25 अक्टूबर 2013
कॉटन निर्यात पर ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव नामंजूर
जीओएम का नजरिया
सरप्लस कॉटन के निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए
ड्यूटी लगाने से कॉटन उत्पादक किसानों को होगा नुकसान
कपड़ा मंत्रालय ने घरेलू सप्लाई सुधारने के लिए प्रस्ताव भेजा था
इस साल 100 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान
पवार की अगुवाई वाले जीओएम ने निर्यात पर कोई पाबंदी न लगाने की सिफारिश की
केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की अगुवाई वाले मंत्री समूह (जीओएम) ने सरप्लस घोषित कॉटन के निर्यात पर दस फीसदी ड्यूटी लगाने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है। दस फीसदी ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव कपड़ा मंत्रालय ने रखा था।
कपड़ा मंत्रालय ने पिछले माह घरेलू बाजार में कॉटन की सुलभता सुनिश्चित करने के लिए ड्यूटी लगाने का प्रस्ताव भेजा था। देश में कॉटन से वैल्यू एडेड प्रोडक्ट बनाकर निर्यात करने के लिए दिए गए इस प्रस्ताव को कैबिनेट ने जीओएम के पास भेजा था।
पवार ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया कि देश में कॉटन का निर्यात हर साल बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में जीओएम ने कॉटन के निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी या ड्यूटी न लगाने की सिफरिश की है। उन्होंने कहा कि जीएमओ ने कॉटन के फ्री ट्रेड की वकालत की है। अगर निर्यात पर किसी भी तरह की पाबंदी लगाई जाती है या ड्यूटी लगती है तो इससे किसानों को नुकसान होगा।
कपड़ा मंत्रालय ने कॉटन के निर्यात की एफओबी (फ्री ऑन बोर्ड) कीमत पर 10 फीसदी एड वेलोरम ड्यूटी (अधिकतम 10 हजार रुपये प्रति टन) लगाने का प्रस्ताव किया था। सरकार हर साल सितंबर में कॉटन एडवायजरी बोर्ड के साथ सप्लाई व मांग की स्थिति का जायजा लेने के बाद देश में उपलब्ध सरप्लस कॉटन को घोषणा करती है।
इस मात्रा में निर्यात के लिए अनुमति दी जाती है। मौजूदा अक्टूबर माह से शुरू हुए नए मार्केटिंग सीजन 2013-14 के दौरान कपड़ा मंत्रालय ने 370-375 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) कॉटन का उत्पादन होने का अनुमान लगाया है। इसमें से 100 लाख गांठ कॉटन का निर्यात होने का अनुमान है। (Business Bhaskar)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें