09 मार्च 2011
महंगाई से निजात दिलाएगी राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति
खाद्य वस्तुओं की महंगाई की मार से बेहाल उपभोक्ताओं को जल्द राहत मिल सकती है। उपभोक्ता हितों के संरक्षण के लिए सरकार राष्ट्रीय उपभोक्ता नीति पेश करने जा रही है। नया कानून उपभोक्ता हित से जुड़े हर बिंदु पर कारगर साबित होगा। खास बात यह है कि इस कानून का मकसद उपभोक्ताओं को महंगाई से छुटकारा दिलाने के साथ ही ठगी से भी छुटकारा दिलाना होगा। कानून बनने के बाद उपभोक्ता हितों के संरक्षण की जिम्मेदारी निजी व सरकारी कंपनियों और निर्माताओं पर होगी।उपभोक्ता मामले मंत्रालय के उप सचिव राजेंद्र चौधरी ने बताया कि सभी सरकारी, गैर सरकारी उपक्रमों, मंत्रालयों, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र की कंपनियों आदि से प्राप्त सुझावों के आधार पर उपभोक्ता मंत्रालय ने मसौदा तैयार किया है, जिसे जल्द ही कैबिनेट के पास भेजा जाएगा। कैबिनेट की मोहर लगने के बाद इसे कानून बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के लिए मौजूदा समय में देश में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू है, लेकिन जानकारी के अभाव में उपभोक्ता कम तौल, मिलावट और नकली वस्तुओं का शिकार होते हैं।वस्तुओं का अधिकतम खुदरा मूल्य तय होने के बाद भी कई बार उपभोक्ताओं को प्रिंट रेट से ज्यादा दाम चुकाने को मजबूर किया जाता है। यही नहीं, खाद्य वस्तुओं के थोक व खुदरा दामों के बीच सौ फीसदी से ज्यादा के अंतर का सामना भी उपभोक्ताओं को करना पड़ रहा है। न्यूनतम समर्थन मूल्य के मुकाबले थोक कीमतें 50 से 70 फीसदी तक क्यों ऊंची हैं, इसकी जबावदेही किसी की नहीं है। चौधरी ने बताया कि हालांकि उपभोक्ता संरक्षण कानून अपने आप में पर्याप्त है, लेकिन चंद जागरूक उपभोक्ता ही इस कानून का लाभ ले पाते हैं। इसीलिए सरकार जल्द ही ऐसा नया कानून लाने जा रही है जिसके तहत सरकारी और गैर सरकारी उपक्रम, मंत्रालय और कंपनियों पर उपभोक्ता हित के संरक्षण की जिम्मेदारी हो जाएगी। (Amar Ujala)
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