पिछले महीने देश के अधिकांश तिलहन उत्पादक राज्यों में हुई बारिश का असर सरसों की कीमतों और उत्पादन दोनों पर पडऩे लगा है। मंडियों में आवक कमजोर होने के कारण पिछले एक महीने में सरसों की कीमतों में करीब 20 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। फसल खराब होने की वजह से इस साल सरसों का उत्पादन करीब 5 फीसदी कम रहने की आशंका जताई जा रही है। उत्पादन कम होने की गहराती आशंका की वजह से आने वाले महीनों में सरसों की कीमतें और बढ़ सकती हैं। बाजार में सरसों की आवक मार्च महीने में जोर पर रहती है। आवक ज्यादा होने के कारण हर साल मार्च-अप्रैल में सरसों की कीमतें दबाव में रहती हैं लेकिन इस बार बेमौसम बारिश की मार से फसल खराब होने के कारण मार्च से कीमतें बढऩा शुरू हो गईं।
पिछले करीब डेढ़ महीने से सरसों के भाव लगातार मजबूत हो रहे हैं। हाजिर बाजार में आवक कमजोर होने के कारण सरसों की कीमतें बढ़कर 4,500 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच गईं जबकि मार्च महीने की शुरुआत में हाजिर बाजार में सरसों के दाम 3,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के आसपास थे। हाजिर बाजार में कीमतें बढऩे का असर वायदा बाजार में भी देखने को मिल रहा है। एनसीडीईएक्स में सरसों के सभी अनुबंधों की कीमतें 4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच चुकी हैं। मई महीने के अनुबंध के दाम पिछले एक महीने में 600 रुपये बढ़कर 4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच गए हैं।
मंडियों में सरसों की फसल आने का समय होने के बावजूद कीमतें बढऩे की वजह पर एडमिसी कमोडिटी प्राइवेट लिमिडेट के तुषार चौहान कहते हैं कि दरअसल बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब होने की खबर कीमतों को हवा दे रही है। किसानों को भी लग रहा है कि आने वाले समय में कीमतें और ऊपर जाएंगी इसलिए वे भी फिलहाल माल रोक रहे हैं। मंडियों में स्टॉकिस्ट सक्रिय हैं जिससे मांग बढ़ी है जबकि आवक कमजोर है, इसलिए कीमतें बढ़ रही हैं। तिलहन कारोबारियों का कहना है कि सरसों का स्टॉक बढ़ाने की वजह से कीमतें बढ़ी हैं। सरसों का उत्पादन कम होने के कारण आयात निर्भरता बढ़ेगी जो खाद्य तेल की कीमतें खौलाने का काम करेगी।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम फसल उत्पादन अनुमान के अनुसार वर्ष 2014-15 में सरसों का उत्पादन 6.52 फीसदी घटकर 73.3 लाख टन होने की संभावना है, जबकि पिछले साल देश में 78.77 लाख टन उत्पादन हुआ था। अमेरिकन कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 के दौरान भारत में सरसों का उत्पादन 71 लाख टन रहेगा जबकि पिछले साल सरसों का उत्पादन 73 लाख टन था। सरसों के उत्पादन के बारे में अलग-अलग संस्थाओं की अलग अलग रिपोर्ट आ रही हैं। कारोबारी संगठन 14 फीसदी तक उत्पादन कम होने का दावा कर रहे हैं। कारोबारी संगठनों के अनुसार देश में सरसों का उत्पादन सरकारी आंकड़ों से बहुत कम रहेगा। कारोबारियों का कहना है कि इस बार देश में सरसों का उत्पादन 55 लाख टन के करीब रहने का अनुमान है। (BS Hindi)
पिछले करीब डेढ़ महीने से सरसों के भाव लगातार मजबूत हो रहे हैं। हाजिर बाजार में आवक कमजोर होने के कारण सरसों की कीमतें बढ़कर 4,500 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच गईं जबकि मार्च महीने की शुरुआत में हाजिर बाजार में सरसों के दाम 3,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के आसपास थे। हाजिर बाजार में कीमतें बढऩे का असर वायदा बाजार में भी देखने को मिल रहा है। एनसीडीईएक्स में सरसों के सभी अनुबंधों की कीमतें 4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच चुकी हैं। मई महीने के अनुबंध के दाम पिछले एक महीने में 600 रुपये बढ़कर 4,000 रुपये प्रति क्ंिवटल के पार पहुंच गए हैं।
मंडियों में सरसों की फसल आने का समय होने के बावजूद कीमतें बढऩे की वजह पर एडमिसी कमोडिटी प्राइवेट लिमिडेट के तुषार चौहान कहते हैं कि दरअसल बेमौसम बारिश के कारण फसल खराब होने की खबर कीमतों को हवा दे रही है। किसानों को भी लग रहा है कि आने वाले समय में कीमतें और ऊपर जाएंगी इसलिए वे भी फिलहाल माल रोक रहे हैं। मंडियों में स्टॉकिस्ट सक्रिय हैं जिससे मांग बढ़ी है जबकि आवक कमजोर है, इसलिए कीमतें बढ़ रही हैं। तिलहन कारोबारियों का कहना है कि सरसों का स्टॉक बढ़ाने की वजह से कीमतें बढ़ी हैं। सरसों का उत्पादन कम होने के कारण आयात निर्भरता बढ़ेगी जो खाद्य तेल की कीमतें खौलाने का काम करेगी।
कृषि मंत्रालय के दूसरे अग्रिम फसल उत्पादन अनुमान के अनुसार वर्ष 2014-15 में सरसों का उत्पादन 6.52 फीसदी घटकर 73.3 लाख टन होने की संभावना है, जबकि पिछले साल देश में 78.77 लाख टन उत्पादन हुआ था। अमेरिकन कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार फसल वर्ष 2014-15 के दौरान भारत में सरसों का उत्पादन 71 लाख टन रहेगा जबकि पिछले साल सरसों का उत्पादन 73 लाख टन था। सरसों के उत्पादन के बारे में अलग-अलग संस्थाओं की अलग अलग रिपोर्ट आ रही हैं। कारोबारी संगठन 14 फीसदी तक उत्पादन कम होने का दावा कर रहे हैं। कारोबारी संगठनों के अनुसार देश में सरसों का उत्पादन सरकारी आंकड़ों से बहुत कम रहेगा। कारोबारियों का कहना है कि इस बार देश में सरसों का उत्पादन 55 लाख टन के करीब रहने का अनुमान है। (BS Hindi)
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