वैश्विक रुझानों की वजह से घरेलू बाजार में भी सोने-चांदी की कीमतों में
चमक बढ़ गई। सोने की कीमतें तीन महीने के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गईं जबकि
औद्योगिक मांग बढऩे के कारण चांदी की कीमतें पिछले चार महीने के उच्चतम
स्तर पर पहुंच गईं। चांदी 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर गई।
हालांकि सोना तीन महीने के उच्चतम स्तर को छूने के बाद दबाव में आ गया।
सराफा बाजार में लगातार तीसरे दिन सोने की चमक बढ़ती नजर आई। हालांकि बाजार
में मुनाफावसूली के चलते शाम तक सोना दबाव में आ गया। हाजिर बाजार में
सोना 110 रुपये की गिरावट के साथ 27,550 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ।
वायदा बाजार में भी सोना गिरावट के साथ 27,760 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद
हुआ। सोने की कीमतों में गिरावट की वजह डॉलर में गिरावट को माना जा रहा
है। अमेरिका के खराब आंकड़ों से डॉलर में भारी गिरावट आई है और यह करीब चार
महीने के निम्रतम स्तर तक लुढ़क गया। एसपीडीआर गोल्ड की होल्डिंग भी चार
महीने के निम्रतम स्तर पर पहुंच गई।
सोने की कीमतें भले ही दबाव में हों लेकिन चांदी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। घरेलू हाजिर बाजार में चांदी 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम को छूने के बाद 39,750 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। वायदा बाजार में चांदी चार महीने के उच्चतम स्तर को पार करते हुए 41,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। इस साल जनवरी के बाद पहली बार चांदी ने 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार किया है। मार्च महीने में चांदी के दाम गिरकर 35,650 रुपये तक पहुंच गए थे। 18 मार्च से अभी तक चांदी के दाम में 15 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। घरेलू बाजार में कीमतें बढऩे की सबसे प्रमुख वजह वैश्विक बाजार में चांदी का मजबूत होना है। वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतें बढ़कर 17.44 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं जो तीन दिन पहले 16.30 डॉलर प्रति औंस थी। जबकि वैश्विक बाजार में दो महीने पहले चांदी की कीमतें 15.30 डॉलर औंस बोली जा रही थी।
सराफा कारोबारियों का कहना है कि ऊंची कीमतों पर मुनाफावसूली किये जाने और वैश्विक बाजार में कमजोरी के रुख के कारण घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट आई। जबकि चांदी की घरेलू मांग बढऩे के कारण कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। चांदी 40,000 के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार कर चुकी है इसलिए इसमें भी हल्की गिरावट हो सकती है क्योंकि इस स्तर पर निवेशक मुनाफवसूली कर सकते हैं। एसएमसी कमोडिटी रिपोर्ट के मुताबिक सोने-चांदी की कीमतों में अभी और मजबूती देखने को मिलेगी। अमेरिकी उत्पादक मूल्य के आंकड़ों के निराशाजनक रहने के बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना पर रोक लगा दिये जाने की आशंका के कारण सोने की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पहुंच गई, अप्रैल में अमेरिकी उत्पादक मूल्य इंडेक्स में गिरावट आई है। अमेरिकी मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी नहीं होने से फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी में विलंब कर सकता है जिससे सोने की कीमतों को मदद मिल सकती है। BS Hindi)
सोने की कीमतें भले ही दबाव में हों लेकिन चांदी की कीमतों में तेज बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। घरेलू हाजिर बाजार में चांदी 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम को छूने के बाद 39,750 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। वायदा बाजार में चांदी चार महीने के उच्चतम स्तर को पार करते हुए 41,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई। इस साल जनवरी के बाद पहली बार चांदी ने 40,000 रुपये प्रति किलोग्राम के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार किया है। मार्च महीने में चांदी के दाम गिरकर 35,650 रुपये तक पहुंच गए थे। 18 मार्च से अभी तक चांदी के दाम में 15 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है। घरेलू बाजार में कीमतें बढऩे की सबसे प्रमुख वजह वैश्विक बाजार में चांदी का मजबूत होना है। वैश्विक बाजार में चांदी की कीमतें बढ़कर 17.44 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गईं जो तीन दिन पहले 16.30 डॉलर प्रति औंस थी। जबकि वैश्विक बाजार में दो महीने पहले चांदी की कीमतें 15.30 डॉलर औंस बोली जा रही थी।
सराफा कारोबारियों का कहना है कि ऊंची कीमतों पर मुनाफावसूली किये जाने और वैश्विक बाजार में कमजोरी के रुख के कारण घरेलू बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट आई। जबकि चांदी की घरेलू मांग बढऩे के कारण कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है। चांदी 40,000 के मनोवैज्ञानिक आंकड़े को पार कर चुकी है इसलिए इसमें भी हल्की गिरावट हो सकती है क्योंकि इस स्तर पर निवेशक मुनाफवसूली कर सकते हैं। एसएमसी कमोडिटी रिपोर्ट के मुताबिक सोने-चांदी की कीमतों में अभी और मजबूती देखने को मिलेगी। अमेरिकी उत्पादक मूल्य के आंकड़ों के निराशाजनक रहने के बाद ब्याज दरों में बढ़ोतरी की संभावना पर रोक लगा दिये जाने की आशंका के कारण सोने की कीमतें तीन महीने के उच्चतम स्तर पहुंच गई, अप्रैल में अमेरिकी उत्पादक मूल्य इंडेक्स में गिरावट आई है। अमेरिकी मुद्रास्फीति में बढ़ोतरी नहीं होने से फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी में विलंब कर सकता है जिससे सोने की कीमतों को मदद मिल सकती है। BS Hindi)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें