महंगा होगा रोटी, कपड़ा और मकानकोई निर्णय नहीं लेना भी अपने आप में एक निर्णय है। वित्त मंत्री का बजट बनाते समय पूरा ध्यान विकास और राजकोषीय समेकन (कंसोलिडेशन) पर केंद्रित था। इन दो उद्देश्यों के दिमाग में होते हुए भी वह आम आदमी को भूल गए। उसकी स्थिति में सुधार करने के लिए कोई साहसिक निर्णय उन्होंने नहीं लिया। आम आदमी को दो चीजें तंग कर रही हैं- महंगाई और भ्रष्टाचार। इन दोनों मुद्दे पर प्रणब दा ने कुछ नहीं किया। अब आम आदमी के लिए महंगाई और बढ़ जाएगी।
जैसे कि डॉक्टर, अस्पताल और डायग्रॉस्टिक सेंटर पर सर्विस टैक्स को बढ़ाने से सरकार को तो कर नहीं मिलेगा, मगर डॉक्टर और डायग्रॉस्टिक सेंटर अपनी फीस जरूर बढ़ा देंगे। यह कह कर कि अब उन्हें कर अदा करना है, आम आदमी पर बहुत जोरदार प्रहार किया गया है। सरकारी अस्पताल पर यह कर नहीं लगेगा। लेकिन यह भी सही है कि सरकारी अस्पताल में ना ही डॉक्टर और ना ही डायग्रॉनिस्टिक की अच्छी सुविधा है।
अधिकारियों के सामने जब यह सवाल रखा गया तब उन्होंने कहा कि हर आदमी को सर्विस टैक्स देने की आदत डाल लेनी चाहिए। शायद यह काफी नहीं था इसलिए सरकार ने सर्विस टैक्स के दायरे में कोचिंग सेंटर को भी शामिल कर लिया। शहरी मध्य वर्ग के लिए ट््यूशन और कोचिंग सेंटर एक अन्य महत्वपूर्ण घटक हैं। जैसे ही इसे सर्विस टैक्स के दायरे में शामिल किया जाएगा तत्काल ट्यूशन और कोचिंग सेंटर की फीस में इजाफा हो जाएगा।
सरकार ने न्यूनतम आमदनी पर कर के दायरे में आंशिक तौर पर 20 हजार रुपये की बढ़ोतरी कर दी, जिससे व्यक्तिगत तौर पर मात्र 2000 रुपये का लाभ मिलेगा। क्या सरकार को लगता है कि आम आदमी के लिए महंगाई से संघर्ष के लिए यह काफी होगा? कटौती के मुद्दे पर किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है लेकिन अतिरिक्त सर्विस टैक्स लगाने से किसी भी करदाता को 2000 रुपये की बचत नहीं होगी।
परिवारों से यह बात करने पर यह पता चलता है कि वे घाटे में जाएंगे, या तो पेट काटेंगे या फिर टैक्स नहीं अदा करेंगे। बिजनेस भास्कर में हमने उदाहरण सहित इसकी जानकारी दी है। खाद्य पदार्थों की महंगाई को देखते हुए एक साहसिक कदम की उम्मीद की जा रही थी लेकिन उसपर भी कोई पहल नहीं की गई है। निर्धनतम लोगों को अनाज मुहैया कराने के लिए खाद्य सुरक्षा विधेयक के घोषित किए जाने की उम्मीद लगाई जा रही थी। लेकिन इस विधेयक और इसके लिए आवंटन को अफसरशाही तकरार के लिए छोड़ दिया गया। आगामी वित्त वर्ष में खाद्य सुरक्षा विधेयक पेश हो भी जाता पर इसके लिए बजट में किसी तरह आवंटन नहीं किया गया है।
इसके अलावे आम आदमी की जरूरतें हैं- कपड़ा और मकान। निश्चित तौर पर उत्पाद शुल्क के लादे जाने से ब्रांडेड कपड़े महंगे होंगे। रही बात आवास की तब वहां भी उत्पाद शुल्क लगाने से सीमेंट कीमतें ऊपर जाएंगी और रियल इस्टेट डेवलपर्स मकानों की कीमतें बढ़ाएंगे। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत 117 डॉलर प्रति बैरल को छूने के बावजूद सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए बजट में किसी तरह के आवंटन की घोषणा नहीं की है।
यही वजह है कि कुछ राज्यों में विधानसभा चुनावों के संपन्न होने के बाद तेल की कीमतें आम आदमी के लिए बढ़ जाएंगी। संक्षेप में कहा जाए तो रोटी, कपड़ा, मकान, तेल, शिक्षा और चिकित्सा सभी के दाम बढ़ेंगे। हां, सरकार का बजट संतुलित हो जाएगा पर आम आदमी के बजट का गणित तो बिगड़ ही जाएगा।चिदंबरम को आवंटन सबसे ज्यादा, पवार का वजन घटाचिदंबरम के गृह मंत्रालय का आवंटन सबसे ज्यादा पांच गुना बढ़कर 10,000 करोड़वित्त मंत्रालय का आवंटन भी 75 फीसदी बढ़कर 9895 करोड़घोटाले से त्रस्त दूरसंचार मंत्रालय का बजट 11 फीसदी बढ़कर 24300 करोड़ हुआसिब्बल के एचआरडी का आवंटन 42,036 करोड़ से 24 फीसदी बढ़कर 52060 करोड़स्टील मंत्रालय को भी 16159 करोड़ के मुकाबले 21103 करोड़ रुपये मिलेजयराम के पर्यावरण पर ध्यान कम, आवंटन 2200 करोड़ से सिर्फ 2300 करोड़ भारी उद्योग का पत्ता कटा, आवंटन 2965 से 28 फीसदी घटकर 2136 करोड़ रुपयेपवार का भी वजन घटा, 14049 करोड़ के मुकाबले आवंटन 13,662 करोड़ रुपयेग्रामीण विकास भी कमजोर, आवंटन 89578 करोड़ से घटकर 87,800 करोड़ रुपये (Business Bhaskar)
01 मार्च 2011
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