पिछले कुछ हफ्तों से डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में आई गिरावट ने देसी
कॉफी निर्यातकों की उम्मीद बढ़ा दी है जो इस साल की शुरुआत से ही मंदे
कारोबार का सामना कर रहे थे। अरेबिका बीन के निर्यात में 1 जनवरी से
विभिन्न कारणों की वजह से करीब 40 फीसदी की गिरावट आई है। अंतरराष्ट्रीय
बाजार में कीमतें फिलहाल 130-140 सेंट प्रति पाउंड है, अक्टूबर में कीमतें
180 सेंट प्रति पाउंड थी, इस लिहाज से कीमतों में 27 फीसदी की गिरावट आई
है। इसके अलावा भारतीय निर्यातकों द्वारा अरेबिका बींस के लिए वसूले जाने
वाले अधिक प्रीमियम की वजह से 1 जनवरी और 14 मई के बीच निर्यात में गिरावट
आई है।
मध्य जनवरी से अब तक भारतीय रुपये में 3 फीसदी की गिरावट आई है और रुपया डॉलर के मुकाबले 63.68 के स्तर पर पहुंच गया है इसलिए निर्यातकों को उम्मीद बंधी है। हालांकि कॉफी की कीमतें फिलहाल निचले स्तर पर हैं लेकिन निर्यातकों का कहना है कि वे तेजी से भरपाई कर सकते हैं। कॉफी निर्यातक संघ के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा, 'रुपये की गिरावट से निर्यातकों को हमेशा मदद मिलती है। लेकिन इस बार यह गिरावट बड़ा प्रभाव डालने के लिए काफी नहीं है क्योंकि निर्यातकों ने 62.50 रुपये के स्तर पर करार किए हैं इसलिए अगर वे इस दर पर ऑर्डर बुक कर देते हैं तो मौजूदा गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। इसका मतलब है कि हमें इसका लाभ उठाने के लिए कुछ और हफ्तों तक इंतजार करना होगा।' उन्होंने कहा कि फिलहाल पूरे यूरोप में छुट्टिïयों का दौर चल रहा है और उपभोग कम होने के कारण कॉफी खरीदार तुरंत मोलभाव नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, 'हालांकि हमें उम्मीद है कि अगर रुपये का मौजूदा स्तर बरकरार रहा या फिर रुपये में और भी गिरावट आई तो काफी निर्यात में तेजी आ सकती है।' (BS Hindi)
मध्य जनवरी से अब तक भारतीय रुपये में 3 फीसदी की गिरावट आई है और रुपया डॉलर के मुकाबले 63.68 के स्तर पर पहुंच गया है इसलिए निर्यातकों को उम्मीद बंधी है। हालांकि कॉफी की कीमतें फिलहाल निचले स्तर पर हैं लेकिन निर्यातकों का कहना है कि वे तेजी से भरपाई कर सकते हैं। कॉफी निर्यातक संघ के अध्यक्ष रमेश राजा ने कहा, 'रुपये की गिरावट से निर्यातकों को हमेशा मदद मिलती है। लेकिन इस बार यह गिरावट बड़ा प्रभाव डालने के लिए काफी नहीं है क्योंकि निर्यातकों ने 62.50 रुपये के स्तर पर करार किए हैं इसलिए अगर वे इस दर पर ऑर्डर बुक कर देते हैं तो मौजूदा गिरावट का फायदा उठा सकते हैं। इसका मतलब है कि हमें इसका लाभ उठाने के लिए कुछ और हफ्तों तक इंतजार करना होगा।' उन्होंने कहा कि फिलहाल पूरे यूरोप में छुट्टिïयों का दौर चल रहा है और उपभोग कम होने के कारण कॉफी खरीदार तुरंत मोलभाव नहीं करेंगे। उन्होंने कहा, 'हालांकि हमें उम्मीद है कि अगर रुपये का मौजूदा स्तर बरकरार रहा या फिर रुपये में और भी गिरावट आई तो काफी निर्यात में तेजी आ सकती है।' (BS Hindi)
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