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30 मई 2015

कम बारिश में कहीं सूख न जाए तिलों का तेल!

सिंचाई के लिए पानी की कमी की वजह से गर्मियों में तिल उत्पादक गुजरात में पिछले साल के मुकाबले 70 फीसदी उपज घट सकती है। शेलैक ऐंड फॉरेस्ट प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (शेफेक्सिल) ने 23 अप्रैल से 2 मई, 2015 के एक सर्वे कराया। इसके मुताबिक गर्मियों में तिल का उत्पादन राज्य में 35,216 टन हो सकता है जबकि पिछले साल राज्य में 1,13,190 टन तिल का उत्पादन हुआ था। 

रिपोर्ट के अनुसार मुख्य रूप से पानी की कमी के कारण तिल के रकबे में गिरावट आई है। बेमौसम बारिश ने भी जिंस के उत्पादन पर बुरा असर डाला और इस वजह से इस साल उत्पादन घटा। हालांकि भारतीय तिलहन एवं उत्पाद निर्यात संवर्धन परिषद (आईओपीईपीसी) के सर्वेक्षण मुताबिक तिल का उत्पादन 63,383 टन रहेगा जो पिछले साल के मुकाबले 51 फीसदी कम है।

रबी के सीजन में गुजरात मूंगफली और तिल का बड़ा उत्पादन करता है। गुजरात राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक तिल की बुआई इस साल 68,300 हेक्टेयर में हुई है जबकि पिछले साल 1,25,800 हेक्टेयर क्षेत्र में की गई थी। तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक राज्य सरकार ने गर्मियों के लिए 33,000 टन तिल उत्पादन का अनुमान लगाया है। कारोबारी यह भी मानते हैं कि गर्मियों में तिल उत्पादन 35,000 टन से अधिक नहीं होगा। शेफेक्सिल सर्वे में कहा गया है कि बनासकांठा, सुरेंद्रनगर, मोरबी, राजकोट, पोरबंदर और कच्छ जिले में रकबे में भारी गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक गुजरात में रकबा घटकर 72,983 हेक्टेयर रह गया जबकि उत्पादन 48 फीसदी घटकर 483 किलो प्रति हेक्टेयर रह गया। उत्पादन वर्ष 2014 में 987 किलो हेक्टेयर था। दूसरी तरफ आईओपीईपीसी के सर्वेक्षण के मुताबिक उत्पादन 928 किलो प्रति हेक्टेयर रहने का अनुमान है।

बुआई की शुरुआत साल के आखिर में हुई थी और देरी से बुआई का एक प्रमुख कारण खेतों की कमी थी क्योंकि पुरानी फसलें लगी हुई थीं। खराब मौसम के कारण राजकोट, जूनागढ़, मोरबी और जामनगर जिलों में फसल खराब हुई। सर्वे के मुताबिक बेमौसम बारिश से  बीमारियां बढ़ गईं और कीटों का हमला भी हुआ। गुजरात के प्रमुख निर्यातक मनोज सोनपाल ने कहा, 'तिल का बाजार मुश्किल होगा क्योंकि खरीफ की फसल लगभग पूरी तरह बाजार में आ चुकी है और गर्मियों की फसल पर बुरा प्रभाव पडऩे का अनुमान है जिससे कीमतों पर असर पडऩे लगा है।' (BS Hindi)

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