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01 अक्तूबर 2013

नई फसल तक हल्दी की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं

वजह उत्पादक मंडियों में हल्दी का बकाया स्टॉक खपत से ज्यादा चालू सीजन में हल्दी की बुवाई लगभग पिछले साल के बराबर ही हुई है जबकि उत्पादक मंडियों में हल्दी का भारी-भरकम स्टॉक बचा हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही में हल्दी के निर्यात में भी 30 फीसदी की कमी आई है। ऐसे में नई फसल की आवक बनने तक हल्दी की कीमतों में तेजी की संभावना नहीं है। ज्योति ट्रेडिंग कंपनी के प्रबंधक एस सी गुप्ता ने बताया कि चालू सीजन में हल्दी की बुवाई का कार्य लगभग पूरा हो चुका है तथा बुवाई पिछले साल के लगभग बराबर ही हुई है। हल्दी की नई फसल की आवक जनवरी-फरवरी महीने में बनेगी लेकिन उत्पादक मंडियों में हल्दी का बकाया स्टॉक खपत से भी ज्यादा है। ऐसे में नई फसल तक हल्दी की मौजूदा कीमतों में ज्यादा तेजी की संभावना नहीं है। उत्पादक मंडियों में इस समय 50 से 55 लाख बोरी (एक बोरी-70 किलो) का स्टॉक बचा हुआ है जबकि नई फसल तक खपत 20 से 25 लाख बोरी की ही होने का अनुमान है। मनसाराम योगेश कुमार के प्रबंधक पूनमचंद गुप्ता ने बताया कि इरोड़ मंडी में हल्दी का भाव 5,000 से 5,200 रुपये और निजामाबाद मंडी में 4,800 से 5,000 रुपये प्रति क्विंटल चल रहा है। स्टॉकिस्टों की बिकवाली से महीने भर में ही इसकी कीमतों में करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। उन्होंने बताया कि आगामी दिनों में त्यौहारी सीजन को देखते हुए हल्दी में मसाला निर्माताओं की मांग तो बढ़ेगी, लेकिन बकाया स्टॉक ज्यादा होने के कारण मौजूदा कीमतों में 200-400 रुपये प्रति क्विंटल का सुधार तो आ सकता है लेकिन तेजी की उम्मीद नहीं है। टरमरीक मर्चेंट एसोसिएशन के सचिव के वी रवि ने बताया कि चालू सीजन में फसल के समय स्टॉकिस्टों की सक्रियता से हल्दी के दाम बढ़कर 7,000 से 8,000 रुपये प्रति क्विंटल हो गए थे जबकि इस समय दाम घटकर 5,000 से 5,200 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। इससे स्टॉकिस्टों को भारी घाटा लगा है। भारतीय मसाला बोर्ड के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) के दौरान हल्दी के निर्यात में 30 फीसदी की कमी आकर कुल निर्यात 17,500 टन का ही हुआ है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 24,982 टन का हुआ था। (Business Bhaskar....R S Rana)

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