दावा है कि 21 मई से इसे 550 रुपये प्रति किलोग्राम वसा तक बढ़ाया जा सकता है। इससे फेडरेशन द्वारा खुदरा कीमतों में तेजी देखने को मिल सकती है और डबल टोंड दूध के लिए कीमत 34 रुपये प्रति लीटर तक बढ़ सकती है जो फिलहाल 32 रुपये प्रति लीटर है। बलोत ने स्पष्टï किया कि इससे खुदरा मार्जिन में इजाफा नहीं किया जा सकता बल्कि बढ़ती हुई लागत को कम करने में मदद मिलेगी। तमिलनाडु के हटसन एग्रो के प्रबंध निदेशक आर जी चंद्रमोहन ने बताया कि उनकी आने वाले महीनों में कीमत बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने बताया, 'भारत में एसएमपी का पर्याप्त स्टॉक है। इसलिए तात् ौकालिक रूप से कीमत बढ़ाने की जरूरत नहीं है। महानंद और गोकुल तकनीकी कारणों से ऐसा कर रहे हैं।' 
 
हालांकि देश का सबसे बड़े सहकारी जीसीएमएमएफ के पास भी खुदरा विक्रेताओं का मार्जिन बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा, 'हम पूरे भारत में एक समान मार्जिन बरकरार रखते हैं और कुछ खास क्षेत्रों में मार्जिन नहीं बढ़ा सकते हैं। हमने पिछले 12-13 महीनों में कीमतें नहीं बढ़ाईं और अब तक कीमत बढ़ाने की कोई योजना नहीं है।' हालांकि उन्होंने कहा कि जीसीएमएमएफ जून में स्थिति की समीक्षा कर सकता है।
 
अब जीसीएमएमएफ के उत्पादन में 20-25 फीसदी गिरावट आई है। चंद्रमोगन के मुताबिक देश में अभी भी 80,000 टन एसएमपी का भंडार है जिसे आसानी से दूध में परिवर्तित किया जा सकता है। ठीक इसी समय मूल्यवर्धित उत्पादों की मांग बढ़ जाती है और एसएमपी के स्टॉक का एक हिस्सा मांग को पूरा करने में खर्च होता है और इससे स्टॉक कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्टï्रीय बाजार में एसएमपी की कीमत 172 रुपये प्रति किलोग्राम है।  (BS Hindi)

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